थानों में न टाइपिस्ट हैं न रीडर, कौन लिखे सुपरविजन रिपोर्ट
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थानों में वर्कलोड अधिक होने के कारण केस हो रहे पेंडिंग
थानों में न टाइपिस्ट हैं न रीडर, कौन लिखे सुपरविजन रिपोर्ट कटिहार : सूबे में अपराध पर अंकुश लगाने को लेकर सभी थानों को अपग्रेड किया जा रहा है. पुलिस पदाधिकारियों को आधुनिक हथियार से लैस करने का काम प्रगति पर है. थाना भवन भी आलीशान बनाये जा रहे हैं. यहां तक कि ऑन लाइन […]
कटिहार : सूबे में अपराध पर अंकुश लगाने को लेकर सभी थानों को अपग्रेड किया जा रहा है. पुलिस पदाधिकारियों को आधुनिक हथियार से लैस करने का काम प्रगति पर है. थाना भवन भी आलीशान बनाये जा रहे हैं. यहां तक कि ऑन लाइन एफआइआर तक करने का निर्देश जारी किया गया है. सभी थानाें को हाइटेक बनाने में सरकार जुटी हुई है. सरकार के निर्देश पर पटना मुख्यालय के आदेशानुसार, जिले के सभी अनुमंडल स्तर के थानों में थानेदार की पोस्टिंग में इंस्पेक्टर को बहाल किया जा रहा है,
ताकि छोटे-मोटे मामलाें का सुपरविजन कर कांड का निष्पादन थाना स्तर से किया जा सके. बावजूद न तो अपराध पर ही अंकुश लग पा रहा है और न ही थाने में दर्ज लंबित कांड का निष्पादन तेजी से हो रहा है. घर में मारपीट से लेकर सड़क पर भी अगर लोगों को किसी प्रकार की कठिनाई हो, तो बस उन्हें पुलिस ही याद आती है.
यहां तक कि सरकार द्वारा चलाये गये राहत योजना या फिर अन्य आपूर्ति सेवा में भी कठिनाई हो तो पुलिस. इस वर्ष एक जनवरी से अक्तूबर 2017 तक की बात की जाये, तो गत माह में थानों में दर्ज कांड में तकरीबन 2012 मामले अबतक लंबित हैं. जानकारी के मुताबिक कई ऐसे भी थाने हैं, जहां सुपरविजन रिपोर्ट लिखने का समय सुपरविजन पदाधिकारी को नहीं मिल पाता है. थाने में ऐसे ही पुलिस पदाधिकारियों की संख्या कम होती है. ऊपर से विधि व्यवस्था का दबाव, अपराधियों की गिरफ्तारी,
थाने में ओपीडी का कार्य भार संभालना, छापेमारी अभियान में शामिल होना तथा केस के मामले में अन्य राज्यों व जिलों का रूख कर कांड निष्पादन, अपराधियों की गिरफ्तारी आदि कार्य भी थाने में पदस्थापित उन्हीं पुलिस पदाधिकारी को दिया जाता है, जिनके पास पूर्व से ही दर्जनों मामले पेंडिंग में पड़े रहते हैं. पुलिस पदाधिकारी की कमी तथा काम के ओवरलोड के कारण स्थिति ऐसी बन जाती है कि कई केस पेंडिंग ही रह जाते हैं.
अनुमंडल पुलिस कार्यालय छोड़, किसी थानाें में नहीं है टाइपिस्ट
जानकारी के अनुसार, कटिहार जिले में कुल 22 थाने तथा सात ओपी हैं. इनमें एक महिला थाना, एक एससीएसटी थाना भी शामिल है. पुलिस अनुमंडल कार्यालय को छोड़ कर सभी थानाें व ओपी में टाइपिस्ट व रीडर नहीं हैं. इस कारण वहां के कांड निष्पादन में पुलिस पदाधिकारी को काफी मशक्कत उठानी पड़ती है. कुछ कांड में जांच अधिकारी को एक सौ से भी अधिक पेज लिखने पड़ते हैं. गवाह के आधार पर विधि व्यवस्था भी संभालनी पड़ती है. इस कारण समयाभाव के कारण अनुसंधान पेंडिंग रह जाता है.
