-डीपीओ ने कहा, जांच कर की जायेगी कार्रवाई
खगड़ियाः अलौली में एक और आस्था आंनद जैसा ही मामला सामने आया है. आस्था मामले में जहां कम उम्र दिखा कर परीक्षा में शामिल होने का मामला प्रकाश में आया था. वहीं अलौली में इससे थोड़ा बड़ा कारनामा दिखाया गया है. यहां मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही नीलम पहले सहायिका बनी फिर सेविका व अब महिला पर्यवेक्षिका बन कर कार्य कर रही है.
नीलम एक अथवा दो वर्ष से नहीं बल्कि 28 वर्ष से नौकरी कर रही है. जब वह ज्वाइन की थी, उनकी उम्र महज 14 वर्ष ही थी.महिला पर्यवेक्षिका ने स्वयं ही यह जवाब दिया है कि वे वर्ष 1986 में सहायिका के पद पर बहाल हुई थी. तब से वह कार्यरत हैं. वर्तमान समय में अलौली प्रखंड में ही महिला पर्यवेक्षिका के पद पर पदस्थापित है.
शैक्षणिक प्रमाण पत्र से हुआ खुलासा
आरटीआइ के तहत मांगी गयी सूचना से इस बात का खुलासा हुआ है कि अलौली प्रखंड के शुंभा पंचायत स्थित केंद्र संख्या 19 पर सहायिका के पद पर नीलम देवी 1986 में बहाल हुई थी. आरटीआइ के तहत दिये जवाब में इस बात को उन्होंने स्वीकार करते हुए अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र भी आरटीआइ कार्यकर्ता दीपक कुमार अकेला को जिला प्रोग्राम पदाधिकारी के माध्यम से उपलब्ध कराया गया.
शैक्षणिक प्रमाण पत्र उन्होंने मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट का दिया है. दोनों शैक्षणिक प्रमाण पत्र में सहायिका या फिर महिला पर्यवेक्षिका नीलम देवी ने मैट्रिक की परीक्षा उन्होंने 1989 में तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा वर्ष 2007 में उत्तीर्ण किया है. इन दोनों शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में इनका जन्म तिथि एक जनवरी 1972 अंकित है. जबकि इन्होंने वर्ष 1986 से ही सहायिका के पद पर कार्यरत होने की बातें कही है. यानी स्पष्ट है कि इन्होंने पहले मात्र 14 वर्ष की उम्र में नौकरी पायी, फिर पदोन्नति पाने के लिए उच्च शिक्षा की परीक्षा पास की.
होगी जांच व कार्रवाई
इधर डीपीओ सुधीर कुमार ने बताया कि आरटीआइ के तहत जिले के पूर्व डीपीओ ने आवेदक को सहायिका/महिला पर्यवेक्षिका के शैक्षणिक प्रमाण पत्र आदि की जानकारी दी है. अभी दो दिन पूर्व ही वे इस जिले में योगदान किये हैं. उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सत्यता की जांच करायी जायेगी. अगर मामला सही पाया गया तो कार्रवाई की जायेगी.