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सबकी मन्नतें पूर्ण करती हैं स्वर्ण देवी

स्वर्ण देवी के नाम से विख्यात हैं नयागांव सतखुट्टी की मां दुर्गा

-स्वर्ण देवी के नाम से विख्यात हैं नयागांव सतखुट्टी की मां दुर्गा -भक्तों की मन्नतें पूर्ण होने पर चढ़ावा के रूप में सोने का आभूषण परबत्ता. प्रखंड के नयागांव सतखुट्टी की मां दुर्गा स्वर्ण देवी के नाम से विख्यात है. सन् 18 वीं सदी के द्वितीय दशक में सप्तमी वंश के मेहरबान सिंह को देवी ने दर्शन देकर मंदिर स्थापित कर पूजा प्रारंभ करने का प्रेरणा दी और पूजा प्रारंभ हुआ. यह मंदिर वर्तमान स्थल से दूर सतखुट्टी टोले में स्थित था. कलांतर में गंगा नदी के कटाव से यह टोला विस्थापित हो गया. कहा जाता है कि टोले की पूरी आबादी को कटाव से विस्थापित करने के बाद गंगा नदी मंदिर तक पहुंचकर अपने मूल स्थान की ओर लौट गई. बाद में जहां मंदिर स्थापित था वह स्थान एक टीले के रूप में उभरकर आया. सबकी मन्नतें पूर्ण करती हैं स्वर्ण देवी वर्ष 1979 में पुराने मंदिर के मिट्टी को एकत्रित कर वर्तमान स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के इस दरबार से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है. भक्तजन यहां चढ़ावा में सोने का आभूषण देते हैं. इसलिए स्वर्ण देवी के नाम विख्यात हैं. शारदीय नवरात्रा में संध्या के समय भव्य आरती का आयोजन होता हैं. पूर्व जिला परिषद सदस्य शैलेन्द्र कुमार शैलेश ने बताया कि शारदीय नवरात्रा के प्रथम दिन मंदिर से गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा शुरु होता है. पुरानी परंपरा के तहत पूर्ण संकल्प के साथ मंदिर के मुख्य पुरोहित डब्लू मिश्र कलश में गंगा जल भरकर जब मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं तो सैकड़ों की संख्या में मुख्य पंडा के चरणों में जल चढ़ाने को लेकर होड़ मच जाती है. उस समय एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. इस मंदिर में चतुर्भुज दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण सिद्ध शिल्पकार के बजाय गांव के ही एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है. मान्यता के अनुसार नयागांव के कार्तिक स्वर्णकार के पूर्वजों को मां दुर्गा ने स्वप्न दिया था कि मेरी प्रतिमा प्रत्येक वर्ष तुम या तुम्हारे परिवार का कोई भी सदस्य बनायेगा. स्वर्णकार ने कहा कि हे मां मुझे मूर्ति बनाना नहीं आता है. इसके अलावा मेरे वंशज यह काम करेगा या नहीं यह नहीं जानता हूं. मां ने स्वर्णकार से कहा कि तुम केवल मिट्टी रखते जाओ प्रतिमा खुद बन जाएगी. इतना कहते ही अन्तरध्यान हो गई. तब से आज तक बिना किसी प्रशिक्षण के इस परिवार के लोगों द्वारा प्रतिमा निर्माण किया जा रहा है. गांव तट पर अवस्थित मंदिर की भव्यता देखकर भक्त गण खुश हो जाते हैं. मंदिर को हजारों एलइडी लाइट से सजाया जाता हैं. रात्रि में प्रकाश की एक मनमोहक छटा देखने को मिलती है. नवरात्रा में भक्तों का जन सैलाब उमड़ पडता है. नयागांव सतखुट्टी की मां दुर्गा सिद्ध पीठ के रूप में भी जानी जाती हैं. निर्जला उपवास में रहती हैं दर्जनों महिलाएं ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर परिसर में कष्टी भवन एवं कुमारिका भवन का निर्माण किया गया है. कष्टी भवन में नवरात्र के मौके पर निर्जला उपवास करने वाली दर्जनों महिला उसी भवन में नौ दिनों तक रहकर मां दुर्गा की आराधना करती हैं एवं कुमारिका भवन में नौ दिनों तक कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाया जाता है. दंड प्रणायाम से पहुंचते हैं भक्त गण मन्नतें पूर्ण होने पर दंड प्रणायाम के सहारे स्वर्ण देवी दुर्गा मंदिर के दरबार में भक्तजन पहुंचते हैं. शारदीय नवरात्र में अष्टमी के दिन सीढ़ी गंगा घाट नयागांव से दंड प्रणायाम के सहारे मां के दरबार में पहुंचने वाले भक्तों की भीड़ देखने को मिलता है. शारदीय नवरात्र में दूर दराज से भक्त जन मां की दरबार में पहुंचते हैं.

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