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टोला सेवक की फर्जी बहाली मामले की सुनवाई में नहीं आ रहे हैं डीइओ

सुनवाई में उपस्थित होना भी मुनासिब नहीं समझ रहे डीइओ साहब खगड़िया : एक ओर जहां लोक शिकायत अधिनियम के तहत लोगों को न्याय मिलने के दावे किये जाते है. वहीं, दूसरी ओर लोक प्राधिकार के द्वारा भी लगातार इस अधिनियम के प्रति लचर रवैये अपनाए जाने की बातें सामने आती रही है.लापरवाही का ताजा […]

सुनवाई में उपस्थित होना भी मुनासिब नहीं समझ रहे डीइओ साहब

खगड़िया : एक ओर जहां लोक शिकायत अधिनियम के तहत लोगों को न्याय मिलने के दावे किये जाते है. वहीं, दूसरी ओर लोक प्राधिकार के द्वारा भी लगातार इस अधिनियम के प्रति लचर रवैये अपनाए जाने की बातें सामने आती रही है.लापरवाही का ताजा मामला शिक्षा विभाग से सामने आया है. इस विभाग के बड़े हाकिम यानी डीइओ के द्वारा लोक शिकायत अधिनियम के तहत जारी आदेश का अनुपालन करने में आनाकानी का मामला सामने आया है. लापरवाही का आलम यह है कि टोला सेवक की फर्जी बहाली मामले को लेकर दायर शिकायत के आलोक में इन्हें कई बार सुनवाई के दौरान बुलाया गया लेकिन ये डीइओ साहब नहीं आये.
डीइओ पर लटकी कार्रवाई की तलवार
यह पहला मामला नहीं जब लोक प्राधिकार के द्वारा लोक शिकायत अधिनियम को लेकर दायर शिकायत की अनदेखी की गई है. पूर्व में उन्होंने डीइओ के विरुद्ध ऐसी लापरवाही/उदासीनता बरतने के कारण उन्हें दण्डित करने की अनुशंसा उच्च अधिकारी से की थी. वे हैरान हैं. इसके बावजूद भी इन्होंने अपने रवैये में सुधार नहीं लाया है. एक बार फिर उन्होंने डीइओ द्वारा उदासीनता बरतने की जानकारी जिला पदाधिकारी सहित अपर निदेशक को दी है.
विजय कुमार सिंह, एडीएम लोक शिकायत.
कार्रवाई तो दूर, जवाब तक नहीं देते डीइओ
इस मामले में कार्रवाई करना तो दूर डीइओ ने जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा. शिक्षा पदाधिकारी के इस असहयोगात्मक रवैये को न सिर्फ गंभीरता से लिया गया, बल्कि तीखी टिप्पणी करते हुए लोक शिकायत एडीएम विजय कुमार सिंह ने डीइओ सुरेश साहु के विरुद्ध डीएम सहित राज्य स्तर पर रिपोर्ट भेजकर इनके कारनामों की जानकारी उच्च अधिकारी को दी है. डीइओ पर लोक शिकायत अधिनियम के प्रति उदासीनता बरतने का सीधा आरोप है. लिहाजा, इस बार इनकी परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे वर्तमान डीइओ श्री साहु के खिलाफ पूर्व में भी लाखों के वेतन भुगतान में हेराफेरी के आरोप में निलंबन व प्रपत्र क गठन की अनुशंसा हो चुकी है. जो अभी फाइलों में दफन है.
अवैध बहाली से जुड़ा है मामला
बताया जाता है कि जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में टोला सेवक के फर्जी बहाली को लेकर दायर शिकायत पर सुनवाई आरंभ करते हुए एडीएम श्री सिंह ने डीइओ से जवाब मांगा था. दो माह तक चली सुनवाई के दौरान लोक प्राधिकार (डीइओ) को छह बार अवसर प्रदान किये गए. जानकार बताते हैं कि इस मामले में जांच कर कार्रवाई करना तो डीइओ के द्वारा कोई जवाब ही नहीं दिया गया. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुनवाई पदाधिकारी ने बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के अपर निदेशक सहित डीएम को अपने आदेश की प्रति भेजते हुए डीइओ के इस रवैये की जानकारी दी है.
डीइओ को मिलनी चाहिए सजा : एडीएम
सुनवाई की समय अवधि (60 दिन )समाप्त हो जाने के कारण इस मामले में लोक प्राधिकार के जवाब के बिना ही लोक शिकायत एडीएम ने आदेश तो जारी कर दिया. लेकिन इन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि डीइओ के असहयोगात्मक रवैये के कारण इस शिकायत का समुचित निराकरण नहीं हो पाया.
जारी आदेश में एडीएम श्री सिंह ने यह भी कहा है कि पूर्व में उन्होंने डीइओ के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की थी. इसके बावजूद उन्होंने (डीइओ) अपने रवैये में सुधार नहीं लाया है. जारी आदेश में सुनवाई पदाधिकारी ने यहां तक कहा है कि डीइओ दण्ड के पात्र है. इन्हें सजा मिलनी चाहिए. साथ ही उन्होंने डीइओ को टोला सेवक के अवैध बहाली की गहराई से जांच करने सहित दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का भी आदेश जारी किया है.

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