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बिहार : हर जमीन का ब्योरा ऑनलाइन करने का सपना अटका
सुस्ती : केंद्र सरकार की डीजीपीएस योजना को झटका, तकनीकी प्रक्रिया में उलझी है सरकारी मशीनरी पटना : हर जमीन का ब्योरा ऑनलाइन करने का सपना अटकता नजर आ रहा है. केंद्र सरकार की मंशा थी कि देश भर में नक्शा आनलाइन कर दिया जाये. ताकि एक क्लिक करने पर जमीन के किसी प्लाट की […]
सुस्ती : केंद्र सरकार की डीजीपीएस योजना को झटका, तकनीकी प्रक्रिया में उलझी है सरकारी मशीनरी
पटना : हर जमीन का ब्योरा ऑनलाइन करने का सपना अटकता नजर आ रहा है. केंद्र सरकार की मंशा थी कि देश भर में नक्शा आनलाइन कर दिया जाये. ताकि एक क्लिक करने पर जमीन के किसी प्लाट की स्थिति को लोग जान पायें। इसकी कवायद भी शुरू हुई. इसमें बिहार भी शामिल है. परंतु जिस रफ्तार से काम होना चाहिये, वह दिख नहीं रहा है. यह परियोजना 2018 तक पूरी होने का सपना देखा गया है. पर हालात जो हैं, उससे ऐसा कुछ लग नहीं रहा है. अभी बहुत काम बाकी है. मसलन, खानापूरी नहीं हुई है, सत्यापन का काम बड़े पैमाने पर बाकी है.
क्या है योजना: केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडराइजेशन प्रोग्राम के तहत देशभर के जमीन से जुड़े ब्योरे को ऑनलाइन करने की योजना बनायी थी. सरकार की मंशा है कि हर जमीन का पूरा ब्योरा एक क्लिक में सामने होना चाहिये.
उसकी वर्तमान की स्थिति स्पष्ट ऑनलाइन दिखनी चाहिये. जमीन अगर किसी को बेची जाती है तो फौरन रिकॉर्ड में वह बदलाव हो जाना चाहिये. ताकि किसी स्तर पर कोई गड़बड़ी की गुंजाइश न हो. यही व्यवस्था बनाने के लिये केंद्र सरकार का डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडराइजेशन प्रोग्राम बिहार में भी शुरू हुआ. इसकी शुरुआत 2012-13 में ही हुई थी. समय के साथ कुछ नयी चीजों को जोड़ा गया. ताकि जमीन से संबंधित जानकारी सामने हो.
लंबी है प्रक्रिया: अब सर्वे लंबा नहीं होकर सिर्फ दो स्तर पर होगा. जमीन का हवाई सर्वेक्षण के बाद काम करनेवाली एजेंसी मैप देगी. इसके आधार पर प्लाॅट नंबर देकर डिजिटल नक्शा प्रकाशित किया जायेगा. फिर इसपर आपत्ति मांगी जायेगी. आपत्ति के बाद उसका सत्यापन करा कर उसे पुन: प्रकाशित किया जायेगा. इस पर आपत्ति का एक मौका और लोगों को दिया जायेगा. इसके बाद फाइनल स्तर पर नक्शा प्रकाशित कर उसे आॅनलाइन कर दिया जायेगा. पड़ता था और काफी समय लगता था.
वहीं, पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 46 अंचलों में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडराइजेशन प्रोग्राम के तहत काम भी शुरू हुआ है.
बन चुका है सैटेलाइट नक्शा
प्रदेश में जमीन का नया खसरा, खतियान तैयार करने के पायलट प्रोजेक्ट के तहत सर्वे सेटेलमेंट का काम शुरू तो हुआ, पर चाल बहुत सुस्त है. राज्य सरकार ने समूचे राज्य में जमीन का नया खाता, खसरा, खतियान बनाने के लिए शुरू किया है. इसके लिए प्रथम चरण में हवाई सर्वे करने जमीन का सैटेलाइट नक्शा बनाया जा चुका है. अब जमीनी कार्यवाही के तहत अधिकारी व कर्मचारी स्पॉट पर जाकर मौजूदा भूखंड का नक्शा तैयार करने के साथ मौजूदा दस्तावेज के आधार पर जमीन का नया खाता, खसरा व खतियान तैयार करेंगे. 1908 के बाद पहली बार नया खतियान तैयार करने का काम हो रहा है.
ये होंगे फायदे
– रिकॉर्ड मेंटेन करने का झंझट नहीं.
– रजिस्ट्री के दौरान गड़बड़ी लगती है तो
सिस्टम ऑनलाइन होने से आसानी से पता चल जायेगा.
– रिकॉर्ड खराब होने की टेंशन नहीं.
– एक क्लिक में किसी भी रजिस्ट्री का रिकॉर्ड सामने आयेगा.
– ऑनलाइन होने से काम में पारदर्शिता आयेगी.
तीन एजेंसियां कर रही हैं काम
केंद्र सरकार चाहती है कि हिंदुस्तान की हर इंच जमीन का मालिकाना हक तय हो जाये. इसलिए रियल टाइम मैप तैयार करने की कवायद शुरू हुई है. नक्शा से संबंधित स्वामित्व, अधिकार तय करनी है. हर व्यक्ति की पहुंच में नक्शा हो. सरकार चाहती है. दाखिल खारिज भी ऑनलाइन हो. तीन एजेंसियां काम कर रही हैं. -चंदन कुमार, सलाहकार, जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम
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