बरियारपुर. प्रखंड के खड़िया ग्राम में चल रहे श्री रामकथा के चौथे दिन सोमवार को कथावाचिका साध्वी प्रियंका शास्त्री ने सती चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान शंकर स्वयं कथा के जनक हैं. इसलिए मनुष्य कितने भी बड़े पद पर आसीन क्यों न हों, उन्हें कथा सुनने अवश्य जाना चाहिए. कथावाचिका ने कहा कि आज का इंसान जिस भगवान की कृपा से पद-प्रतिष्ठा प्राप्त किया है, उसी भगवान के लिए उनके पास समय नहीं है. भगवान शिव अपनी पत्नी सती को भी साथ ले गए. परंतु माता सती कथा न सुनकर कथा का अपमान करती है. भ्रम हो गया तो माता सती राम की परीक्षा लेने के लिए सीता का रूप धारण कर भगवान राम के सामने पहुंच गयी. तब राम ने माता सती को प्रणाम किया और अपना परिचय देते हुए कहा कि मां आप जंगल में अकेली क्यों भटक रही है. ये दुनिया अकेली नारी के लिए अच्छा नहीं है. विवाह के पूर्व किसी बेटी की रक्षा उसका भाई या पिता करता है. विवाह के बाद ही उस नारी की रक्षा उसका पति करता है. इतना सुनते ही माता सती बाबा भोलेनाथ के पास पहुंची और उनसे झूठ बोल दी कि कोई परीक्षा नहीं ली. उन्होंने इस प्रसंग के आलोक में बताया कि पति-पत्नी को कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए. क्योंकि विश्वास गया तो फिर लौटता नहीं है. आजकल सबसे ज्यादा झूठ इसी रिश्ते में आ गया है. कितना भी गहरा प्रेम हो, जहां छल-कपट व झूठ का समावेश होता है वहां रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चलता है. मौके पर मुखिया संजय कुमार सिंह सहित ग्रामीण कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे हुए हैं. इधर बरियारपुर बस्ती गांव में आयोजित नौ दिवसीय राम महायज्ञ के समापन पर 101 देवी-देवताओं की प्रतिमा का विसर्जन धूमधाम से किया गया.
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