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एक पार्क के लिए तरस रहा है लखीसराय

एक पार्क के लिए तरस रहा है लखीसराय फोटो संख्य :02चित्र परिचय: लाली पहाड़ी प्रतिनिधि, लखीसरायलखीसराय को जिला बने भले ही वर्षों बीत गये, लेकिन शहर में कई प्रमुख शहरी व्यवस्था नहीं हो पायी है. इनमें सबसे ज्वलंत समस्या एक अदद पार्क का नहीं होना है, जिसमें शहर के लोग व बच्चे अपना मनोरंजन व […]

एक पार्क के लिए तरस रहा है लखीसराय फोटो संख्य :02चित्र परिचय: लाली पहाड़ी प्रतिनिधि, लखीसरायलखीसराय को जिला बने भले ही वर्षों बीत गये, लेकिन शहर में कई प्रमुख शहरी व्यवस्था नहीं हो पायी है. इनमें सबसे ज्वलंत समस्या एक अदद पार्क का नहीं होना है, जिसमें शहर के लोग व बच्चे अपना मनोरंजन व मॉर्निंग वाक जैसे स्वास्थ्यवर्धक कार्य कर सके. हालांकि शहर के लोग नया बाजार स्थित लाली पहाड़ी के समीप पार्क बनाने की मांग वर्षों से प्रशासन से करते आ रहे हैं. लेकिन इन मांगों को प्रशासनिक व राजनीतिक स्तर पर पूरा करने की बात तो दूर, वर्षों पूर्व से रेलवे की जमीन पर बना पार्क भी आज सब्जी मंडी के रूप में अपनी शोभा बढ़ा रहा है. इन पार्क में रेलवे के द्वारा फव्वारा सहित अन्य प्रकार के फूल, पौधे लगाये गये थे. इसके अलावा अन्य एक दो स्थानों पर पूर्व से पार्क बना हुआ था लेकिन शहर की बढ़ती आबादी ने इसे लील लिया.लाली पहाड़ी का हाल नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 32 व 33 के बीच शहर से समाहरणालय की ओर जानेवाली मुख्य पथ से सटे लाली पहाड़ी के नाम से पहचान बना चुके इस पहाड़ी के ऊपर आज भी ऐतिहासिक धरोहर, पूर्व में राजा इंद्रदमनेश्वर के राजमहल का अवशेष की झलक दिखती है. इस पहाड़ी मे बने गुफा का अवशेष भी मिला है.क्यों महत्वपूर्ण है लाली पहाड़ीपर्यटन की असीम संभावना को अपने अंदर समेटे यह पहाड़ी मुख्य सड़क से सटे किऊल नदी की ओर जाने वाली सड़क पर नदी तट तक फैली है. इस पहाड़ी के नीचे बने गुफा में काले पत्थरों की लगभग पांच क्विंटल से ज्यादा वजन का पत्थर है. इसकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है. पहाड़ी पर आज भी माता दुर्गा की अर्द्धनिर्मित मंदिर अवस्थित है. जहां प्रत्येक वर्ष पहली जनवरी व मकर संक्रांति के मौके पर लोग पहुंचते हैं. पाल वंश के शासक राजा इंद्रदमनेश्वर व उनका परिवार इस गुफा के रास्ते अशोक धाम स्थित भोले बाबा की पूजा करने जाते थे. पहाड़ी के बीच स्थित मैदान में स्थित जोड़ा मंदिर भी लोगों को आकर्षित करता है.30 वर्षों से यहां है घनी आबादी पर्यटन की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस पहाड़ी पर वर्ष 1977 से ही आबादी बसनी शुरू हो गयी थी. जिले में आने वाली बाढ़, दियारा, टाल व सामंती जुल्मों के शिकार लगभग 10 हजार महादलितों की आबादी पहाड़ी के आसपास निवास कर रही है. यहां मतदाताओं की संख्या लगभग चार हजार के आसपास है. लेकिन नगर परिषद क्षेत्र के अंतर्गत आने के बावजूद यहां निवास करनेवाले लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. पहाड़ी की तलहटी में वर्षों से निवास कर वाले लोगों ने बताया कि वे सब वर्षों से यहां निवास कर अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं. लेकिन इन्हें सुविधा उपलब्ध कराने वाला कोई नहीं है.प्रयास किया जनप्रतिनिधियों व समाज सेवियों ने लाली पहाड़ी पर पार्क बनाने को लेकर समय-समय पर समाजसेवियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रयास जारी है. इसके लिए समाजसेवी संजय रजक के नेतृत्व में विकास समिति भी बनायी गयी, जिनके प्रयास से तत्कालीन जिलाधिकारी व पुरातत्व विभाग की टीम ने पहाड़ी का निरीक्षण भी किया. श्री रजक ने बताया कि पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस स्थल को लेकर सबों ने राजनीति की. वार्ड पार्षद रेखा देवी ने बताया कि नप के सशक्त स्थायी समिति व बोर्ड की बैठक में पहाड़ी पर पार्क बनाने का मुद्दा बराबर उठाया जाता है. लेकिन अब तक इसे नजर अंदाज किया जा रहा है. पार्षद श्री मति देवी ने बताया कि फिलहाल सीढ़ी द्वारा पहाड़ी पर चढ़ा जाता है.बोले अधिकारीइस संबंध में नप के कार्यपालक पदाधिकारी संतोष कुमार रजक ने बताया कि लाली पहाड़ी पर पार्क निर्माण के लिए नगर परिषद प्रयासरत है.

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