मधुबनी : सरकार चाहे जितना प्रयास लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने में कर ले , पर कई विभाग धरातल पर उतारने में उदासीन हैं. चाहें लोगों को कितनी भी परेशानी झेलनी पड़े . दरअसल, नगर परिषद क्षेत्र के लोगों जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र बनाने के लिए प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है.
जिला मुख्यालय से प्रखंड कार्यालय 7 किलोमीटर दूर पर स्थित है. जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. जबकि सरकार नगर परिषद को प्रमाण पत्र देने की अनुमति दे चुकी है. हालांकि 2013 से पहले नगर परिषद कार्यालय से जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता था. नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने 21 जनवरी 2016 को नगर परिषद को पत्र निर्गत कर जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र के लिए नागरिकों को होल्डिंग टैक्स की अद्यतन रसीद जमा लेने को कहा था.
डीएम को लिखा पत्र. नगर विकास एवं नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने आवास विभाग के पत्र का हवाला देते हुए दो दिन बाद ही जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आदेश मांगा था. जिसमें उन्होंने प्रखंड एवं अंचल कार्यालय को आवश्यक निदेश की बात कही थी. जिला पदाधिकारी कार्यालय से किसी तरह का पत्र नहीं प्राप्त होने के बाद नगर परिषद कार्यालय से एक मार्च 2017 को फिर एक बार पत्र लिखा गया. पर अब तक प्रमाण पत्र बनाने के लिए कोई पत्र नहीं मिला. जिसके कारण लोगों की परेशानी बरकरार है.
विभाग ने दिया था आदेश
नगर विकास एवं आवास विभाग ने नगर परिषद को 2016 में पत्र देकर जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र बनाने के लिए होल्डिंग टैक्स की पावती रसीद की अनिवार्यता कर दी. दरअसल इसका मकसद लोगों को आसानी से प्रमाण पत्र मिलना था .नप के आय के आंतरिक स्त्रोत को बढ़ाना है. इससे लोग समय पर होल्डिंग टैक्स जमा करेंगे. इससे प्राप्त राजस्व से शहर का विकास होगा.
राजस्व की हो रही हानि
दरअसल, नगर परिषद क्षेत्र के अंतर्गत रहने वाले लोगों का आवासीय व जातीय प्रमाण पत्र नप कार्यालय द्वारा नहीं दिया जा रहा है. प्रमाण पत्र बनाने में होल्डिंग टैक्स रसीद की अनिवार्यता भी कर दी गयी थी. पर अब तक प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है. बिना होल्डिंग टैक्स रसीद के ही प्रखंड कार्यालय से प्रमाण पत्र मिल जाता है. लोग होल्डिंग टैक्स जमा करने में उदासीन है. जिससे नगर परिषद को राजस्व की क्षति हो रही है.
80 हजार आबादी प्रभावित
नगर परिषद द्वारा जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. जिसके कारण शहर के करीब 80 हजार आबादी प्रभावित हो रही है. आशीष कुमार, मनीष कुमार, दयानंद, शिवकुमार, विनोद कुमार, रौशन कुमार, प्रवीण ठाकुर सहित अन्य लोगों ने बताया कि नगर परिषद द्वारा जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र नहीं बनने से हमलोगों को काफी परेशानी होती है. प्रखंड मुख्यालय शहर से सात किलोमीटर दूर है. एक प्रमाण पत्र के लिए कई बार जाना पड़ता है.