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अब तो सताने लगी है ठंडी

अब तो सताने लगी है ठंडीफोटो – मधेपुरा 16,17कैप्शन- कड़ाके की ठंड में स्कूल जाती बच्चियां -उफ! ये सर्दी . तीसरे दिन भी नहीं निकला सूरज, बढ़ी कंपकपी -कड़ाके की ठंड व कोहरे में बच्चे जाना पड़ रहा स्कूल प्रतिनिधि, मधेपुराजिले में ठंड का कहर लगातार जारी है. विगत तीन दिनों से क्षेत्र में कड़ाके […]

अब तो सताने लगी है ठंडीफोटो – मधेपुरा 16,17कैप्शन- कड़ाके की ठंड में स्कूल जाती बच्चियां -उफ! ये सर्दी . तीसरे दिन भी नहीं निकला सूरज, बढ़ी कंपकपी -कड़ाके की ठंड व कोहरे में बच्चे जाना पड़ रहा स्कूल प्रतिनिधि, मधेपुराजिले में ठंड का कहर लगातार जारी है. विगत तीन दिनों से क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इस ठंड में खास कर स्कूल जाने वाले बच्चों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दिन के दस बजे तक सड़कें सूनी रहती हैं, लेकिन सरकार हो या प्राइवेट स्कूल के बच्चे पीठ पर स्कूल बैग लेकर सड़क पर निकल जाते हैं. स्कूली बच्चे की इस परेशानी की ओर अब तक न तो जिला प्रशासन का ध्यान गया है और न ही प्राइवेट स्कूल प्रबंधक इस और ध्यान दे रहे हैं. सरकारी विद्यालयों का समय सुबह के नौ बजे रहने के कारण बच्चों को आठ बजे घने कोहरे के बीच घर से निकलना पड़ता है. वहीं कई प्राइवेट स्कूल का संचालन सुबह के आठ बजे से हो रहा है. विडंबना यह है कि सरकारी हो या गैर सरकारी विद्यालय छात्र इस कड़ाके की ठंड में समय पर पहुंच रहे है, लेकिन निर्धारित समय पर शिक्षकों की उपस्थिति न के बराबर रहती है. शुक्रवार को गम्हरिया प्रखंड के इटवा जिवछपुर पंचायत स्थित भागवत पांडे मध्य विद्यालय जिवछपुर की स्थिति कुछ ऐसी ही नजर आयी. हालांकि दस बजते बजते अधिकांश शिक्षक विद्यालय पहुंच चुके थे. ठंड में नैनिहालों की जान सांसत में एक तो यह भीषण ठंड उस पर विद्यालयों में फर्श पर बैठना बच्चों के लिए करैला पर नीम वाली बात हो गयी. इस ठंड में स्कूल पहुंच कर फर्श पर बैठने वाले बच्चों की जान तो सांसत में फंसी रहती हैं जिले में एक ओर सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे हैं लेकिन विडंबना है कि जिले के नवसृजित विद्यालयों सहित प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के लिए बेंच-डेस्क उपलब्ध नहीं है. इन कक्षा के बच्चों को फर्श पर बैठना पड़ता है. ठंड के मौसम में इन बच्चों का बीमार पड़ना स्वाभाविक है. एक तो शीत लहर उपर से गर्म कपड़े के अभाव के बीच ठंडे फर्श पर बोरियां बिछा कर इन बच्चों का बैठना शिक्षा देने के नाम पर सजा देने जैसा है. आम तौर पर ठंड बढ़ने के बाद स्कूलों को बंद कर दिया जाता है. स्कूल खुला रहने पर भी स्कूल आना बच्चों की मजबूरी है. बच्चों के बीमार होने की आशंका कोहरे के साथ ठंड की यही स्थिति रही तो इसका असर स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा. बच्चों के बीमार होने की आशंका से अभिभावक सशंकित होने लगे हैं. ठंड के कारण सड़क पर पैदल जाने वाले स्कूली बच्चे खास कर ज्यादा प्रभावित हो रहे है . सरकारी विद्यालयों के समय परिवर्तन नहीं होने का सबसे अधिक खामियाजा सुबह सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों को भुगतना पर रहा है. जबकि प्राइवेट स्कूल के बच्चों को भी इससे निजात नहीं मिल रहा है. क्षतिग्रस्त स्कूली वाहन के अंदर ठंडी हवा के प्रवेश करने से बच्चों को सर्दी व खांसी की शिकायत होने ली है. वहीं सबेरे कोचिंग क्लास जाने वाले छात्र-छात्राओं को भी परेशानी हो रही है. इधर, बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी स्कूल भेजने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मधेपुरा का तापमान 13 डिग्री हवा के कारण मौसम का पारा शुक्रवार को गिर कर 13 डिग्री पर पहुंच गया था. अहले सुबह शुरू हुए सर्द हवा के बीच हांड़ कपकपा देने वाली ठंड से आम लोगों को दिन भर भी निजात नहीं मिल सकी. सूर्य देवता भी दिन भर निकले आंख मिचौली का खेल खेलते रही. जिले में मंगलवार से ही भीषण ठंड का कहर शुरू हो गया था. हालांकि मौसम विभाग भी ठंड का कहर जारी रहने की बात कही थी. शुक्रवार को दिन के करीब सात बजे भी वाहनों को लाइट जला कर चलते देखा गया. इलाके का न्यूनतम तापमान जहां 13 डिग्री रहा, वहीं अधिकतम तापमान 24 डिग्री था.