मुंगेर : केंद्र व राज्य सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए कृषि रोड मैप तैयार किया है. इसके तहत किसानों के लिए अलग से कृषि फीडर बनाने और किसानों को विद्युत कनेक्शन देने की योजना बनायी गयी, ताकि किसानों को फसल पटवन में कोई परेशानी नहीं हो.
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कृषि फीडर निर्माण व किसानों को बिजली कनेक्शन देने में सुस्त है विद्युत विभाग
मुंगेर : केंद्र व राज्य सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए कृषि रोड मैप तैयार किया है. इसके तहत किसानों के लिए अलग से कृषि फीडर बनाने और किसानों को विद्युत कनेक्शन देने की योजना बनायी गयी, ताकि किसानों को फसल पटवन में कोई परेशानी नहीं हो. लेकिन विद्युत अंचल मुंगेर किसानों को […]
लेकिन विद्युत अंचल मुंगेर किसानों को यह व्यवस्था देने में सुस्त है. इसके कारण आज भी यहां के किसान वर्षा और नहर के पानी पर निर्भर हैं. साथ ही डीजल पर एक बड़ी राशि खर्च कर रहे. इधर हजारों किसान कृषि कनेक्शन का इंतजार कर रहे.
कृषि फीडर निर्माण व कनेक्शन में पिछड़ रहा विभाग: विद्युत अंचल मुंगेर में कृषि फीडर निर्माण में साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड पिछड़ रहा है. मुंगेर में जहां 32 में मात्र 16 कृषि फीडर निर्माण का कार्य पूरा हो सका है. वहीं जमुई में 27 में से 5, लखीसराय में 18 में से 9 एवं शेखपुरा में 37 कृषि फीडर में मात्र 23 का ही निर्माण हो पाया है.
इधर कृषि पर जीविका चलाने वाले किसानों ने कृषि कनेक्शन के लिए आवेदन किया, लेकिन कनेक्शन नहीं मिल पा रहा. मुंगेर का हाल है कि यहां 1643 आवेदन आये जिसमें मात्र 345 किसानों को ही कनेक्शन दिया जा सका है.
विभाग आधारभूत संरचना का रो रहा रोना : सरकार किसानों को डीजल की बजाय बिजली आधारित फसल सिंचाई करने को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि कनेक्शन देने का निर्णय लिया. किसानों को मुफ्त में बिजली के कनेक्शन देने की कवायद भी प्रारंभ की गयी.
कार्य को धरातल पर उतारने के मद्देनजर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लि के कर्मी हर बुधवार को जिले के सभी प्रखंड कार्यालयों में शिविर लगाकर मुफ्त में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन स्वीकृत किये गये, लेकिन कनेक्शन देने में विभाग काफी कंजूस निकला. इसके कारण किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. विभाग है कि आधारभूत संचरना का ही अब तक रोना रो रही है.
विभागीय अधिकारियों की माने तो एक तो शिविर लगाने के बाद भी किसान कनेक्शन के लिए पहुंच रहे है. जो पहुंच रहे हैं वे किसान वैसे क्षेत्र के हैं जहां आधारभूत संरचना ठोस नहीं है. वहां न तो बिजली का पोल गया और न ही तार लगा है. जबकि कृषि फीडर का भी निर्माण नहीं हो पाया है. यहीं कारण है कि किसानों को कनेक्शन देने का मामला अधिकांश तौर पर लंबित है.
क्या हैं कृषि कनेक्शन, कितना करना होगा भुगतान
बिजली कनेक्शन देने के समय कंपनी द्वारा कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है. बिजली कनेक्शन मिलने और बिजली उपभोग करने के बाद बिजली बिल के भुगतान के समय निर्धारित शुल्क को जमा लिया जायेगा.
जिसमें सिंगल फेज के लिए आवेदन शुल्क 75 रुपये, इन्सटॉलेशन शुल्क 4 सौ रुपये और सिक्यूरिटी राशि प्रति एच पी 4 सौ रुपये का भुगतान करना होगा.
जबकि थ्री फेज के लिए आवेदन शुल्क 200 रुपये, इन्सटॉलेशन शुल्क 900 और सिक्यूरिटी राशि प्रति एच पी 400 रुपये देना होगा. विभाग ने किसानों की सुविधा के लिए इस राशि को दस बराबर किस्तों में भुगतान का भी विकल्प खुला रखा है.
इन किस्तों पर कोई सूद नहीं लगेगा. किसानों को खेतों में लगी फसल पटवन के लिए मात्र 75 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल का भुगतान करना होगा. कंपनी के अनुसार किसान की ओर से बिजली का उपयोग करने के बाद ही बिजली बिल जमा करना पड़ेगा.
इसके अतिरिक्त किसी तरह का फिक्सड चार्ज नहीं लगेगा. पहले किसानों से खेती के मौसम के अलावे अन्य महीनों में भी मीटर चार्ज सहित कई अन्य चार्ज के नाम पर बिजली बिल लिए जाते थे. बिजली के उपयोग नहीं करने के बावजूद बिजली बिल लगने से किसान कनेक्शन लेने से घबराते थे.
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