सुपरविजन नहीं होने का असर
सुपरविजन नहीं होने से कार्रवाई में देरी होती है
दुर्घटना व वाहन चोरी के मामले में मुआवजा शीघ्र नहीं मिल पाता है
लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी होना, पीड़ित पक्ष को समय पर नहीं मिल पाता है न्याय
इस वर्ष के 2012 मामले लंबित
अक्तूबर माह की बात की जाये, तो जिले के नगर थाना क्षेत्र में 38 एसआर तथा 24 एनएसआर के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसमें 29 एसआर मामलाें का निष्पादन किया गया, जबकि एनएसआर केस में 24 मामलों का निष्पादन किया गया. इसी प्रकार सहायक थाना क्षेत्र में 09 एसआर, 19 नन एसआर जिसमें 05 एसआर व 25 ननएसआर को निष्पादित किया गया. इसी प्रकार अंचल (ब ) में मुफस्सिल थाना 05 एसआर व 09 नन एसआर में पांच पांच निष्पादित किये गये.
मनिहारी अनुमंडल के थाना क्षेत्र में 23 एसआर में 10 का निष्पादन तथा 41 नन एसआर में 36 वादों का निष्पादन किया गया. बारसोई अनुमंडल थाना क्षेत्र में एसआर 38 में 39 एवं नन एसआर 89 में 88 वादों का निष्पादन किया गया है. इसी प्रकार जिले के 22 थानों व ओपी को मिलाकर कुल 2012 मामले लंबित हैं. इनमें 1339 एसआर तथा 673 नन एसआर मामले हैं. लंबित पड़े मामले में अक्तूबर माह में 491 मामलों में 424 मामलों का निष्पादन किया गया है, जबकि एक जनवरी से 31 अक्तूबर तक 2012 मामले लंबित है.
सुपरविजन लंबित रहने के कारण
थानेदार का रोजाना विधि व्यवस्था में व्यस्त रहना
सुपरविजन रिपोर्ट टाइप करने के लिए अधिकांश थानों मैन पावर की कमी, केस के अनुसंधानकर्ता द्वारा समय पर डायरी नहीं सबमिट करने पर
सुपरविजन के समय पर गवाह का उपस्थित नहीं होना
थानेदार के रूप में इंस्पेक्टर की जिम्मेवारी
आइटी एक्ट व गंभीर प्रवृत्ति से जुड़े केस का अनुसंधान करना, रोजाना एंटी क्राइम चेकिंग व गश्ती के साथ थाने में आये लोगों की फरियाद सुनना तथा उस पर अमला करना
वर्तमान में वाहन चेकिंग की जिम्मेवारी, विधि व्यवस्था, धरना-प्रदर्शन, वीआइपी मूवमेंट में ड्यूटी
कोई घटना होने पर घटनास्थल पर मूवमेंट को नियंत्रित करना तथा विधि व्यवस्था बनाये रखना
पासपोर्ट से लेकर चरित्र सत्यापन, आर्म्स लाइसेंस के लिए प्रतिवेदन तैयार करना आदि
01 जनवरी से 31 अक्तूबर तक लंबित मामले
नगर थाना 337
सहायक थाना 189
मुफस्सिल थाना 103
एससी एसटी थाना 27
महिला थाना 56
रौतारा थाना 26
मनसाही 55
डंडखोरा 18
प्राणपुर 32
हसनंगज 13
कोढ़ा 128
फलका 64
कुरसेला 65
बरारी 61
मनिहारी 253
अमदाबाद 70
बारसोई 54
अबादपुर 39
कदवा 52
बलरामपुर 35
आजमनगर 28
बलिया बेलौन थाना 70
रोशना ओपी 21
पोठिया ओपी 80
सेमापूर ओपी 40
कचना ओपी 20
सुधानी ओपी 21
तेलता ओपी 15
सालमारी ओपी 40
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