शुभंकर/भागलपुर/बिहार: सावन की पहली सोमवारी के पर करीब पौने दो लाख शिवभक्तों ने गंगा स्नान किया. सावन में पहली सोमवारी की यात्रा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव को जल अर्पण करने का शुभ दिन माना जाता है. रविवार रात से ही सुलतानगंज के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही. सुरक्षा में पुलिस व होमगार्ड जवानों की तैनाती की गयी है. सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है और ड्रोन से भीड़ पर नजर रखी जा रही है.
एसएसपी ने क्या कहा ?
एसएसपी सोमवार को स्वयं निगरानी कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 24 घंटे कंट्रोल रूम सक्रिय है. पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बल की काफी संख्या में प्रतिनियुक्ति की गयी है. कांवर यात्रा में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, हरियाणा, सिक्किम और नेपाल से शिवभक्त सुलतानगंज पहुंचे है. लोक कलाकार भजन-कीर्तन व नाटक से शिव महिमा का गुणगान कर रहे हैं.
क्या हैं व्यवस्थाएं ?
कांवर यात्रा के प्रमुख स्थान असरगंज, तारापुर, सुईया, कटोरिया व देवघर में प्रशासन ने ठहराव और सुविधा केंद्रों की व्यवस्था की है. मेडिकल चेकअप पॉइंट, मोबाइल टॉयलेट्स, साफ-सफाई और बिजली की व्यवस्था को प्राथमिकता दी गयी है. मेला में डिजिटल सूचना बोर्ड व मोबाइल एप से श्रद्धालुओं के मार्गदर्शन की व्यवस्था की गयी है. मेला प्रशासन की वेबसाइट पर रूट मैप, भीड़ की स्थिति और जरूरी सूचनाएं उपलब्ध हैं. सूचना केंद्र से लगातार जानकारी प्रसारित की जा रही है.
शरीर को जंजीर से जकड़ कर कांवरिया चला बाबाधाम
जंजीरों में खुद को जकड़ कैदी बन कांवरिया बाबाधाम रवाना हुआ. यह कोई गिरफ्तार मुजरिम नहीं, बल्कि बाबा भोले नाथ का मुजरिम है. यह अन्य भक्तों से अलग है. बिहार के जहानाबाद का शंभू कुमार खुद को जंजीर जकड़ कर बाबाधाम चल पड़ा है. उसने बताया कि स्वप्न में बाबा भोले नाथ ने कहा कि उसने कोई गुनाह किया है, उसके प्रायश्चित के लिए वह कैदी बन कर बाबा दरबार जा रहा है. हर कोई ऐसे कांवरिया को देख कर आश्चर्यचकित है. शंभू ने बताया कि वह 20 वर्षों से बाबाधाम जाते हैं. इस बार बाबा भोले नाथ स्वयं सपने में आ कर कहे कि उसने गुनाह किया है, इस कारण वह मुजरिम है. प्रायश्चित के लिए कैदी बन बाबा धाम पहुंचेगे. उसने हाथ, पैर, गर्दन व पूरे शरीर को जंजीरों में जकड़ कैदी बन बाबा के दरबार में हाजरी लगाने देवघर निकल पड़ा है. इस आस्था को देख हर एक ही नारा लगाता दिखा हर हर महादेव.
150 किलो का आकर्षक कांवर लेकर 35 कांवरिया चले बाबाधाम
हावड़ा से पहुंचे कांवरिये 150 किलो के आकर्षक कांवर लेकर बाबाधाम ले जा रहे हैं. सोमवार को पवित्र उत्तर वाहिनी गंगाजल भर कर कांवरिया देवघर रवाना हुए. कांवरिया ने बताया कि हर बार नये रूप में कांवर यात्रा के दौरान प्रतिमा बनाकर ले जाते हैं. इस बार महाकाल के साथ मैया पार्वती की प्रतिमा और शिवलिंग बना कर ले जा रहे हैं. जो काफी आकर्षक है. रास्ते में इस आकर्षक कांवर को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गयी.
