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कटिहार : आर्थिक तंगी से जूझ रहे बीमित किसान

कटिहार जिले में दम तोड़ रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे किसान कटिहार : जिले के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला रहा है. जिले में केंद्र व राज्य सरकार ने किसानों को उसके फसल की क्षति हो जाने के आलोक में मुआवजा राशि देने के लिए […]

कटिहार जिले में दम तोड़ रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे किसान
कटिहार : जिले के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला रहा है. जिले में केंद्र व राज्य सरकार ने किसानों को उसके फसल की क्षति हो जाने के आलोक में मुआवजा राशि देने के लिए कई तरह की पहल की है.
इसमें से एक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है. कटिहार जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दम तोड़ रही है. एक तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जानकारी किसानों को अधिक नहीं है. लेकिन जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपने फसल का बीमा कराया है. फसल की क्षति होने के बाद फसल बीमा के विरुद्ध मुआवजा नहीं मिलती है.
त्राहिमाम कर रहे जिले के तमाम किसान
खासकर वर्ष 2017 में खरीफ फसल के बीमित किसान की स्थिति त्राहिमाम जैसी है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 व 2017 में आयी प्रलयंकारी बाढ़ ने किसानों की खरीफ फसल को लील गया. ऐसे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. किसान फसल बीमा इसलिए कराती है कि उन्हें फसल नुकसान होने पर उन्हें मुआवजा मिल सके.
पर ऐसा नहीं हो रहा है. यह सर्वविदित है कि बाढ़ ने खरीफ 2017 की फसल को पूरी तरह प्रभावित कर दिया. यह बात राज्य सरकार व जिला प्रशासन के संज्ञान में भी है. आपदा के तहत वैसे गैर बीमित किसानों को 13500 रुपया प्रति हेक्टेयर की दर से फसल क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जा रहा है. जबकि बीमित किसान इस से वंचित है. दूसरी तरफ बीमा कंपनी भी ऐसे बीमित किसानों की सुधि भी अब तक नहीं ली है. सर्वविदित है कि किसान क्रेडिट कार्ड यानी केसीसी ऋण धारकों के बैंक खाते से बीमा कंपनी को प्रीमियम राशि संबंधित बैंक के द्वारा में दे दी गई है.
पर बीमा कंपनी की ओर से अब तक फसल क्षतिपूर्ति के आकलन को लेकर कोई पहल नहीं हुई है. जिला स्तर पर फसल बीमा के लिए नोडल पदाधिकारी के रुप में जिला जिला सहकारिता पदाधिकारी को दायित्व दिया गया है.
जिला सहकारिता पदाधिकारी के अनुसार जिले में खरीफ 2017 के तहत कितने किसानों को फसल बीमा योजना से जोड़ा गया. इसका प्रामाणिक आंकड़ा भी उनके पास नहीं है. जानकारी के मुताबिक हर साल अलग-अलग फसलों के लिए राज्य सरकार अलग-अलग बीमा कंपनी को फसल बीमा करने का करने का दायित्व देती है. खरीफ 2017 का फसल बीमा एग्रीकल्चरल इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया के द्वारा किया गया है.
बीमित किसान फसल क्षतिपूर्ति के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है. जिला पदाधिकारी को भी मांग पत्र दिया गया. पर अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है. बीमा का लाभ लेने के लिए किसान अब लोक शिकायत निवारण केंद्र में परिवाद पत्र दायर कर रहे है. पर इसकी स्थिति यह है कि परिवाद पत्र दायर करने के बाद निर्धारित तिथि को किसान तो पहुंचते है लेकिन लोक प्राधिकार नहीं पहुंचते है. जिसकी वजह से किसानों को न्याय नहीं मिल रहा है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इसके क्रियान्वयन को लेकर विभिन्न स्तरों पर पहल की जाती है. पर जमीनी स्तर पर इसका कुछ असर नहीं दिख रहा है.
