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सरकारी व निजी िनर्माण कार्य पर ब्रेक

कटिहार : जिले में इन दिनों बालू की किल्लत से निर्माण कार्य पर पूरी तरह से ब्रेक लग चुका है. पिछले करीब एक महीने से हर दिन बालू के रेट में वृद्धि हो रही है जिससे लोग परेशान हैं. पर्याप्त बालू नहीं आने की वजह से जिले में बालू की किल्लत हो गयी है. कुछ […]

कटिहार : जिले में इन दिनों बालू की किल्लत से निर्माण कार्य पर पूरी तरह से ब्रेक लग चुका है. पिछले करीब एक महीने से हर दिन बालू के रेट में वृद्धि हो रही है जिससे लोग परेशान हैं. पर्याप्त बालू नहीं आने की वजह से जिले में बालू की किल्लत हो गयी है. कुछ जरूरी काम तो लोग लोकल बालू का इस्तेमाल कर निबटा रहे हैं. अधिकांश सरकारी व निजी निर्माण कार्य पर ब्रेक लगा हुआ है.

प्रभात खबर ने सोमवार को विभिन्न स्थानों पर जाकर बालू की स्थिति का जायजा लिया तो यह बात सामने आयी कि खदान से बालू नहीं पहुंचने की वजह से जिले में बालू की किल्लत हो रही है. बालू की किल्लत होने की वजह से सीमेंट एवं छड़ सहित अन्य निर्माण सामग्री की बिक्री पर भी व्यापक असर पड़ा है. बालू, गिट्टी, सीमेंट बेचने वाले कई प्रतिष्ठानों के प्रोपराइटर ने बताया कि बालू की कमी की वजह से उनका धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है. पिछले एक महीने से कोई काम नहीं हो रहा है. कारण पूछने पर यह जानकारी मिली की खदान में ही कई तरह की कठिनाई हो रही है. जिसकी वजह से कटिहार बालू नहीं पहुंच पाता है.

एक प्रतिष्ठान के प्रोप्राइटर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि खनन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक के कड़े रुख की वजह से बालू के कारोबार पर असर पड़ा है. बालू की किल्लत की वजह से इसकी कीमत में काफी उछाल हो गया है. एक महीने के भीतर बालू दोगुना से अधिक रेट में बिक रहा है. सोमवार को कई बालू विक्रेताओं के पास जब कीमत के बारे में पूछताछ की गई तो उनके द्वारा जानकारी मिली की 7000 से 7500 रुपया सौ सीएफटी की दर से मिल रही है. अगर अभी और कुछ दिन इस रेत में इजाफा होगी. जानकारों की माने तो आने वाले एक सप्ताह के भीतर प्रति 100 सीएफटी की कीमत आठ हजार रुपया से अधिक हो जायेगा.

यानी 70 से 80 हजार रुपया प्रति ट्रक बालू मिल रही है. जबकि एक महीना पूर्व 2800 से 3500 रुपया प्रति सीएफटी बालू मिलती थी. यानी 20 से 30 हजार रुपया प्रति ट्रक बालू लोगों को मिल जाती थी. खान व भूतत्व मंत्री विनोद कुमार सिंह के गृह जिले में बालू की कीमतों में उछाल होने से आम लोगों के पक्का मकान बनाने के सपने को भी झटका लगा है.

केस स्टडी-1
हसनगंज के रमाकांत चौधरी चार कमरे का पक्का मकान बनाने की सोच रहे थे. इसके लिए उन्होंने 5000 रुपया खर्च करके नक्शा भी बनवा लिया था. अब अचानक बालू के कीमत में वृद्धि हो जाने से वह भौंचक है. बकौल रमाकांत वह कभी सोचा नहीं था कि बालू की कीमत इतनी अधिक बढ़ जायेगी. अब तो उनका मकान बनाने का सपना फिलहाल टल गया है. जब बालू सस्ती होगी. तब मकान बनायेंगे. शहर के दुर्गास्थान के पंकज कुमार भी की भी यही स्थिति है. वह भी तीन कमरे का मकान बनाने की सोच रहे थे. लेकिन बालू की कीमत बढ़ जाने से इरादा बदल दिया है.
केस स्टडी-2
बालू की कीमत अधिक हो जाने की वजह से सरकारी निर्माण कार्य में बाधा पहुंची है. कई शुरू हो चुके काम तो ठप हो चुका है. जबकि कई निर्माण कार्य का काम अभी शुरू नहीं हुआ है. चालू वित्तीय वर्ष का आधा वर्ष यानी 6 महीना समाप्त हो चुका है. बचे हुए 6 महीने में ही वित्तीय वर्ष का अधिकांश निर्माण कार्य को पूरा किया जाना है. लेकिन बालू की कीमत की जो स्थिति बनी हुई है. उससे लगता है कि चालू वित्तीय वर्ष में सरकारी निर्माण कार्य के लक्ष्य को भी झटका लग सकता है. जानकार बताते हैं कि जिस तरह सरकार की नीति है. उससे निर्माण कार्य को झटका लगा है.
दोगुना से भी ज्यादा रेट में बिक रहे बालू, लोग परेशान
करीब एक माह पूर्व बालू का कीमत अधिक नहीं थी. जानकार बताते है कि एक महीना पहले बालू की कीमत करीब 2800 लेकर 3500 रुपया प्रति 100 सीएफटी थी. यानी 20000 से 30000 रुपया प्रति ट्रक लोगों को बालू आसानी से मिल जाती थी. लेकिन अब यही रेट में उछाल आ गया है. दोगुना से अधिक कीमत में वृद्धि हुई है. अब बालू 7000 से 7500 प्रति 100 सीएफटी मिल रही है. यानी लोगों को अब 70000 से 80000 रुपया प्रति ट्रक मिल रही है. इस बढ़ी हुई कीमत में अति अत्यधिक जरूरतमंद ठेकेदार या अन्य लोग बालू खरीद रहे है. जबकि अधिकांश सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के निर्माण कार्य लगभग ठप हो चुका है. ऐसे लोग बालू की कीमत घटने के बाद ही अपने निर्माण कार्य को आगे बढ़ायेंगे.
बालू की किल्लत की वजह से बालू के अत्यधिक जरूरतमंद लोगों को न केवल दोगुनी कीमत अदा करनी पड़ रही है. बल्कि इससे बालू के अलावा निर्माण कार्य में लगने वाले अन्य सामग्री के कारोबार पर भी असर पड़ा है. मसलन गिट्टी, सीमेंट, छड़ सहित अन्य निर्माण सामग्री की बिक्री भी लगभग ठप हो चुकी है. डीएस कॉलेज रोड में सीमेंट एवं छड़ के विक्रेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बालू की किल्लत का असर साफ देखा जा रहा है. पिछले एक महीने से सीमेंट एवं छड़ की बिक्री नहीं के बराबर हुई है. अब तो लगता है कि दूसरा ही कारोबार अपनाना पड़ेगा. कारण पूछने पर वह बताते है कि खदान से बालू लाने में कई तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है. साथ ही शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बालू बेचने वालों को लेकर कई तरह के नये नियम लागू किये जा रहे हैं. इसके वजह से लोग अब बालू बेचने से कतराने लगे हैं.

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