भभुआ कार्यालय : केंद्र में बैठी मोदी सरकार के विकास का ढोलक फट गया, तब लोगों को वाजिब मुद्दों से भटकाने के लिए देश में सीएए, एनआरसी व एनआरपी को लाया गया है. प्रधानमंत्री मोदी अपने बाद सीएए, एनआरसी व एनआरपी के जरिये अपने अनुज अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. मोदी व अमित शाह धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. जनता उनसे वाजिब सवाल न करे, इसलिए पूरे देश के लोगों को उलझाये रखने के लिए एनआरसी, एनआरपी व सीएए को लाया गया है.
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विकास का ढोलक फटने पर ध्यान भटकाने के लिए लाया गया सीएए और एनआरसी
भभुआ कार्यालय : केंद्र में बैठी मोदी सरकार के विकास का ढोलक फट गया, तब लोगों को वाजिब मुद्दों से भटकाने के लिए देश में सीएए, एनआरसी व एनआरपी को लाया गया है. प्रधानमंत्री मोदी अपने बाद सीएए, एनआरसी व एनआरपी के जरिये अपने अनुज अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. मोदी व अमित […]
उक्त बातें जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार ने गुरुवार को भभुआ के नगरपालिका मैदान में अपने जन-गण-मन यात्रा के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहीं. गांधीजी की पुण्यतिथि बीते 30 जनवरी से चंपारण के बापू धाम से एनपीआर, एनआरसी व सीएए के खिलाफ निकली जन-गण-मन यात्रा भभुआ पहुंची थी और सभा के माध्यम से 27 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में होनेवाले संविधान बचाओ, नागरिक बचाओ महारैली में आने का आह्वान किया.
निशाने पर रहे मोदी व अमित शाह: कन्हैया ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि व्ह्राटसएप ग्रुप के जरिये पूरे देश में यह बात फैलायी जा रही है कि जेएनयू में देशद्रोही गतिविधियां चल रही हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर जेएनयू में देशद्रोही गतिविधियां चल रही हैं, तो देश के गृहमंत्री अमित शाह आखिर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं. बल्कि, जेएनयू की लड़ाई इस बात की है कि गरीबों के हक लगातार क्यों छीने जा रहे हैं.
45 साल में सबसे अधिक बेरोजगारी अभी है. पांच साल में 3 करोड़ 16 लाख लोगों की नौकरी चली गयी है. 2020 में 18 लाख लोगों की नौकरी जानेवाली है. देश को एनआरसी, सीएए व एनपीआर में उलझा कर सरकार एलआइसी बेचने में जुटी हुई है. देशवासी उनसे वाजिब सवाल न पूछे इसलिए उन्हें देश को धर्म के नाम पर उलझा दिया गया है.
जनता को शोले फिल्म की धन्नो की आंख पर जिस तरह से पट्टी बांध दिया गया. ताकि, वह वहीं देखे जिसे बसंती दिखाना चाहती थी. उसी तरह से सरकार यह सोच रही है कि जो मैं दिखाऊं उसी को जनता देखे. जनता का ध्यान देश के बुनियादी स्थिति पर न जाये. इसके लिए यह एनआरसी, एनपीआर व सीएए को लाया गया है.
नौकरी से लेकर किसानों तक की हालत खराब
कन्हैया ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में 12 हजार किसानों ने आत्महत्या की है. किसानों के यहां से प्याज दो रुपये किलो बिक रहा है और जब व्यापारियों के यहां पहुंच रहा है तो वह 100-200 रुपये किलो तक हो जा रहा है.
नौकरी का भी बुरा हाल है. सरकारी नौकरी करनेवालों का पेंशन समाप्त कर दिया गया और जीवन में जो एक बार भी एमपी, एमएल बन गया उसको पेंशन दिया जा रहा है. देश की हालात यह है कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर लेकिन किसान का बेटा किसान कभी नहीं बनना चाहता. सरकार ने किसानों को मरने पर विवश कर दिया है.
