दिघलबैंक : लोक आस्था का महापर्व छठ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता और आडंबर व दिखावा से रहित होना है. इस पर्व में न तो मंदिर की जरूरत होती है न ही प्रतिमा की और न ही मंत्रों की. परिवार की सुख समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत का एक खासियत यह भी है कि इस पर्व के दौरान प्रकृति का भी पूरा ध्यान रखा जाता है.
दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित राम प्रसाद झा बताते है कि सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी उषा और प्रत्युषा है. छठ पर्व में साय काल सूर्य की अंतिम किरण प्रत्युषा तथा प्रात: काल सूर्य की पहली किरण उषा को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर के साथ साथ इन दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना की जाती है.
कमर भर पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य का ध्यान करते समय व्रतियों के मन में प्रार्थना का यह भावन रहता है कि हे सूर्य देव हमारे तन मन जीवन का खारापन मिटा कर इसे निर्मल मधुर कर दो.