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हर विद्यालय में हो सुरक्षा का बेहतर इंतजाम

मधुबनी : गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल मेंं पिछले गुरुवार को जिले के पंडौल प्रखंड के बड़ागांव निवासी वरुण चंद्र ठाकुर के सात वर्षीय पुत्र की नृशंस हत्या को लेकर जिला स्तब्ध है. एक मासूम को गुरुगांव के बड़े निजी विद्यालय मेंं घर से स्कूल आने के 10 मिनट के अंदर जिस निर्दयता के साथ […]

मधुबनी : गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल मेंं पिछले गुरुवार को जिले के पंडौल प्रखंड के बड़ागांव निवासी वरुण चंद्र ठाकुर के सात वर्षीय पुत्र की नृशंस हत्या को लेकर जिला स्तब्ध है. एक मासूम को गुरुगांव के बड़े निजी विद्यालय मेंं घर से स्कूल आने के 10 मिनट के अंदर जिस निर्दयता के साथ स्कूल के एक बस कंडक्टर के द्वारा हत्या की गयी. इससे जिले के अभिभावक सशंकित हैं.

अधिकतर अभिभावकों का मानना है कि सरकारी विद्यालयों मेंं सुविधा का अभाव, पढ़ाई मेंं उदासीनता एवं बच्चों की सुरक्षा को लेकर ही वे अपने बच्चे को निजी विद्यालयों मेंं भर्ती कराते हैं. पर इस तरह की घटना झकझोरने वाले हैं. जिस स्तर की सुरक्षा व्यवस्था निजी विद्यालयों मेंं होनी चाहिये वह नहीं है. छात्रों को विद्यालय भेज देने के बाद जब तक बच्चे घर वापस नहीं आ जाते हैं तब तक अभिभावक परेशान रहते है. लोगों ने इस घटना के बाद निजी विद्यालयों मेंं भी अव्वल दर्जे की सुरक्षा व्यवस्था किये जाने की बातें की है. हमने जिले के कई अभिभावकों से इस घटना के बाद उनकी मनोदशा व विद्यालय मेंं सुरक्षा को लेकर बातें की जो इस प्रकार है.
अभिभावक देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि निजी विद्यालयों मेंं भी बच्चे असुरक्षित हैं. तय मानकों को निजी विद्यालय पूर्ति नहीं कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं. शहर मेंं कई ऐसे निजी विद्यालय हैं जिनका अपने विद्यालय की चार दीवारी तक नहीं है. ऐसे मेंं बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही लगता है.
वहीं अभिभावक मनोज कुमार झा ने कहा कि गुड़गांव मेंं प्रद्दुम्न की हत्या स्कूल प्रबंधन के लापरवाही के कारण हुआ है. हमारी मांग है कि निजी विद्यालयों मेंं बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिकोण को ध्यान मेंं रखते हुए एक मानक तैयार किए जाए. जिसमेंं प्रशासन, अभिभावक एवं स्कूल प्रबंधन की हिस्सेदारी हो. साथ ही हर दूसरे तीसरे दिन स्कूलों का औचक निरीक्षण हो ताकि यह पता चल सके कि चूक कहां हो रही है.
अभिभावक प्रदीप गोईत ने कहा कि गुड़गांव की घटना मार्मिक हैं.
वहां जिस तरह प्रद्दुम्न की हत्या हुई वह एक रहस्य बना हुआ है. सबसे बड़ा सवाल है कि प्रद्दुम्न की हत्या हो जाने के बाद उसके पिता को स्कूल से फोन आया कि वह बाथरूम मेंं गिर गया है. यह बात स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी को बचाने की साजिश लग रहा है. उन्होंने कहा कि अब तो निजी विद्यालय मेंं भी बच्चे को पढाने पर सोचना पड़ेगा. सुरक्षा का आलम तो ये है कि विद्यालयों मेंं आग से बचने का भी कोई वैकल्पिक इंतजाम विद्यालय मेंं नहीं रहता.