एनआरसी के खिलाफ सरकार प्रस्ताव पारित करे, नहीं तो होगा आंदोलन
कन्हैया ने अपने संबोधन के दौरान नीतीश सरकार को भी आड़े हाथों लिया. कहा कि बिहार में स्थिति काफी खराब है. बिहार की बड़ी बात यह है कि यहां हर चीज के लिए पलायन करना पड़ता है. पढ़ाई, इलाज या फिर काम सभी के लिए लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं.
रोजगार के नाम पर कुछ भी नहीं है. 27 फरवरी को पटना में एनपीआर, एनआरसी व सीएए के खिलाफ संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ रैली के माध्यम से नीतीश सरकार से यह मांग किया जायेगा कि वह एनआरसी, एनपीआर व सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे. अन्यथा गांधी के तर्ज पर आंदोलन किया जायेगा.
यात्रा के लिए एकत्रित किया गया चंदा
नगरपालिका मैदान में सभा के दौरान मंच से कहा गया कि एनआरसी, एनपीआर व सीएए के खिलाफ निकाली गयी इस जन-गण-मन यात्रा में होनेवाले खर्च जनता के सहयोग से किया जा रहा है, जो भी खर्च किये जा रहे हैं वह लोगों द्वारा चंदे के रूप में दी गयी राशि है.
भभुआ में भी सभा के दौरान लोगों से एक डब्बे में जन-गण-मन यात्रा को सफल बनाने के लिए चंदा एकत्रित किया गया. लोगों ने भी स्वेच्छा से चंदा दिया. उक्त संघर्ष मोर्चा ने वामपंथी नेता काफी सक्रिय नजर आये. भाकपा माले के मोरध्वज सिंह, विजय यादव, प्रोफेसर कमला सिंह सहित कई लोग शामिल रहे.
काला झंडा दिखानेवालों को बताया भाजपा का एजेंट
भभुआ. कन्हैया को देशद्रोही बता गुरुवार को भभुआ आगमन पर करणी सेना द्वारा कैमूर स्तंभ के पास काला झंडा दिखा विरोध जताया गया. कन्हैया ने सभा में अपने संबोधन के दौरान काला झंडा दिखानेवालों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें भाजपा का एजेंट बताया और कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोग स्थानीय लोगों के नाम पर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं और नेता बनने की तैयारी कर रहे हैं. ये लोग काला झंडा दिखा कर अपने बॉस को खुश करना चाहते हैं.
लेकिन, इन्हें समझना चाहिए कि इनके हाथों में काला झंडा व पत्थर थमाया जा रहा है और उनका बेटा बीसीसीआई का चेयरमैन बन गया. हमको काला झंडा दिखाने से देश का भला होता है तो मैं गाड़ी पर काला झंडा लगा कर घूमने को तैयार हूं. मुझे देशद्रोही बता कर काला झंडा दिखाते हैं आखिर मैं देशद्रोही हूं तो मेरी सुरक्षा के लिए इतनी बड़ी संख्या में पुलिस व प्रशासन को क्यों लगाया गया है.
ये सब देश के कानून व्यवस्था का मजाक उड़ा रहे हैं. यह देश में कैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि सत्ता से सवाल पूछने के बजाय लोग विपक्ष को काला झंडा दिखा रहे हैं. कन्हैया ने कहा कि हमें किसी से डर नहीं लगता गुजरात के आदमी के चक्कर में यह बिहार के लोग बिहारी संस्कृति को खराब न करें.
एकता को कमजोर करने की हो रही कोशिश
कन्हैया ने कहा कि आज देश में हमारी एकता को कमजोर करने का काम किया जा रहा है. आपस में भाईचारा और मुहब्बत को समाप्त कर समाज में जहर घोला जा रहा है. हिंदू, मुसलमान के चश्मा को उतार कर देखे तो सब इंसान नजर आयेंगे.
