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शिक्षक प्रमोशन मामले में बढ़ी परेशानी, आरोपकर्ता ने राजभवन के निर्देश पर सौंपा शपथ पत्र

मुंगेर विश्वविद्यालय में गत वर्ष 2024 में हुए शिक्षक प्रमोशन को लेकर मामला उलझता जा रहा है.

शिक्षक प्रमोशन मामले में सामने आ रही भारी अनियमिता, राजभवन गंभीर

तत्कालीन कुलपति के नीतिगत व वित्तीय फैसले पर रोक के बाद हुई प्रमोशन प्रक्रिया

मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय में गत वर्ष 2024 में हुए शिक्षक प्रमोशन को लेकर मामला उलझता जा रहा है. एक ओर जहां नियमों को ताख पर रख कर शिक्षकों को प्रमोशन दिया गया वहीं इसमें भारी वित्तीय अनियमितता भी हुई है. राजभवन ने 10.5.2024 को ही तत्कालीन कुलपति के नीतिगत एवं वित्तीय फैसले पर रोक लगा दी गयी थी. लेकिन अगस्त में बिना कुलाधिपति सचिवालय के पूर्व अनुमति प्राप्त किये शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया की गयी. अब इस अनियमितता को लेकर राजभवन के निर्देश पर जमालपुर कॉलेज, जमालपुर के प्रभारी प्राचार्य सह शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर (संघ) उत्थान समिति के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार पोद्दार ने अपने आरोपों को लेकर शपथ पत्र विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपा

विदित हो कि एमयू द्वारा साल 2024 में शिक्षक प्रमोशन की प्रक्रिया आरंभ की गयी. जिसमें एमयू के लगभग 81 शिक्षकों को प्रोन्नति दी. जिसके लिए 3 अगस्त 2024 को सिंडिकेट की बैठक की गयी थी. जिसके बाद 4 अगस्त को एमयू ने शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर अधिसूचना जारी की थी. इसमें जहां 50 सहायक प्राध्यापकों को उनके सिनियर स्केल में प्रोन्नति दी गयी है. वहीं 4 शिक्षकों को रीडर, एक को लेक्चरर तथा 23 शिक्षकों को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति दी गयी. इसमें कैमेस्ट्री में 6, जुलॉजी में 5, बॉटनी में 2, फिजिक्स में 5, गणित में 3, साइकोलॉजी में 5, सोसोलॉजी में 1, हिंदी में 7, अंग्रेजी में 7, फिलॉस्फी में 4, संस्कृत में 2, कॉमर्स में 2 तथा हिंदी में 1 सहायक प्राध्यापकों को सिनिरयर स्केल में प्रोन्नति दी गयी. वहीं इतिहास में 1, संगीत में 1, होमसाइंस में 1, गणित में 1 शिक्षकों को रीडर, फिजिक्स में एक शिक्षक को लेक्चचर को प्रोन्नति दी गयी. इसके अतिरिक्त कैमेस्ट्री में 1, फिजिक्स में 1, राजनीति विज्ञान में 4, इतिहास में 5, अर्थशास्त्र में 1, अंग्रेजी में 1, हिंदी में 2, संस्कृत में 1, पाली में 1, उर्दू में 1 तथा फिलॉसफी में 5 शिक्षकों को प्रोफेसर पद के लिए प्रोन्नति दी गयी.

राजभवन के आदेश पर कुलसचिव ने आरोपकर्ता से मांगा शपथ पत्र

बता दें कि एमयू शिक्षक प्रमोशन को लेकर जमालपुर कॉलेज, जमालपुर के शिक्षक सह शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर (संघ) उत्थान समिति के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार पोद्दार ने कई प्रकार के अनदेखी, घोटाला एवं व्यापक गड़बड़ी की शिकायत की थी. जिसे लेकर आरोपकर्ता ने सदस्य बिहार विधान सभा नारायण दास को आरोप पत्र दिया था. जिसे सदस्य बिहार विधान सभा द्वारा राजभवन को देकर कार्रवाई का अनुरोध किया गया था. जिसके बाद 28 अप्रैल 2025 को राजभवन से प्राप्त निर्देश को लेकर एमयू के कुलसचिव विजय कुमार ठाकुर ने आरोपकर्ता से आरोप के समर्थन में बिंदुवार साक्ष्य के साथ सत्यता को लेकर फर्स्ट क्लास एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट द्वारा निर्गत शपथ पत्र विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.

आरोपकर्ता ने विश्वविद्यालय को सौंपा शपथ पत्र, बढ़ेगी परेशानी

कुलसचिव के निर्देशानुसार शिक्षक प्रमोशन को लेकर आरोपकर्ता ने 5 मई को शपथ पत्र विश्वविद्यालय को समर्पित कर दिया है. जिसमें आरोपकर्ता ने शिक्षक प्रमोशन में अनदेखी, घोटाला एवं व्यापक गड़बड़ी को लेकर कई शिकायतें की है. वहीं अब विश्वविद्यालय द्वारा उक्त शपथ पत्र को राजभवन को भेजा जायेगा. ऐसे में अब एमयू के लिए कई परेशानी बढ़ने वाली है. एमयू के शिक्षक प्रमोशन को लेकर अब जहां राजभवन जांच करा सकता है. वहीं विश्वविद्यालय द्वारा बीते दिनों शिक्षक प्रमोशन के बाद शिक्षकों का पे-फिक्सशेन भी कर दिया गया है.

शिक्षक प्रमोशन मामले में लगे हैं कई आरोप

– राजभवन ने 10.5.2024 को ही तत्कालीन कुलपति के नीतिगत एवं वित्तीय फैसले पर रोक लगा दी गयी थी. ऐसे में कुलपति ने बिना कुलाधिपति सचिवालय के पूर्व अनुमति प्राप्त किये शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया की थी.

– प्रोन्नति प्रक्रिया में प्रोन्नति प्राप्त करने वाले शिक्षकों को शामिल कर विश्वविद्यालय द्वारा प्रक्रिया संपन्न की गयी, जो नियम विरुद्ध है.

– बिना विहित प्रक्रिया पूर्ण किये (जिसमें रजिस्ट्रार प्रजेंटिंग ऑफिसर होते है) एक फर्जी कमेटी बनाकर आवास पर सारी प्रक्रिया पूर्ण की गयी.

– 3.8.2024 को सिंडिकेट बैठक के 24 घंटे में 2 प्राचार्य, 2 विभागाध्यक्ष, डीएसडब्ल्यू और प्रॉक्टर को शामिल कर प्रमोशन प्रक्रिया को अनुमोदित करा लिया गया. जबकि बैठक में उपस्थित पदाधिकारी खुद प्रोन्नति प्राप्त करने के लिए आवेदक थे.

– विश्वविद्यालय द्वारा जिन शिक्षकों को प्रोन्नति दी गयी. उनमें से अधिकांश शिक्षकों ने तिलकामांझी विश्वविद्यालय में योगदान दिया था. जो 18 मार्च 2018 को एमयू के गठन के बाद यहां आये. ऐसे में बिना टीएमबीयू से उनका मूल फाइल मंगाये ही विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षकों को प्रोन्नति दे दी गयी.

– प्रोन्नति प्रक्रिया में डीन सोशल साइंस को नहीं बुलाया गया, जबकि न तो चांसलर नॉमिनी आये और न ही सरकार के नॉमिनी आये. इसके अतिरिक्त इतिहास के प्रोफेसर स्तर के पीजी हेड को भी प्रोन्नति प्रक्रिया में नहीं बुलाया गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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