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डायल-112 टीम के संख्या बल में होगी बढ़ोतरी, तैनात पुलिस पदाधिकारी को मिलेगा पिस्तौल

लगातार डायल-112 की टीम पर हमले को लेकर मुंगेर रेंज के डीआइजी राकेश कुमार ने बड़े बदलाव की शुरूआत की है.

डायल-112 की टीम को मजबूत करने में जुटे डीआइजी

मुंगेर. लगातार डायल-112 की टीम पर हमले को लेकर मुंगेर रेंज के डीआइजी राकेश कुमार ने बड़े बदलाव की शुरूआत की है. इस टीम में जहां संख्या बल में बढ़ोतरी कर टीम को सशक्त बनाया जायेगा. वहीं टीम में शामिल पुलिस पदाधिकारी को अब सरकारी पिस्तौल से लैस किया जायेगा. इसे लेकर रेंज के सभी पुलिस अधीक्षकों से बातचीत कर एक सप्ताह के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया है.

डीआइजी ने बताया कि डायल-112 टीम में मुख्यालय के निर्देश पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा है. लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से मुंगेर में डायल-112 की टीम हमला हुआ वह सोचने पर विवश कर दिया है. क्योंकि रेस्पॉन्स टाइम को मेंटन करने के लिए डायल-112 के पुलिस अधिकारी कम संख्या बल में ही घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं. जिसके कारण असामाजिक तत्व टीम में शामिल पुलिसकर्मी को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि टीम को सशक्त करने के लिए संख्या बल में इजाफा किया जायेगा. इसे लेकर वरीय पुलिस पदाधिकारी के साथ विचार के पश्चात संख्या बल बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इसे लेकर सभी जिलों के एसपी से बातचीत की गयी है. सभी टीम में कम से कम एक और पुलिस कर्मी की प्रतिनियुक्ति एक सप्ताह के अंदर डायल-112 के सभी टीम में करने का निर्देश सभी एसपी को दिया गया है. विदित हो कि डायल-112 में प्रतिनियुक्त एएसआइ स्तर के पुलिस पदाधिकारी के पास पिस्तौल नहीं होता है. जिसके कारण वह हमले के समय अपना बचाव करने में परेशान हो जाते हैं. डीआइजी ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सभी एसपी को निर्देश दिया कि टीम में शामिल ऐसे पुलिस पदाधिकारी को पिस्तौल से लैस किया जाय. डीआइजी के निर्देश पर मुंगेर एसपी सैयद इमरान मसूद सोमवार सुबह तक ऐसे 18 पुलिस पदाधिकारियों की सूची डीआइजी को उपलब्ध करा दिया है. जिनके पास पिस्तौल नहीं है. ऐसे सभी पुलिस पदाधिकारियों को पिस्तौल उपलब्ध कराया जायेगा.

आपसी सामंजस्य का दिखता है अभाव

डीआइजी ने स्पष्ट कहा कि डायल-112 में अलग-अलग ग्रुप के पुलिस पदाधिकारी, जवान व चालक ड्यूटी करते हैं. पुलिस पदाधिकारी बिहार पुलिस के होते हैं, जबकि जवान बीसैप और चालक रिटायर्ड फौजी होते हैं. जिसमें सामंजस्य का घोर अभाव देखने को मिल रहा है. उनका प्रयास होगा कि एक ही ग्रुप के पुलिस पदाधिकारी व जवान व चालक की तैनाती डायल-112 की टीम में हो, ताकि सभी आपसी सामंजस्य बना कर काम करें. ताकि इस तरह की घटना को रोका जा सके.

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