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खूबसूरती में मिला दूसरा स्थान, पर अन्य सुविधाएं नदारद

मधुबनी : कभी सबसे अंतिम पायदान पर शुमार मधुबनी स्टेशन वर्तमान में रैकिंग में ए ग्रेड स्टेशन का दर्जा प्राप्त कर लिया है. मिथिला पेंटिंग के जरिये सौंदर्यीकरण में देश में दूसरा स्थान पा चुका है. इस सबके बाद भी स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का अभाव आज भी बना हुआ है. स्टेशन के 1, 2 […]

मधुबनी : कभी सबसे अंतिम पायदान पर शुमार मधुबनी स्टेशन वर्तमान में रैकिंग में ए ग्रेड स्टेशन का दर्जा प्राप्त कर लिया है. मिथिला पेंटिंग के जरिये सौंदर्यीकरण में देश में दूसरा स्थान पा चुका है. इस सबके बाद भी स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का अभाव आज भी बना हुआ है. स्टेशन के 1, 2 व 3 नंबर प्लेटफॉर्म पर यूरिनल व शौचालय का घोर अभाव है. जिससे यात्रियों को खासकर महिला यात्रियों के लिए यह एक बड़ी समस्या है. लेकिन रेल प्रबंधन इस सबसे बेखबर है.
नहीं है यूरिनल व शौचालय. स्टेशन के प्लेटफाॅर्म नंबर एक, दो व तीन नंबर पर यात्रियों के लिए एक भी यूरिनल व शौचालय नहीं है. जिसके कारण ट्रेन के इंतजार में प्लेटफार्म पर आने वाले यात्रियों को काफी परेशानी होती है. इसके अलावा प्लेटफार्म नंबर 1 पर उच्च श्रेणी के महिला व पुरुष प्रतिक्षालय में एक- एक शौचालय है. जबकि स्टेशन परिसर में बना डीलक्स शौचालय ही एक मात्र विकल्प है. ऐसे में यदि दो व तीन नंबर प्लेटफार्म के यात्रियों को यूरिनल व शौचालय की आवश्यकता पड़ती है, तो उन्हें या तो खुले में शौच करने की या फिर स्टेशन परिसर स्थित शौचालय में आकर ही सुविधा उपलब्ध हो सकेगा.
शेड का भी है अभाव. जयनगर नई दिल्ली स्वतंत्रता सेनानी सुपर फास्ट एक्सप्रेस हमेशा दो या तीन पर प्लेटफॉर्म पर खड़ी होती है. जहां यात्री शेड का अभाव है. दो नंबर प्लेटफार्म पर मात्र एक शेड है. जबकि स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन से जाने वाले सैकड़ों यात्रियों को धूप में ही खड़ा रहकर इंतजार करना पड़ता है.
चिलचिलाती धूप व बारिश में यात्रियों को होने वाली समस्या का सहज अनुमान लगाया जा सकता है. सबसे बड़ी समस्या दिव्यांग व बुजुर्ग यात्रियों को होती है. प्लेटफार्म नंबर एक से दो व तीन नंबर प्लेटफार्म जाने के लिए पाथ – वे नहीं है. जिसके कारण ट्राइ साइकिल के जरिये भी दिव्यांग को प्लेटफार्म नंबर 2 पर जाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.
तीन हजार से अधिक टिकट बिक्री. स्टेशन से दूसरे स्टेशन जाने वाले यात्रियों की प्रतिदिन लगभग तीन हजार टिकट की बिक्री होती है. जबकि आरक्षण से प्रतिदिन लगभग दो लाख रुपये की आय होती है. ऐसे में प्रतिमाह यात्रियों से लाखों रुपये की कमाई करने वाली रेल यात्रियों को मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने में अभी भी फिसड्डी साबित हो रहा है. रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निकट भविष्य में यात्रियों को इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने की कोई योजना भी क्रियान्वित होते नहीं दिख रही है.

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