मोहनिया शहर. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के रोल माॅडल रहा महाराणा प्रताप महाविद्यालय पिछले दो वर्षों से विवादों में चल रहा है. इन दिनों प्राचार्य को लेकर जंग छिड़ी हैं, जिसे लेकर प्राचार्य के कक्ष में दो दो ताले बंद हैं. हाइकोर्ट द्वारा गुरुवार को यथा स्थिति बहाल करने का आदेश आने के बाद फिलहाल सारा मामला रुक गया हैं. यहां प्राचार्य के कक्ष में दो-दो ताले बंद रहने से न तो फिलहाल कोई प्राचार्य कक्ष को खोल पा रहे हैं, न ही उसमें बंद दो ताले को तोड़ने की काेई हिम्मत जुटा पा रहे हैं. जबकि, शुक्रवार को पहुंची पुलिस दोनों पक्ष को समझा कर वापस लौट गयी. मालूम हो कि विश्वविद्यालय प्रतिनिधि ने डॉ महातिम सिंह को वरीय शिक्षक मान कर उन्हें प्रभारी प्राचार्य बनाने की अनुशंसा की थी. इसके बाद कुलसचिव ने प्रभारी प्राचार्य के रूप में डॉ महातिम सिंह के नाम की अधिसूचना जारी कर दी. इस अधिसूचना के आलोक में एक मार्च को शासी निकाय की बैठक हुई, इसमें प्रभारी प्राचार्य की नयी नियुक्ति को संपुष्ट करते हुए अनुमोदन के लिए विश्वविद्यालय भेज दिया गया था. उधर, शंभु नाथ सिंह ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी, जिसके आलोक में हाइकोर्ट द्वारा यथा स्थिति बहाल करने का आदेश दिया गया. इधर, प्रभारी प्राचार्य में नियुक्त होने के बाद डॉ महातिम सिंह ने कार्यभार संभाल लिया था और शासी निकाय ने प्राचार्य कक्ष का ताला तोड़ने के लिए महाविद्यालय के पांच वरीय शिक्षकों की कमेटी का भी गठन कर लिया था. जब यह तय हो गया कि अब प्राचार्य कक्ष का ताला टूटेगा, तो शंभु नाथ सिंह ने महाविद्यालय में आकर चाभी सौंपने की पेशकश की. लेकिन, संचिकाएं और कागजात हस्तगत कराने में बिलंब होने की स्थिति में अपनी बेटी का ऑपरेशन कराने का हवाला देकर चले गये. ऐसी स्थिति में चाभी को सील बंद लिफाफा में बंद कर दिया गया और यह लिखित रूप से तय हुआ कि पांच मार्च को प्राचार्य कक्ष खोला जायेगा. लेकिन, जब पांच मार्च को भी डॉ शंभु नाथ सिंह महाविद्यालय में नहीं आये तो प्रभारी प्राचार्य द्वारा पांच सदस्यीय कमेटी के सामने प्राचार्य कक्ष में दूसरा ताला बंद करा दिया था. # प्रभारी प्राचार्य हटाने को लेकर कुलपति से की गयी थी शिकायत महाविद्यालय में पूर्व प्राचार्य डॉ अनिल कुमार के 31 दिसंबर 2023 को रिटायर होने के बाद भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ शंभु नाथ सिंह को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया था. उस बैठक में शासी निकाय के जनप्रतिनिधि सदस्य विश्व विद्यालय प्रतिनिधि तथा सरकारी प्रतिनिधि मौजूद नहीं थे. जनप्रतिनिधि सदस्य के रूप में उस समय विधान पार्षद संतोष कुमार सिंह ने कुलपति को पत्र लिख कर प्रभारी प्राचार्य के नियुक्ति को रद्द करने की अनुरोध की थी. बाद में मामला हाइकोर्ट चला गया. हाइकोर्ट के निर्देश पर राज भवन ने इस मामले में विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी. राजभवन को भेजी गयी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय ने यह स्वीकार किया कि महाराणा प्रताप महाविद्यालय के शासी निकाय में अध्यक्ष व सचिव का पद रिक्त हैं. इसके अलावा शिक्षक प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि तथा दानदाता सदस्य का अनुमोदन नहीं हुआ हैं, जिसे देख प्रभारी प्राचार्य को बदलने का फैसला किया. यह जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रतिनिधि अवध विहारी सिंह को दी गयी थी, जिसके आलोक में विश्वविद्यालय प्रतिनिधि द्वारा डॉ महातिम सिंह का चयन किया गया था. 75 करोड़ के गबन की जांच करने पहुंची थी राजभवन की टीम मोहनिया के प्रसिद्ध महाराणा प्रताप महाविद्यालय में एक तरफ विश्वविद्यालय द्वारा प्रभारी प्राचार्य को बदले जाने के बाद अब प्राचार्य पद के लिए जंग शुरू हो गयी है, तो दूसरी तरफ महाविद्यालय में 75 करोड़ के गबन मामले की जांच भी चल रही हैं, जिसकी जांच करने नौ फरवरी को राजभवन से तीन सदस्यों की एक टीम महाविद्यालय पहुंची थी. जांच के दौरान कॉलेज परिसर में करीब चार घंटे तक इस मामले में दोनों पक्ष से साक्ष्य भी मांगे गये थे. मालूम हो कि भूमिदाता परिवार के सदस्यों ने वफ़ाश 2023 में कुलपति से लेकर मुख्यमंत्री तक महाविद्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवेदन दिया था. स्थानीय विधायक संगीता कुमारी ने भी मुख्यमंत्री सचिवालय में आवेदन देकर 75 करोड़ गबन के मामले के जांच की मांग की थी, जिसके आलोक में राजभवन द्वारा हाइकोर्ट के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम का गठन कर जांच करने के लिए भेजा गया था. जबकि, अब प्रभारी प्राचार्य के पद के लिए विवाद शुरू हो गया है. यहां प्राचार्य के कक्ष में दो-दो तले बंद किये गये हैं, एक ताला डॉ शंभू नाथ सिंह द्वारा तो दूसरा ताला डॉ महातिम सिंह द्वारा बंद किया गया है. इनसेट :- प्रभारी प्राचार्य ने 17 बिंदुओं पर पत्र लिख कर डीएम को दी जानकारी मोहनिया शहर. प्रभारी प्राचार्य महातिम सिंह ने डीएम सावन कुमार के नाम से पत्र लिख कर 17 बिंदुओं पर जानकारी दी हैं. प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति से लेकर अब तक के सारे घटना क्रम का जिक्र किया हैं. अब तक के सारे घटना क्रम पर 44 पेज का साक्ष्य देते हुए महाविद्यालय के सफल संचालन के लिए जिला प्रशासन से सहयोग मांगा हैं. डीएम को लिखे पत्र की प्रतिलिपि श्रम संसाधनों मंत्री सह शासी निकाय के सदस्य संतोष कुमार सिंह, कुलपति शलेंद्र कुमार चतुर्वेदी, पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि अवध बिहारी सिंह के अलावा अनुमंडल प्रशासन को दी गयी है.
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