मधेपुरा : कोसी इलाके में लाइफ लाइन बन चुकी एनएच 107 की बदहाली से स्थानीय लोगों का रोजाना सामना होता है. हालांकि बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के दावे सरकार और प्रशासन दोनों ही कर रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर ही है. प्रमंडलीय मुख्यालय ही नहीं नेपाल जाने का यही मार्ग […]
मधेपुरा : कोसी इलाके में लाइफ लाइन बन चुकी एनएच 107 की बदहाली से स्थानीय लोगों का रोजाना सामना होता है. हालांकि बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के दावे सरकार और प्रशासन दोनों ही कर रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर ही है. प्रमंडलीय मुख्यालय ही नहीं नेपाल जाने का यही मार्ग है. लोग इसी मार्ग से आते जाते हैं, लेकिन यह डगर काफी कठनाई भरा है.
रात में इस रास्ते से आना जाना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है. मधेपुरा से होते हुए सहरसा तक जाने वाला मार्ग वर्तमान समय में अपना अस्तित्व खो रहा है. जर्जर सड़क ऐसी कि जिस पर राहगीरों को सफर करना मुश्किल हो जा रहा है. जिन्हें प्रतिदिन इसी मार्ग पर आवागमन करना है, उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सड़क कई जगहों पर लोक निर्माण विभाग के तहत भी आती है. अभी मेंटेंनेंस करने का जिम्मा भी इसी विभाग को दिया गया है. लगभग चार वर्ष पहले सड़क का निर्माण हुआ था. लेकिन मरम्मत के अभाव में अब सड़क बदहाली की कगार पर पहुंच गई है. सड़क में अनगिनत गड्ढे तथा कहीं-कहीं विकराल रूपी गड्ढे दुर्घटना को भी दावत देते हैं. यही नहीं कुछ जगहों पर मार्ग पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका है. सड़क पर तीन-तीन फीट गहरे गड्डे बन गये है.
खतरनाक हैं एनएच 107 का सफर . सुरक्षित सफर करना चाहते है तो एनएच 107 का सफर आपके लिए भरोसेमंद नहीं है. एनएच पर ड्राइविंग करना यानी ऐसे सड़क पर सफर करना है. जहां एक जगह मौत तो दूसरी तरफ खाई जैसे हालात बन गयी है. दरअसल कोसी के इलाके में कुछ ऐसी सड़कें हैं, जहां ड्राइविंग करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, क्योंकि मधेपुरा से सहरसा तक जाने वाली इस एनएच पर पर हर पल मौत के साथ खेलना पड़ता है. इसके बावजूद ऐसी सड़कों पर लोगों का आना-जाना बना रहता है. राहगीरों के समक्ष भी आवागमन की मजबूरी बनी हुई है.
तीन-तीन फीट के बन गये गड्डे
जीतापुर से मधेपुरा होते हुए सहरसा तक के सफर में एनएच 107 पर हजारों गड्डे बने हुए है. इसके सैकड़ों की तादाद में जानलेवा गड्डे भी बने है. जिसकी गहराई तीन फीट से अधिक है. इन गड्डों में बाइक सवार अनियंत्रित हो जाते है. वही चारपहिया वाहनों का चेचिस जमीन के संपर्क में आ जाती है. दिन के समय में किसी तरह वाहनों की आवाजाही हो जाती है. लेकिन रात के अंधेरे में वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है.
फिसलने लगे हैं बाइक सवार
एनएच 107 अब नाम मात्र की रह गयी है. सड़क अधिकांश जगहों पर टूट गयी है. खासकर चकला व मिठाई में स्थिति विकराल हो गयी है. सड़क का मेटेरियल डस्ट अब वाहन हादसे की वजह बनने लगी है. रेत पर बाइक रोजाना फिसलने लगी है. ऐसे में लोग सड़क पर गिरकर जख्मी होने लगे है. बाइक से गिरने की स्थिति में दूसरे वाहन की चपेट में आने का खतरा हमेशा बना रहता है.
पक्ष से लेकर विपक्ष तक मौन है
एनएच 107 के दोहरीकरण की घोषणा व मोटरेबुल बनाये जाने की बातें अब आम जनता को रास नहीं आ रही है. सड़क को जर्जरता से उबारने के लिए सत्ता में शामिल व विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों की आवाज भी मंद हो गयी है. सभी मौन होकर रोजाना हादसे का इंतजार कर रहे है.