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पॉल्ट्री, इथेनॉल व स्टार्च क्षेत्र में मक्के की बढ़ती मांग से कीमत में हुआ दोगुना इजाफा, किसानों के खिले चेहरे

मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. इस समय बाजार में मक्का की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. मंडियों में मक्का की कीमतों में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी गई है.

फोटो 10, ट्रैक्टर पर लदा मक्का-लगातार शिखर पर मक्का का दाम-किसान और स्टॉकिस्ट दोनों को फायदाइथनोल फैक्ट्री में आपूर्ति के कारण बढ़ी मक्के की डिमांड प्रतिनिधि, ठाकुरगंज मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. इस समय बाजार में मक्का की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. मंडियों में मक्का की कीमतों में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी गई है. इससे मक्का किसानों को बेहतर लाभ की उम्मीद बंधी है. मक्का की कीमतों में आए उछाल को लेकर जानकारों का कहना है कि पोल्ट्री व्यवसाय की बढ़ती मांग और इथेनाल बनाने में मक्का के उपयोग के कारण मक्का के भावों में तेजी आई है. इसी कारण हालात यह हो गए है कि इस समय मक्का के भाव एमएसपी से ऊपर बने हुए हैं. लेकिन ठाकुरगंज में अभी भी मकई का भाव 2000 रूपया से 2100 रूपया तक ही है. बताते चले कि केंद्र सरकार की ओर से मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 फसल सीजन के लिए 2,090 रुपए निर्धारित किया गया है. देश की विभिन्न मंडियों में मक्का का भाव 2300 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है. इससे पहले अक्टूबर 2023 की शुरूआत में मक्का भाव 1850 रुपए था जो एमएसपी से भी कम था. लेकिन तीन माह के दौरान मक्का के भावों में काफी अच्छी तेजी देखी रही है. ऐसे में किसानों के लिए इस समय मक्का के अच्छे भाव प्राप्त करने का बेहतर मौका है. इस धंधे से जुड़े ताते लोग बताते है कि इस साल 2023 के अक्टूबर माह की शुरुआत से मक्का के भावों में तेजी आनी शुरू हो गई थी और वर्तमान में भाव एमएसपी के बराबर चल रहे है. आगे भी इसके भावों में इजाफा हो सकता है. क्योंकि इस समय भारत सरकार ने बाहर से मक्का के आयात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. ऐसे में बाहर से हमारे देश में मक्का का आयात नहीं हो पा रहा है. हमारे देश में इस साल मक्का का उत्पादन इतना नहीं हुआ है जो बाजार की मांग को पूरी कर सके. ऐसे में जिन किसानों ने मक्का का स्टॉक कर रखा है, उनके लिए यह फसल मुनाफे की फसल साबित हो रही है. मक्का की इस तेजी का कारण देश के दूसरे हिस्सों में मक्का की कमी एवं देश के बाहर एक्सपोर्ट होना बताया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो सबसे अधिक फायदा उन स्टॉकिस्टों को हो रहा है जो किसानों से मक्का खरीद कर या तो फैक्ट्री में देते या देश के बाहर एक्सपोर्ट करते है.

विगत दो वर्षों के वनिस्पत दोगुना दाम मिल रहा है

वर्ष 2022 में इस समय 1000 से 1200 रूपया किवंटल बेचने को बाध्य किसानों को इस बार सीजन की शुरुआत में ही 2000 रूपया प्रति क्विंटल मिल रहा है. बता दें कि ठाकुरगंज मंडी में अभी भी हर दिन करीब 5 हजार से 6 हजार क्विंटल मक्का की आवक है. गलगलिया में स्टार्च फैक्ट्री खुलने के कारण ठाकुरगंज इन दिनों मकई की बड़ी मंडी बन गया है. मक्का का उपयोग कपड़ा, स्टार्च और कुक्कुट समेत अन्य उद्योग में लगातार किया जा रहा है.

किसान खुश, पॉल्टी उद्योग परेशान

जहां एक ओर दाम बढ़ने से किसान खुश हैं. वहीं मक्का की सप्लाई कम होने से पॉल्ट्री (मुर्गी पालन) उद्योग और स्टार्च मिलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पॉल्ट्री उद्योग और स्टार्च मिल मालिकों ने सरकार से मक्का की उपलब्धता बढ़ाने के उपाय करने का आग्रह किया है. व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि देश में मक्का के दाने और मक्का की खली का उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. मक्का का जहां पॉल्ट्री क्षेत्र में ज्यादा उपयोग होता है. वहीं मक्का खली को दुधारू पशुओं के लिये उपयोगी माना जाता है.

