फोटो . 19 व 20 में कैप्सन- प्रवचन करते प्रवाचिका व प्रवचन सुनते श्रद्वालुप्रतिनिधि, मानसीभगवान की कथा कहनेवाला व सुननेवाला दोनों का लक्ष्य भगवान की प्राप्ति करना होता है. भगवान की प्राप्ति के लिए चिंतन करना पड़ता है चिंतन के लिए विवेक की आवश्यकता होती है उक्त बातें सोमवार को माता कनकेश्वरी देवी ने रेलवे मैदान मानसी मे चल रहे संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवें दिन कही. उन्होंने कहा कि बिना सत्संग के विवेक नहीं होता है. विवेकवान को विधा प्राप्त होता है. विधावान को ज्ञान प्राप्त होता है. भागवत कथा का श्रवण करने से मनुष्य को भागवत चिंतन योग्य बना देता है. उन्होंने प्रारब्ध की चर्चा करते हुए कहा कि शरीर को कोई लाभ हानि नहीं होता, वह प्रारब्ध है. शरीर को प्रारब्ध के लिए छोड़ दें और भागवत चिंतन करें. मीरा को भागवत भक्ति में जो कष्ट हुआ वह प्रारब्ध था. प्रारब्ध में भी भगवान का भजन कर भगवत को प्राप्त किया. वही कथा स्थल के समीप हवन यज्ञ बनाया गया है जहां श्री हनुमान जी की विशाल प्रतिमा स्थापित की गयी है. श्रद्वालुओं द्वारा हवन कर पूजा-अर्चना की जाती है. बाहर के श्रद्धालुओं के लिए भंडारा का भी प्रबंध किया गया है. प्रवचन कार्यक्रम के पूर्व व्यास पीठ पर सीओ शशिभूषण झा, जितेन्द्र बबलू, वैश्य सेवा संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश साह, श्याम नंदन साह, कोसी सहायता समूह के दीपक कुमार, विद्यार्थी संतोष चन्द्रवंशी, बैजू शास्री, पंकज कुमार, रंजीत आर्य ने मल्यापर्ण किया. मौके पर विजय सिंह, धीरज सिंह, रूपेश कुमार, राजा कुमार, बिनोद साह सहित दर्जनों स्वयंसेवक उपस्थित थे.
चिंतन के लिए विवेक की आवश्यकता : कंकेश्वरी
फोटो . 19 व 20 में कैप्सन- प्रवचन करते प्रवाचिका व प्रवचन सुनते श्रद्वालुप्रतिनिधि, मानसीभगवान की कथा कहनेवाला व सुननेवाला दोनों का लक्ष्य भगवान की प्राप्ति करना होता है. भगवान की प्राप्ति के लिए चिंतन करना पड़ता है चिंतन के लिए विवेक की आवश्यकता होती है उक्त बातें सोमवार को माता कनकेश्वरी देवी ने रेलवे […]
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