कंबल व अलाव बना लोगों का सहारा कड़ाके की ठंड के कारण शुक्रवार को भी लोग घर से निकलने से परहेज करते दिखे. हल्की पछुवा हवा के कारण ठंड में थोड़ी चुभन भी थी. हालांकि घर से निकलने वाले ऐसे लोग जो कल तक गरम कपड़े से परहेज कर रहे थे वे भी स्वेटर और जैकेट आदि पहन कर कंबल ओढे नजर आये. वहीं दूसरी ओर ठंड से बचने के लिये लोगों ने दिन भर अलाव का सहारा लिया. उधर, जिला मुख्यालय में कचरा के ढ़ेर में लगी आग के आसपास आवारा पशु भी ठंड से निजात पाने की उम्मीद लगाये बैठे थे. अब तक नहीं हुई है अलाव की व्यवस्था जिले में ठंड का प्रकोप लगातार जारी है. लेकिन शहर के चौक चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. वहीं जिला मुख्यालय सहित प्रखंडों में भी अलाव की मांग होने लगी है. मोटे तौर पर देखा जाता है कि ठंड बढ़ते ही जिले को राशि आवंटित कर अंचलों को राशि उपलब्ध करा दी जाती थी. लेकिन प्रशासन की और से इसकी सुगबुगाहट नहीं देखी जा रही है. चौक चौराहों पर अलाव जलाने की मांग नगरवासियों ने जिला प्रशासन से की है. जरूरत मंद के बीच कंबल का कब होगा वितरण बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के अलावा मंदिर व मठों में सड़क किनारे जीवन यापन करने वाले लोगों को इस ठंड से निजात दिलाने के लिए अब तक कंबल वितरण का कार्य शुरू नहीं किया गया है. कुंदन कुमार, दिलीप कुमार, संतोष कुमार, मनोज कुमार सहित अन्य शहरवासियों ने व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर कब तक जरूरत मंदों के लिए अलाव की व्यवस्था होगी और कंबल का वितरण किया जायेगा. जिला प्रशासन पर टिकी लोगों की नजर लोगों ने मानवीय संवेदना प्रकट करते हुए जिला पदाधिकारी से अनुरोध किया है कि बढ़ती ठंड एवं कोहरा को देखते हुए जिला मुख्यालय एवं प्रखंड मुख्यालय में अलाव की व्यवस्था करने का निर्देश संबंधित अंचलाधिकारी को दें. जिससे लोगों को ठंड से राहत मिल सके. खासकर ऐसे लोग जिनके पास घर नहीं और वे चौक चौराहे स्टेशन केे आस-पास बस स्टैंड आदि जगहों पर रात गुजारते है. ऐसे लोगों को इस कड़ाके की ठंड से बचने का एक मात्र सहारा अलाव ही है. ऐसे लोग इस ठंड को देखते हुए प्रशासन से उम्मीद लगाये बैठे है, कब प्रशासन अलाव की व्यवस्था एवं गर्म कपड़े लोगों के बीच वितरित करते हैं. सावधानी बरतें बच्चे व बुजुर्ग : डॉक्टर इस ठंड में बड़े-बुजूर्गों एवं छोटे छोटे बच्चे की परेशानी बढ़ गयी है. चिकित्सकों ने बढ़ते ठंड को देखते हुए बच्चों एवं बुढ़े लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है. वहीं दूसरी ओर घने कोहरे के कारण सड़क पर आवागमन बाधित रहा. लोगों को दिन में भी गाडि़यों की लाइट जलाना पड़ रहा है. इस दौरान किसी अनहोनी की आशंका से लोग आशंकित है. ठंड में बरतें सावधानी – गर्म कपड़े का प्रयोग करे- गर्म भोजन का उपयोग करें- ज्यादा ठंड में अलाव का सेवन करें – गर्म पानी से स्नान करें- पानी को उबाल कर पीए – खुले बदन बाहर न निकले – बुढ़े एवं बच्चे ठंड में नहीं घूमे अभी जारी रहेगा शीतलहर का प्रकोप एक तरफ जहां जिला प्रशासन द्वारा जिले में अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. वहीं दूसरी तरफ मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि अगले एक से दो दिनों तक शीतलहर का प्रकोप जारी रहेगा. प्रशासन द्वारा अगर जिले में अलाव की व्यवस्था की भी जाती तो वह कब तक होता है वह देखने की बात होगी.

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