दर्जनों व्यवसाई कर रहे है खरीद-बिक्री

पूर्व में मक्के की खरीद-बिक्री में इक्का-दुक्का व्यवसायी जुड़े थे. लेकिन गलगलिया में स्टार्च फैक्ट्री खुलने के बाद दर्जन भर से ज्यादा व्यवसायी जुड़े हैं.जिसमे कुछ तो सीधे फैक्ट्री के लिए खरीद बिक्री करते है वही कुछ अन्य प्रदेशों संग बंगलादेश को सप्लाई दे रहे है.

मक्के का उत्पादन एवं उपयोग

मक्के की दाम में तेजी का एक बड़ा कारण इथनोल बताया जा रहा है. बताए चले कि इथेनॉल के निर्माण के लिए मक्का को एक आदर्श कृषि उपज माना जाता है. तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने मक्का और अन्य अनाजों से इथेनॉल के लिए 5.79 रुपये प्रति लीटर के अतिरिक्त प्रोत्साहन की घोषणा की है. इस कारण अनाज आधारित भट्टियों को इथेनॉल के लिए 71.86 रुपये प्रति लीटर प्राप्त होंगे. ये डिस्टिलरियां पहले ओएमसी के नजदीकी डिपो को इथेनॉल की आपूर्ति कर रही थीं. अब हालिया नीति परिवर्तन के कारण ओएमसी डिस्टिलरीज को लंबी दूरी पर इथेनॉल परिवहन करने के लिए कह रहे हैं, जिससे उनकी व्यवहार्यता प्रभावित हो रही है. वहीं इथेनॉल के लिए चावल की अनुपलब्धता के कारण, अनाज आधारित भट्टियां खुले बाजार से मक्का खरीदने के लिए मजबूर हो जाएंगी. लेकिन इससे पोल्ट्री उद्योग पर गंभीर असर पड़ेगा. ऐसे में अंडे और चिकन की कीमत बढ़ने की संभावना है. पोषण पर इसके असर का अभी अनुमान नहीं लगाया गया है. जानकार बताते है कि यदि 20 प्रतिशत मिश्रण हासिल करना है तो 2025 तक इथेनॉल के लिए 16.5 मिलियन टन मक्का की आवश्यकता हो सकती है, जो भारत के उत्पादन के आधे से कम है. यह स्पष्ट रूप से तब तक संभव नहीं है जब तक कि उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि न हो जाए.

इथनाल फैक्ट्री में सप्लाई के कारण पशु चारा व पोल्ट्री व्यवसाय पर पड़ेगा असर

जानकार बताते है कि मक्का की कीमतें बढ़ने से पशुधन चारा क्षेत्र पर असर दिखाई देगा. खरीफ की फसल समाप्त हो गई है और आवक 25 से 27 प्रतिशत कम हो रही है. अनियमित मानसून के कारण फसल प्रभावित हुई है. इसके कारण कीमतों में तेजी दिखाई दे रही है. इधर व्यापारी कीमतें बढ़ने की आशा में इसका स्टॉक किए हुए है, क्योंकि सरकार ने इथेनॉल उत्पादन में मक्का के उपयोग की अनुमति दी है. यदि सरकार मक्का से आयात शुल्क हटा दे तो पोल्ट्री उद्योग को कुछ राहत मिल सकती है

हरियाणा और दक्षिण भारत भेजा जा रहा मक्का

जिले में इस बार मक्का के बम्पर उत्पादन हुआ है. जिस कारण आधे दर्जन से ज्यादा व्यापारी सीधे खरीद कर रहे है और यहां के मक्के को देश के दुसरे हिस्सों में पहुंचाया जा रहा है. इन जगहों पर बड़े पैमाने पर इथनाल फैक्ट्री होने के कारण सप्लाई हो रही है. यही कारण है कि इन इलाकों में ठाकुरगंज से मक्का भेजा जा रहा है.

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Prabhat Khabar News Desk
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