लखीसराय : बहुप्रसिद्ध लाली पहाड़ी की खुदाई के दौरान मंगलवार को पहाड़ी के पूर्वी छोड़ पर बौद्ध भिक्षुओं के लिए बने पूजन स्थल स्तूप मिला है. हालांकि यह स्थान बौद्ध महाविहार में बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लाया जाता था, जिस कारण यहां छोटा स्तूप मिलने से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि बौद्ध महाविहार में ही पूजन स्थल बना कर यहां रहने वाले बौद्ध भिक्षु पूजन करते होंगे. वैसे खुदाई कार्य की मॉनेटरिंग कर रहे विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने बताया कि जिले के घोसीकुंडी पहाड़ी पर में विशाल स्तूप हैं. लाली पहाड़ी पर बौद्ध भिक्षुओं का आवासीय स्थल रहा था, संभव है कि यहां पूजा के लिए छोटे स्तूप का निर्माण किया गया होगा.
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बहुप्रसिद्ध लाली पहाड़ी की खुदाई में मिला स्तूप
लखीसराय : बहुप्रसिद्ध लाली पहाड़ी की खुदाई के दौरान मंगलवार को पहाड़ी के पूर्वी छोड़ पर बौद्ध भिक्षुओं के लिए बने पूजन स्थल स्तूप मिला है. हालांकि यह स्थान बौद्ध महाविहार में बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लाया जाता था, जिस कारण यहां छोटा स्तूप मिलने से यह अंदाजा लगाया जा रहा […]
उन्होंने बताया कि लखीसराय में लाली पहाड़ी के आसपास के क्षेत्र घोसीकुंडी, बिछवे पहाड़ी, उरैन की पहाड़ी सहित कई अन्य जगहों पर बौद्ध धर्म से जुड़े प्रमाण मिले हैं. जिसमें लाली पहाड़ी बौद्धभिक्षुओं के आवासन के लिए बनाया गया था. जिस बौद्ध महाविहार में 96 कक्ष बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए बनाये गये थे. जिसकी खुदाई का कार्य चल रहा है, जिसमें 50 से अधिक कक्ष अब तक मिल चुके हैं तथा उसके बीच में बरामदा, चारों ओर सुरक्षा टावर की व्यवस्था भी रखी गयी थी.
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