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शहीदों के अरमान जिंदा है, जब तक रहेगा भारत उनका नाम जिंदा है

लोजपा आर की ओर से शहीद भगत सिंह चौक पर रविवार को शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत दिवस को बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया.

बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया शहीद-ए-आजम भगत सिंह का शहादत दिवस मुंगेर. लोजपा आर की ओर से शहीद भगत सिंह चौक पर रविवार को शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत दिवस को बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया. मुख्य अतिथि के रूप में पार्टी के जिला प्रभारी योगेंद्र शाह उपस्थित थे. उपस्थित लोगों ने भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर व पुष्प अर्पित कर नमन किया और दो मिनट का मौन धारण कर देश की आजादी की लड़ाई में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को श्रद्धांजलि दी. वक्ताओं ने कहा कि जो शहीद हुए हैं उनका अरमान जिंदा है. जब तक रहेगा भारत उनका नाम जिंदा है. 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग की घटना का गहरा प्रभाव भगत सिंह के दिल पर पड़ा और 12 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ देश की आजादी की लड़ाई में वे कूद पड़े. उन्होंने राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर काकोरी कांड को अंजाम दिया. 17 सितंबर 1928 को राजगुरु के साथ मिलकर जलियांवाला बाग के दोषी सांडर्स को मार गिराया. 3 अप्रैल 1929 को ब्रिटिश सेंट्रल असेंबली में ब्रिटिश हुकूमत की नींद से जगाने के लिए बम और परचा फेक कर वहीं पर इंकलाब जिंदाबाद का नारा बुलंद किया. देश की आजादी के लिए उन्हें फांसी पर चढ़ना पड़ा. उनके विचारधारा पर चलकर भारत को सशक्त बनाने का हमें संकल्प लेना चाहिए. मौके पर पंकज कुमार, निशी शर्मा, पृथ्वी कुमार, मो आमिर, पंकज पासवान, संजय कुमार सिंह सहित अन्य मौजूद थे.

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