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ओद्रा घाट में पूरी हुई पूजा की सभी तैयारी

किशनगंज : शहर से मात्र 13 किमी दूर अवस्थित ओद्रा काली बाड़ी अपनी वैभवता व आस्था के कारण इलाके में दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि ओद्रा घाट निवासी सरदारी ठाकुर ने स्वप्न में देवी की मूर्ति स्थापित करने का आदेश देवी द्वारा प्राप्त हुआ था. तत्पश्चात सरदारी ठाकुर ने वर्ष 1967 में […]

किशनगंज : शहर से मात्र 13 किमी दूर अवस्थित ओद्रा काली बाड़ी अपनी वैभवता व आस्था के कारण इलाके में दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि ओद्रा घाट निवासी सरदारी ठाकुर ने स्वप्न में देवी की मूर्ति स्थापित करने का आदेश देवी द्वारा प्राप्त हुआ था. तत्पश्चात सरदारी ठाकुर ने वर्ष 1967 में पत्थर निर्मित मां काली की प्रतिमा स्थापित की थी.

डोंक नदी के किनारे अवस्थित इस काली मंदिर में मुरादें मांगने वालों की हर मनोकामना पूरी हो जाने के कारण इस मंदिर की ख्याति दिनों दिन फैलती चली गयी. दूर राज के इलाकों से भक्त मंदिर आने लगे. कालांतर में जन सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. मंदिर परिसर में मां काली के साथ-साथ शिव भगवान का मंदिर, राम सीता मंदिर, हनुमान मंदिर व काल भैरव का मंदिर अवस्थित है.

इस मंदिर में मां काली की आराधना वैष्णवी रूप में किये जाने के कारण यहां बलि नही दी जाती है. मुरादें पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं द्वारा लाये बकरे का कान काट कर उसे छोड़ दिया जाता है. वर्ष 1998 में सरदारी ठाकुर के निधन के पश्चात उनके पुत्र मनोहर ठाकुर द्वारा इस मंदिर में लगातार पूजा अर्चना की जा रही है.

स्थानीय लोगों से सहयोग प्राप्त कर मनोहर ठाकुर द्वारा यहां भव्य रूप से मां काली की पूजा की जाती है. इस मौके पर यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. काली पूजा के मौके पर बिहार के साथ साथ पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल व पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी भक्त पूजा करने आते हैं.

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