देश व धर्म के नाम पर राजनीति कर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है. एक बार धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हो चुका है. दोबारा हम बंटने नहीं देंगे. अगर देश को बांटने की कोशिश की गयी, तो हम भगत सिंह की तरह कुर्बानी देंगे.
सीएए, एनआरसी व एनपीआर के मुद्दे पर लोगों को समझाते हुए कन्हैया ने कहा कि उक्त कानून देश के गरीबों के खिलाफ है. रोजी रोटी के तलाश में जो लोग भी देश के विभिन्न कोने में गये हुए हैं. उनके पास अगर कागजात नहीं रहेगा, तो उनका नाम एनआरसी से हटा दिया जायेगा. अासाम में 19 लाख लोगों का एनआरसी से नाम हटा दिया गया. आज वे लोग अपने नागरिकता साबित करने के लिए परेशान हैं.
करणी सेना ने रास्ता रोक दिखाया काला झंडा
भभुआ. छात्र नेता कन्हैया कुमार अपने जन-गण-मन यात्रा के दौरान सासाराम में सभा को संबोधित करने के बाद जब भभुआ पहुंचे, तो कैमूर स्तंभ पर करणी सेना द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत कन्हैया कुमार के काफिले को रोक कर काला झंडा दिखाते हुए जम कर नारेबाजी की गयी.
करणी सेना के लोगों द्वारा देशद्रोही कन्हैया वापस जाओ, वापस जाओ, वापस जाओ के नारे लगाये जा रहे थे. हालांकि, कन्हैया कुमार के काफिले के साथ बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस प्रदर्शनकारियों को जबरन सड़क से किनारे कर काफिले को आगे निकाला. इधर, काफिले के गुजरने के बाद भी करणी सेना के सदस्य देर तक नारा लगाते रहे.
उन्हें सड़क से हटाने के दौरान मौजूद पुलिस पदाधिकारियों के साथ तीखी नोंकझोंक भी हुई. करणी सेना के जिलाध्यक्ष प्रिंस सिहं का कहना था कि कन्हैया देशद्रोही है. उसे कैमूर के पावन धरती पर आने से रोकने के लिए हम प्रदर्शन कर रहे हैं. कन्हैया राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित है सरकार व प्रशासन को उसके ऊपर कार्रवाई करनी चाहिए.
सुरक्षा की रही चाक चौबंद व्यवस्था
भभुआ. कन्हैया की जन-गण-मन यात्रा के दौरान भभुआ आने के कार्यक्रम की घोषणा के बाद करणी सेना ने विरोध करने की घोषणा पूर्व में कर दी थी. करणी सेना द्वारा विरोध की घोषणा किये जाने के बाद प्रशासन शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए काफी मुस्तैद था. कन्हैया के काफिले के साथ बड़ी संख्या में पुलिसबल को स्कॉट में लगाया गया था. ताकि, किसी तरह के विधि व्यवस्था की समस्या से निबटा जा सके.
वहीं, कन्हैया की सुरक्षा में सेंध न लगे. इसके अलावा सभास्थल से लेकर पूरे शहर में सीआरपीएफ, बीएमपी, जिला पुलिस, दंगा निरोधक दस्ता के जवान तैनात किये गये थे. गुरुवार की सुबह से ही सीआरपीएफ के जवान सड़कों पर फ्लैग मार्च कर रहे थे. कन्हैया समर्थक व विरोधी आपस में टकराये नहीं इसके लिए हर जगह पुलिस वाल का काम कर रही थी.
पुलिसिया मुस्तैदी के कारण शांतिपूर्ण ढंग से गुरुवार को कन्हैया की सभा भभुआ में संपन्न हुई. भभुआ एसडीएम जनमेजय शुक्ला, एसडीपीओ अजय प्रसाद, एएसपी अभियान नितिन कुमार, वरीय उपसमाहर्ता अमरेश कुमार अमर, मोहनिया एसडीपीओ रघुनाथ सिंह, सीआरपीएफ के डीएसपी, दर्जनों मजिस्ट्रेट चौक चौराहों पर तैनात नजर आये.
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