पटना/रांची: लखनऊ में आज मेट्रो ट्रेन की शुरुआतहो गयी. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखा कर मेट्रो ट्रेन की वहां शुरुआत की है.लखनऊ मेट्रो अभी8.5 किमी लंबे ट्रैक पर चलेगी. यूपी की परिवहन व्यवस्था के लिए मेट्रो एक अहम बदलाव माना जा रहा है. फिलहाल तीन लाख यात्रियों को इससे फायदा होने की संभावना जतायी गयी है. बताया जा रहा है कि जब लखनऊ में 72 किमी का ट्रैक तैयार हो जायेगा तब 50 लाख यात्री इससे लाभान्वित होंगे. मेट्रो को लेकर आज लखनऊ शहर में गजब का उत्साह है.
80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी लखनऊ मेट्रो, कोच्चि मेट्रो से भी है एडवांस
लखनऊ में मेट्रो की शुरुआत के साथ अब बिहार और झारखंडके लोगों की अपेक्षाएं भी जोर पकड़ने लगी है. लखनऊ में मेट्रो चालू होने से पटना में भी मेट्रो की मांग बढ़ने लगी है. 2011 के जनगणना के मुताबिक पटना शहर की आबादी करीब 21 लाख है. पिछले छह सालों में आबादी में और वृद्धि भी हुई होगी लेकिन यातायात के विकल्पों पर विचार नहीं किया गया है. नयी मेट्रो नीति के तहत 20 लाख शहरी आबादी में ही मेट्रो चलायी जा सकती है.
आबादी में कमी की वजह से नयी मेट्रो नीति के तहत रांची का मामलाअटकता दिख रहा है. क्योंकि रांची की आबादी 20 लाख से कम हैलेकिन पटना में मेट्रो का न होना, बिहारवासियों को खलने लगा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पटना में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है और यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है.
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पटना मेट्रो के लिए नये सिरे से डीपीआर तैयार करने को कहा
पटना मेट्रो के लिए केंद्र सरकार ने बिहार को नया डीपीआर बनाने के लिए कहा है. अधिकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार ने नयी मेट्रो नीति बनायी है. इसलिए केंद्र सरकार ने बिहार को नये सिर से डीपीआर बनाने को कहा है. राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद के मुताबिक इस बाबत नया प्रस्ताव जल्द ही केंद्र सरकार को भेजा जायेगा. राज्य सरकार को मेट्रो परिचालन के लिए तीन मॉडल दिया गया है. इनमें राज्य को 100 फीसदी वित्त और केंद्र – राज्य साझेदारी, राज्य का 100 फीसदी वित्त और केंद्र – राज्य के साझेदारी में एक को चुनना है. पहले चरण की परियोजना पर कुल मिलाकर करीब 14,000 करोड़ रुपये की निवेश का अनुमान था.
क्यों जरूरी है मेट्रो
रांची व पटना में परिवहन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. खराब परिवहन अर्थव्यवस्था का सबसे ज्यादा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. सरकारी परिवहन व्यवस्था पर मात्र शहर की एक प्रतिशत आबादी निर्भर है. पटना में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ऑटो पर निर्भर रहना पड़ता है. सरकारी व्यवस्था के आभाव से ज्यादा लोग निजी वाहन पर निर्भर रहते हैं. बची-खुची आबादी ऑटो के हवाले है. लिहाजा जाम बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है.लोगों को एक जगह से दूसरे जगह जाने में ही ज्यादा ऊर्जा खपत करनी पड़ती है. लिहाजा लोगों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इन शहरों में उद्योग नहीं पनपने की एक वजह यह भी है कि यहां की यातायात व्यवस्था बेहद खराब है.
देश में आठ मेट्रो परियोजनाएं है चालू
देश में इस वक्त आठ मेट्रो परियोजनाएं चालू हैं. आज लखनऊ की मेट्रो परियोजना को लेकर नौ परियोजनाएं चालू हो जायेगी. नौ राज्यों में कुल 378 किलोमीटर की मेट्रो परियोजनाएं चालू हैं. इन में दिल्ली (217 किलोमीटर), बेंगलुरु (42.30 किलोमीटर), कोलकाता (27.39 किलोमीटर), चेन्नई (27.36 किलोमीटर), कोच्चि (13.30 किलोमीटर), मुंबई (मेट्रो लाइन 1-11.40 किलोमीटर, मोनो रेल फेज 1-9.0), जयपुर (9.00 किलोमीटर) और गुड़गांव (रैपिड मैट़ो 1.60 किलोमीटर), लखनऊ (8 किमो) शामिल हैं. इसके अलावा कुल 13 राज्यों में 537 किलोमीटरलंबाईकी मेट्रो परियोजनाओं का काम चल रहा है.