कुदरा : इस आधुनिक युग में कई तरह की अंगरेजी दवाएं उपलब्ध हैं. बड़े से बड़े रोग को लेकर रिसर्च किये गये हैं व उनके निदान के लिए कई दवाइयां भी बाजार पर उपलब्ध हैं. लेकिन, इन सबके बीच आज भी कुदरा स्टेशन से दक्षिण लालापुर गांव में महज बीस रुपये की जड़ी (घोल) से पीलिया रोग का इलाज होता है. यहां बिहार व यूपी सहित कई राज्यों के लोग इलाज करवाने आते हैं. मरीजों को यह जड़ी रविवार व मंगलवार को दी जाती है.
दवा पीने के बाद होता है उल्टी : मरीजों को यह दवा खाली पेट पिलायी जाती है. अगर मरीज पीलिया से पीड़ित होगा, तो उल्टियां शुरू हो जायेंगी व 15 दिन से एक माह के बाद स्वस्थ हो जाता है. मरीज से फीस के रूप में 20 रुपये लिये जाते हैं.
दूसरी पीढ़ी पीला रही दवा : लालापुर बाजार में पहले महावीर पाल फ्री में पीलिया की दवा पिलाते थे. करीब तीस वर्षो से यह सिलसिला चल रहा है. आज उनके दो लड़के राम पाल व लक्ष्मण पाल पिता की विरासत संभाल रहे हैं. प्रति मंगलवार व रविवार को 100 से 200 मरीज दवा पीने आते हैं.
महंगाई की वजह से लिये जाते हैं रुपये : दवा पिलाने वाले राम व लक्ष्मण पाल ने बताया कि यह जड़ी उनके पिता महावीर पाल लोगों को दिया करते थे. उस समय वह फीस नहीं लिया करते थे. लेकिन, आज महंगाई के कारण व जड़ी-बूटी को बनाने में खर्च के मुताबिक 20 रुपये लिया जाता है.
