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60 लाख रुपये महीना खर्च करने के बाद भी सफाई नदारद

नगर परिषद क्षेत्र में सफाई की स्थिति बहुत खराब है. खासकर शहर के अधिकांश नाले और नालियां जाम है. गर्मी में शहर के नालों की उड़ाही नहीं कराई गई.

जहानाबाद. नगर परिषद क्षेत्र में सफाई की स्थिति बहुत खराब है. खासकर शहर के अधिकांश नाले और नालियां जाम है. गर्मी में शहर के नालों की उड़ाही नहीं कराई गई. कुछ क्षेत्र में उड़ाही के नाम पर नल की ऊपरी सफाई कर खाना पूर्ति कर दी गयी है. यह हाल तब है जबकि जनवरी में सफाई के लिए नई एजेंसी से एग्रीमेंट कराया गया है. सफाई कर्ज के लिए नई एजेंसी को प्रतिमा 60 लख रुपये महीना दिया जा रहा है. जबकि इससे पहले नगर परिषद के द्वारा विभागीय स्तर से 36 लाख रुपये महीना में सफाई का कार्य किया जा रहा था. मई का महीना बीतने को है. शहर के तमाम नाले जाम है. जून के महीने में मानसून बिहार में आ जाता है. ऐसे में बारिश होने पर शहर की स्थिति नरकीय होना तय माना जा रहा है. अभी तो हाल ही है कि गर्मी में ही शहर के कई प्रमुख सड़कों पर नाली का पानी ओवरफ्लो होकर बहने लगता है. शहर के शिवाजी पथ में कुछ ही दिन पहले कई जगहों पर नाली का पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बह रहा था, इसके बाद जाम नल से जगह-जगह ऊपरी कचरा हटाकर न लेकर पानी का बहाव शुरू किया गया. इसके बावजूद शिवाजी पाथ में नालों की उड़ाई नहीं करायी गयी. हालांकि उसके बाद फिर से नाली का पानी कई जगह से रिस रहा है. यही हाल पीली कोठी के पास और पीली कोठी से सब्जी मंडी की ओर आने वाली सड़क का भी है. इन जगहों पर भी नाले जाम है, जिसके कारण इन जगहों पर भी गर्मी के दिन में ही जगह-जगह से नाले का पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहता है. जब-जब नल का पानी ओवरफ्लो होकर सबको पर आता है, तब सफाई कर्मी आते हैं और ऊपरी कचरे को हटा देते हैं, इसके बाद पानी का फ्लो नाली से होकर बहने लगता है, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद फिर पहले वाली स्थिति हो जाती है और नाली का गंदा पानी शकों पर बहने लगता है, यह प्रक्रिया अनवरत जारी है. इस सबके बावजूद शहर में नालों की उड़ाही नहीं कराई जा रही है. हाल तो यह है कि नाले और नालियों की नियमित सफाई भी नहीं होती है. जब कभी नाले से पानी ओवरफ्लो होकर सड़क या गलियों में बहता है और इसकी शिकायत नगर परिषद से की जाती है तब नगर परिषद के सफाई कर्मी आते हैं और जाम नाले के ऊपरी कचरे को हटाकर नाली से पानी का बहाव चालू कर चले जाते हैं. इसके बाद कुछ ही दिनों के अंतराल पर फिर नाली का पानी और फ्लो होकर बहने लगता है. इसके बाद फिर शिकायत जाती है और ऊपरी कचरे को साफ कर पानी का बहाव शुरू कर दिया जाता है. शहर में नाले नालियों के सफाई का यही रूटीन बना है. जब कभी सफाई अभियान चला भी है तो केवल ऊपरी कचरे को छाना जाता है. नाला जाम रहने और उसे पानी का फ्लो लगातार सही ढंग से नहीं होने के कारण उसमें मच्छर का लारवा पनपता है जिसके कारण मलेरिया फाइलेरिया डेंगू और कई खतरनाक बीमारियां लोगों को जकड़ लेती है. जहानाबाद जिला भी डेंगू की चपेट में है. जिले में गांव से लेकर शहर तक लोग मच्छरों के प्रकोप के कारण डेंगू की चपेट में जाकर बीमार हैं. इन बीमारियों की रोकथाम के लिए सफाई कार्य चलाकर नालो में वॉटर लॉगिंग खत्म करने, दोनों शाम कूड़े का उठाव नाली गलियों की सफाई करने का निर्देश दिया जाता है. इसके अलावा मच्छरों और मच्छरों के लार्वा को पनपने से रोकने के लिए फागिंग भी करने का भी निर्देश है, बावजूद इसके पूरा तंत्र जैसे सोया हुआ है. फिदा हुसैन रोड या एरोड्रम रोड छोड़कर पूरे बाजार के नालों की उड़ाई नहीं करायी गयी है, जिसका खामियाजा लोगों को अभी से ही भुगतना पड़ रहा है. बरसात में तो क्या स्थिति होगी यह आने वाला समय बतायेगा लेकिन लोगों का कहना है कि यही हाल रहा तो पूरे शहर की बरसात में नारकीय स्थित बनना तय है.