डेढ़ लाख मंत्रों का जाप करते हुए गुजरात से बाबाधाम गया कांवरियों का जत्था
सुलतानगंज. गुजरात के सूरत से आये आशुतोष कांवरिया संघ का विशेष जत्था सोमवार को सुलतानगंज से बाबाधाम रवाना हुआ. जत्था न केवल कांवर लेकर यात्रा करता है, बल्कि पूरे मार्ग में डेढ़ लाख शिव मंत्रों का जाप भी करता है. संघ के सदस्यों के अनुसार यह परंपरा पिछले 46 वर्षों से लगातार निभायी जा रही है. संघ के संचालक अशोक बियाणी ब्रह्मचारी ने बताया कि जत्था यात्रा की शुरुआत से लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचने तक हर दिन सुबह-शाम चार से साढ़े चार घंटे रूद्राभिषेक करता है. पूरे विधि-विधान व कठोर नियमों का पालन करते हुए यह कांवर यात्रा एक तप साधना का रूप ले चुका है. मारवाड़ी युवा मंच के महर्षि मेंहीं विश्रामालय में कांवरियों ने शिव मंत्रों का सामूहिक जाप किया. संघ में अधिकतर सदस्य सफल व्यापारी हैं, लेकिन धार्मिक यात्रा में सभी अनुशासित रह एक समान नियमों का पालन करते हैं.
हरिद्वार से स्केटिंग कर पहुंचे सुलतानगंज, अब बाबाधाम जायेंगे
भक्ति में जब जुनून जुड़ जाए, तो साधना प्रेरणादायक यात्रा बन जाती है. नवादा का सोनू कुमार स्केटिंग करते हरिद्वार के हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर 21 दिन में सुलतानगंज पहुंचा. सोमवार को सोनू सुलतानगंज से अपने दो सहयोगियों के साथ सड़क मार्ग से बाबा बैद्यनाथ धाम रवाना हो गया. सोनू ने बताया कि सुईया-जलेबिया जैसी कठिन मार्ग में स्केटिंग करना आसान नहीं होता, मगर बाबा की कृपा से सब संभव हो जाता है. उनके दो मित्र स्केटिंग यात्रा में बाइक से पीछे-पीछे चलते हैं और हर मोड़ पर सहयोग करते हैं. सोनू की इस अनोखी यात्रा ने राहगीरों व भक्तों का ध्यान खींचा. सोनू कुमार ने कहा कि स्केटिंग से यात्रा कठिन होती है, लेकिन मन में बाबा हों तो रास्ता आसान हो जाता है.
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राजस्थानी नृत्य करते कटक के कांवरिये गये बाबाधाम
श्रावणी मेले की आस्था व भक्ति में सोमवार को एक विशेष रंग तब जुड़ गया जब कटक, ओडिसा से आये कांवरियों का दल राजस्थानी वेशभूषा में नाचते-गाते बाबा बैद्यनाथ धाम रवाना हुए. कांवरियों की टोली डफली की थाप पर थिरकते गंगा जल लेकर निकली, तो देखने काफी संख्या में लोग जुट गये. कांवरियों ने बताया कि बाबा भोलेनाथ स्वयं नटराज हैं और उनका स्वरूप ही नृत्य का प्रतीक है. कांवर यात्रा में नृत्य को पूजा का अभिन्न हिस्सा मान वह हर साल इसी भक्ति भाव से बाबाधाम जाते हैं. सिर पर राजस्थानी पगड़ी, पारंपरिक वस्त्र और हाथों में डफली के साथ जब समूह नृत्य प्रस्तुत किया, तो माहौल भक्तिमय हो गया. बोल बम, हर-हर महादेव के नारों के बीच यह टोली आगे बढ़ती रही. यात्रा मार्ग पर जगह-जगह लोगों ने स्वागत किया. कांवरियों ने कहा कि यह केवल यात्रा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव है, जिसमें तन, मन व आत्मा तीनों का समर्पण होता है.