अभिभावक रंजीत पासवान ने कहा कि गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल मेंं प्रद्दुम्न के साथ जो घटना हुई वह हृदय विदारक है. अब बच्चों की सुरक्षा निजी विद्यालयों मेंं कैसे हो इस पर एक नीति बननी चाहिए. ताकि बच्चे विद्यालय मेंं सुरक्षित होकर पढाई कर सकें.
अभिभावक पवन कुमार ने कहा कि अभिभावकों मेंं खासकर बच्चों की मां गुड़गांव घटना को लेकर सहम गयी है. लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर सुरक्षित स्कूल किसे कहेंगे. उन्होंने कहा कि स्कूल के वाहनों मेंं क्षमता से अधिक बच्चों को लादकर स्कूल ले जाया जाता है. इस दौरान कभी भी दुर्घटना हो सकती है. स्कूल मेंं ना तो ढंग से पानी और बैठने तक की व्यवस्था नहीं रहती है. जिस कारण बच्चों की सुरक्षा तो राम भरोसे ही रहता है.
अभिभावक सुभद्रा कुमारी ने कहा कि स्कूल परिसर मेंं सुरक्षा दृष्टिकोण के मानको की अनदेखी की जाती है. परिसर मेंं बेरोक टोक बाहरी आदमी का प्रवेश होता है. स्कूल के ड्राइवर कंडक्टर व स्वीपर को स्कूल आवर मेंं कैंपस मेंं प्रवेश पर रोक होनी चाहिए. वगैर परिचय पत्र के स्कूल के अंदर प्रवेश वर्जित होना चाहिए ताकि गुड़गांव की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके. उन्होने प्रद्दुम्न हत्याकांड की भर्त्सना करते हुए कहा कि सरकार पीड़ित परिवार को न्याय दें.
अभिभावक मिथिलेश रंजन ने कहा कि गुरुगांव की घटना के बाद अभिभावक सहम गए हैं. उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपने बच्चे को पढ़ने आखिर कहां भेजे कौन सा स्कूल सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि आखिर यह कौन निर्धारित करेगा कि कौन से विद्यालय तय मानक की पूर्ति कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार निजी विद्यालयों की जांच कर इसकी सुरक्षा मानकों को तय करें.
वहीं छाया चौधरी बताती है कि सबसे अधिक चिंता तो मां को हो रही है. छात्रों के नहीं आने तक मां वैसे भी चिंतित ही रहती थी. पर जिस प्रकार की घटनाएं हुई है या हो रही है वह तो मानवता को न सिर्फ झकझोड़ने वाली है. बल्कि यह हर अभिभावकों को चिंतित करने वाला है. प्रशासन को इस दिशा मेंं भी सख्त कदम उठाने चाहिये. निजी विद्यालयों मेंं तो फीस मेंं हर साल बढोतरी होती है पर सुरक्षा के कहीं भी बेहतर इंतजाम नहीं है. कब किसके साथ कौन सी हादसा हो जाये यह कहा नहीं जा सकता है.
डा. मीनाक्षी ठाकुर ने कहा कि आये दिन शहर के भी निजी विद्यालयों मेंं इस प्रकार की लापरवाही का मामला सामने आता रहा है. कई बार यहां के विद्यालयों के छात्र स्कूल समय में बाहर निकल कर मौज मस्ती करते देखे जाते हैं. बीते कुछ साल पहले इस प्रकार का एक हादसा जिले मेंं हो भी गया था. पर इसके बाद भी सुरक्षा का मानक स्तर सही नहीं है. घर से अभिभावक उम्मीद के साथ विद्यालय मेंं अपने जिगर के टुकड़े को भेजते हैं. सपने होते हैं. पर विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही के कारण ऐसा हादसा हो जाता है कि सारे सपने चूर हो जाते हैं. बाद में पश्चाताप के अलावे कुछ हासिल नहीं होता. पहले ही सजग होने की जरूरत है.

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