किशनगंज : कलमजीवियों ने पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले अपने आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना शुक्रवार को परंपरागत तरीके से की. कायस्थों ने कहीं सामूहिक, तो कहीं एकल पूजा के साथ अपने आराध्य को याद किया.
श्री आदि चित्रगुप्त मंदिर रौलबाग में सामूहिक पूजा-अर्चना की गयी. शहर के एक मात्र चित्रगुप्त मंदिर में शहर के कायस्थ समाज ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस अवसर पर उपस्थित चित्रगुप्त पूजा समिति के अध्यक्ष डा एके सिन्हा ने बताया कि ज्ञान के अधिष्ठाता भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना से पढ़ने-लिखने में रुचि बढ़ती है.
उन्होंने बताया कि इस दिन कायस्थ समाज कलम बंद रखते हैं. वर्ष 1960 में वर्तमान स्थल पर शुरू की गयी पूजा के संबंध में डा सिन्हा ने बताया कि जस्टिस रामनंदन प्रसाद जो उस समय किशनगंज न्यायालय में बतौर मुंशिफ पदस्थापित थे.
उन्होंने चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत की. चित्रगुप्त पूजा प्रारंभ करने में उस समय सक्रिय रहे संस्कृति परिषद ने भी प्रशंसनीय भूमिका निभायी. सेवानिवृत प्राध्यापक डा उमेश नंदन सिन्हा ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त कलमजीवियों के आराध्य देव हैं. उनकी कृपा से सब कुछ संभव है, पूजा-अर्चना के उपरांत देर शाम मंदिर प्रांगण में भगवान चित्रगुप्त की महाआरती उतारी गयी.
इस मौके पर अध्यक्ष डा एके सिन्हा,हरि प्रकाश सिन्हा, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, दीपक श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, संजय कुमार वर्मा ने अहम योगदान दिया.