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बैरामसराय गांव में बना प्याऊ हुआ क्षतिग्रस्त, पेयजल की परेशानी

नगर पंचायत के बैरामसराय गांव स्थित वार्ड नंबर 12 में करीब सात लाख रुपये की लागत से बने प्याऊ भवन क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण लोगों के बीच पेयजल संकट उत्पन्न हो गयी है.

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घोसी. नगर पंचायत के बैरामसराय गांव स्थित वार्ड नंबर 12 में करीब सात लाख रुपये की लागत से बने प्याऊ भवन क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण लोगों के बीच पेयजल संकट उत्पन्न हो गयी है. इस सिलसिले में बैरामसराय गांव निवासी चन्देशवर पासवान, देवसागर पासवान, अशोक पासवान, धर्मेंद्र पासवान, बंगाली रजक, सुनैना देवी एवं वीणा देवी समेत कई लोगों ने बताया कि नगर पंचायत घोसी द्वारा करीब सात लाख रुपये की लागत से वार्ड 12 में प्याऊ बनाया गया था, ताकि बैरामसराय गांव के लोगों को प्याऊ से लाभ मिल सके लेकिन गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं होने के कारण करीब पांच-छह दिन पूर्व बने प्याऊ भवन क्षतिग्रस्त होकर दक्षिण दिशा की ओर झुक गया है जिससे नगर पंचायत घोसी अंतर्गत बैरामसराय गांव स्थित वार्ड 12 में बने प्याऊ से लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है और प्याऊं भवन क्षतिग्रस्त होने से लोगों के बीच पेयजल संकट उत्पन्न हो गयी है. खासकर सरकारी चापाकल एवं नल जल योजना पर निर्भर रहने वाले लोगों के बीच पेयजल संकट उत्पन्न हो गयी है. नल जल योजना एवं सरकारी चापाकल पर निर्भर रहने वाले लोग फिलहाल सरकारी चापाकल या फिर आसपास के घरों से पानी लाकर अपने काम चला रहे हैं. ग्रामीणों ने नगर पंचायत घोसी के कार्यपालक पदाधिकारी से इसकी अविलम्ब जांच करते हुए दूसरे प्याऊ मरम्मत की मांग की है, ताकि गर्मी के दिनों में पेयजल संकट से लोगों को निजात मिल सके. बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की किसान महासभा ने मांगा मुआवजा जहानाबाद सदर. अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव सौखिन यादव ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि बेमौसम बारिश के कारण जिले में दलहन और गेहूं, सब्जी उत्पादकों समेत तमाम किसानों, बटाईदारों को भारी क्षति हुई है. पहले से ही किसान त्राहिमाम में हैं. कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं. बेमौसम बारिश से लाखों की क्षति हुई है. दलहन, मसूर, चना आदि के अलावा गेहूं, सब्जी पर बुरा असर पड़ा है. इसकी जांच कर शीघ्र ही 20 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा या आर्थिक सहयोग दिया जाये. मोदी सरकार ने 2022 तक ही किसानों की आमदनी दुगुनी करने का वादा किया था परंतु किसानों की हालत दिन-प्रतिदिन खास्ता होते जा रहा है. उनकी आमदनी घटती जा रही है. खेती घाटे का धंधा हो गया है. तेजी के साथ खेती-किसानी छोड़कर लोग शहरों में गार्ड और ठेला, टेंपो चलाने के लिए मजबूर हैं. भाजपा और नीतीश की सरकार का कृषि रोड मैप महज दिखावा बन कर रह गया है. केंद्र व राज्य सरकार फसल बीमा के नाम पर किसानों को लाभ पहुंचाने के बजाय पूंजीपतियों पर सरकारी खजाना लूटा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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