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वश्वि काल्याणार्थ हुयी थी नयागांव दुर्गास्थान की स्थापना

विश्व काल्याणार्थ हुयी थी नयागांव दुर्गास्थान की स्थापना फोटो संख्या : 18फोटो कैप्सन : नयागांव दुर्गास्थान प्रतिनिधि जमालपुरवर्ष 1857 में सिपाही विद्रोह के समय इस्ट कॉलोनी क्षेत्र में श्रीश्री 108 नयागांव दुर्गास्थान की स्थापना की गई थी.तब स्थानीय तंत्र साधक स्व अयोध्या मिश्र उर्फ ओझा बाबा ने वहां मिट्टी की पिंडी बना कर वहां शक्ति […]

विश्व काल्याणार्थ हुयी थी नयागांव दुर्गास्थान की स्थापना फोटो संख्या : 18फोटो कैप्सन : नयागांव दुर्गास्थान प्रतिनिधि जमालपुरवर्ष 1857 में सिपाही विद्रोह के समय इस्ट कॉलोनी क्षेत्र में श्रीश्री 108 नयागांव दुर्गास्थान की स्थापना की गई थी.तब स्थानीय तंत्र साधक स्व अयोध्या मिश्र उर्फ ओझा बाबा ने वहां मिट्टी की पिंडी बना कर वहां शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की पूजा विश्वकल्याण के लिए की थी. इस बात की जानकारी मंदिर के संरक्षक डा दिनेश प्रसाद तथा वर्तमान पूजा समिति के अध्यक्ष शेखर यादव एवं सचिव डा राजेंद्र शर्मा ने दी.उन्होंने बताया कि उसके कुछ दिनों बाद ही तत्कालीन समाजसेवी तथा श्रद्धालु स्व रामलाल मंडल, स्व काशी साह, स्व गौरी साह, स्व चमरू मालाकार तथा स्व खाटो मिस्त्री के नेतृत्व में यहां मंदिर का निर्माण किया गया था. निर्माण काल में इस मंदिर में बलि प्रथा थी. जिसका स्थानीय बुद्धिजीवियों ने विरोध किया. यहां के समाजसेवी तथा प्रख्यात चिकित्सक स्व डा कार्तिक प्रसाद सरस्वती तथा ज्योतिषाचार्य स्व पंडित बसंत मिश्र के प्रबल विरोध के कारण कुछ वर्षों तक इस मंदिर में पूजा बाधित रहा तथा वहां शारदीय नवरात्रि में पूजा नहीं हो की जा सकी. इसी काल में शहर के पश्चिमी क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने यहीं की वेदी की मिट्टी से वर्तमान बड़ी देवी दुर्गा स्थान में शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजनोत्सव आरंभ किया. जिसके बाद दलहट्टा में भी दुर्गापूजा आरंभ हुआ. इस बीच नयागांव के श्रद्धालुओं ने दूबारा यहां दुर्गापूजा आरंभ करने का प्रयास किया परंतु श्रद्धालुओं के दो धड़े हो गये और बलि विवाद के कारण एक धड़ा ने मुंगरौड़ा में नया दुर्गा मंदिर का निर्माण कर लिया. इसके साथ ही इस मंदिर में भी एक बार फिर से माता की पूजा आरंभ हो गया. वर्तमान में यहां बलि प्रथा का चलन नहीं है तथा इसके संस्थापक के ही वशंज पंडित डा मार्तंड कुमार मिश्र यहां के पुरोहित है. मंदिर के उपासक ओम प्रकाश साह ने बताया कि इस मंदिर की विशेषता है कि यदि यहां समर्पण भाव व सच्चे मन से मन्नत की जाती है तो तो मां दुर्गा अपने भक्त की मनोकामना अवश्य पुरी करती है.

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