किसानों को इस योजना के बारे में एक तो पूरी जानकारी नहीं है. जिन किसानों को योजना के बारे में जानकारी है. वैसे किसान अपनी फसल का बीमा कराती है. पर फसल क्षति होने के बाद बीमा राशि उसको प्राप्त नहीं होती. खासकर केसीसी धारक किसान की बीमा की प्रीमियम राशि संबंधित बैंक द्वारा काट ली जाती है. बैंक की तरफ से बीमा कंपनी को प्रीमियम राशि भेज दी जाती है. पर जब फसल का नुकसान होता है तो फसल क्षतिपूर्ति के लिए कहा आवेदन देना है.
इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. बीमा कंपनी की ओर से भी फसल के व्यापक नुकसान के बाद भी किसी भी तरह का संपर्क बीमित किसानों से नहीं किया जाता है. ऐसे में बीमित किसान अपनी बदहाली पर खुद आंसू बहा रहे है. साथ ही बैंक व अधिकारियों के यहां चक्कर भी लगा रहे है. पर कहीं से कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
वर्ष 2017 में जब बाढ़ आयी तो किसानों की खरीफ फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया. किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. रिलीफ कोड के तहत गैर बीमित किसानों को 13500 रुपया प्रति हेक्टेयर की दर से अधिकतम दो हेक्टेयर तक फसल क्षतिपूर्ति के रूप में मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया गया. ऐसे प्रभावित किसानों को बैंक के माध्यम से उसके खाते में राशि भेजी भी जा रही है. पर बीमित किसानों के फसल नुकसान पर रिलीफ कोड के तहत मिलने वाली राशि प्राप्त नहीं हो रही है.
कृषि विभाग के प्रधान सचिव ने इससे संबंधित पत्र जारी कर स्पष्ट किया था कि फसल बीमा योजना से आच्छादित किसानों को रिलीफ कोड के तहत क्षतिपूर्ति का लाभ नहीं दिया जायेगा. प्रधान सचिव के उसी पत्र के आलोक में किसानों को राज्य सरकार द्वारा दी जा रही क्षतिपूर्ति के लाभ से बीमित किसानों को वंचित होना पड़ा है. दूसरी तरफ बीमा कंपनी भी किसानों के फसल क्षति पर मुआवजा नहीं दे रही है.
डंडखोरा प्रखंड के प्रगतिशील किसान एसके सिंह ने फसल बीमा का लाभ लेने के जिला लोक शिकायत निवारण केंद्र में परिवाद पत्र दाखिल करने के बाद जब सुनवाई की तिथि निर्धारित हुयी तो लोक प्राधिकार सह जिला सहकारिता पदाधिकारी नहीं पहुंचे. जिससे मामले की सुनवाई नहीं हो सकी.
इसी प्रखंड के मनीष कुमार यादव आदि ने बताया कि वर्ष 2016 में भी फसल बीमा का लाभ नहीं मिला. वर्ष 2017 की बाढ़ में तो पूरा धान का फसल ही नष्ट हो गया. फसल बीमा होने की वजह से राज्य सरकार से मिलने वाली क्षतिपूर्ति भी नहीं मिली. फसल बीमा कंपनी भी अब तक फसल का जायजा लेने के लिए नहीं आये है. फसल बीमा का लाभ नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है.
केस स्टडी-2
जिले के प्राणपुर प्रखंड में करीब एक हजार के आसपास किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसल का बीमा कराया. खरीप 2017 के तहत बड़ी तादाद में किसान धान लगाया था. पर बाढ़ में धान पूरा नष्ट हो गया.
जिन किसानों ने बीमा कराया था. उसे अब तक किसी भी तरह की फसल क्षतिपूर्ति का लाभ नहीं मिला. प्रगतिशील किसान प्रभात कुमार मिश्रा ने करीब 3-4 माह पूर्व जिला पदाधिकारी को इस पूरे प्रकरण से अवगत कराया.
किसानों की स्थिति से भी डीएम को रूबरू कराया गया. साथ ही मांग पत्र भी दिया. पर अब तक कोई पहल नहीं हुई है. श्री मिश्रा के अनुसार बीमा कंपनी की ओर से अब तक किसी तरह की सुधि नहीं ली गयी है.

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