कुर्था. इस वर्ष के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है. विधानसभा चुनाव में वैश्य समुदाय के प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी व वैश्य प्रत्याशियों को लेकर अभी से ही बहस छिड़ गयी है. वैश्य समाज के युवा नेता सह भाजपा के जिला प्रवक्ता राकेश रंजन ने कहा कि मगध और शाहाबाद में विधानसभा की कुल 48 सीटें हैं लेकिन एनडीए गठबंधन द्वारा एक भी सीट वैश्य समाज को नहीं दिया जाता है. इन विधानसभा सीटों में से एक भी सीटों एनडीए गठबंधन द्वारा वैश्य समाज को नहीं दिया जाता है. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से वैश्य समाज को टिकट देने की मांग की है. उन्होंने बताया कि हमारे वैश्य समाज के सर्वाधिक लोग भाजपा को अपना कैडर पार्टी मानते हैं. समाज की सक्रिय भागीदारी को लेकर चुनाव में एकता प्रदर्शित करना है. वैश्यों की आबादी 22 से 25 प्रतिशत तक है इसके बावजूद हमारी राजनीतिक भागीदारी बहुत कमजोर है. सत्ता और संगठन में उन्हें उपेक्षा किया जा रहा है. समाज की सक्रिय भागीदारी को लेकर अरवल जिले के दो विधानसभा सीट कुर्था व अरवल है. बिहार के वैश्य बाहुल्य सीटों पर टिकट देने की मांग करता हूं. इसके लिए आने वाले समय में चुनाव के पूर्व एक अभियान चलाकर वैश्य मतदाताओं को जागरूक किया जायेगा. गत वर्ष लोकसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में वैश्य समाज की उपेक्षा की गई थी, जिसको लेकर असंतोष सामने आया था. राकेश रंजन ने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा विधानसभा और विधान परिषद चुनाव में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है, लोकसभा चुनाव में भी वैश्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया, जिससे वैश्य समाज के लोग ठगा महसूस कर रहे हैं. यह गलती इस वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में नहीं होनी चाहिए.
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