शहर के विभिन्न मार्गों पर नालों की उड़ाही तो दूर सफाई भी नहीं हो रही है. नालों में कई जगह इतनी जाल मकड़े और सूखापन दिखता है कि जैसे महीनों से इसमें हाथ भी नहीं लगाया गया है. शहर के ज्यादातर नालों को ढलाई से ढक दिया गया है. बीच-बीच में सफाई के लिए लोहे की जाली लगायी गयी है. वह लोहे की जाली भी जगह-जगह टूटी है जहां से गंदगी झांकती नजर आती है, जहां नाली के ऊपर ढलाई नहीं है वहां लोगों ने अपने प्लेटफार्म बना रखे हैं. ढलाई और प्लेटफार्म के नीचे से तो कभी सफाई होती ही नहीं. बीच-बीच में जो गैप है, उसी से कभी-कभार कचरा निकाल कर सफाई की खानापूर्ति की जाती है. इधर कई सप्ताह से वह खानापूर्ति भी नहीं हुई है. ऐसे में नाला नली या कहीं भी वॉटर लॉगिंग खतरनाक है जिसमें मच्छर के लार्वा पनप सकते हैं, जिससे डेंगू का प्रकोप हो सकता है.

सफाई के लिए एजेंसी की बढ़ती गयी राशि : नगर की सफाई के लिए नगर परिषद के द्वारा एजेंसी की नियुक्ति कर सफाई कार्य कराई जा रही थी, जिसे हर माह सफाई कार्य के लिए उसे निर्धारित राशि दी जाती थी. जैसे-जैसे समय गुजरता गया एजेंसी की राशि बढ़ती गई किंतु सफाई कार्य पहले से और बदतर होता गया। पूर्व में सफाई एजेंसी को 21 लाख रुपए महीना दिया जाता था. उसके बाद उसे बढ़ाकर 28 लाख किया गया फिर 32 लाख और पिछले एजेंसी को सफाई कार्य के एवज में प्रति माह 55 लाख रुपए दिए जा रहे थे. बावजूद इसके नगर की सफाई का हाल बदतर बना हुआ था. शहर की मुख्य सड़कों पर झाड़ू देने और कूड़े के उठाव के अलावा एजेंसी के द्वारा शायद ही और कोई काम प्रतिदिन किया जाता था. कूड़े का उठाव भी एक ही टाइम होता है. जबकि नगर परिषद से सुबह शाम कूड़े के उठाव का एग्रीमेंट एजेंसी के साथ किया जाता है. मुख्य सड़क पर भी नालों की सफाई कभी कभार ही की जाती है. वह भी टूटी हुई जाली से कुछ कचडे निकाल कर सफाई की खानापूर्ति होती थी. मोहल्ले और गलियों की सफाई का तो भगवान ही मालिक था।.

नई सफाई एजेंसी को प्रति माह दिया जा रहा है 60 लाख रुपये : जहानाबाद नगर परिषद क्षेत्र में सफाई कार्य के लिए नई एजेंसी को प्रति माह नगर परिषद की ओर से 60 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है. इसके बावजूद सफाई का हाल यह है कि कहीं भी नाले में पानी का फ्लो नजर नहीं आता है, बल्कि नाले के ऊपर ढका कचरे का ढेर नजर आता है. कहीं-कहीं तो नल का हाल यह है जैसे लगता है, महीनाें से उसे छुआ तक नहीं गया है. नगर परिषद के द्वारा जनवरी 2025 में पाथ्या प्राइवेट लिमिटेड के साथ नगर परिषद क्षेत्र में सफाई का एग्रीमेंट कराया गया है जिसे सफाई के एवज में प्रति माह 60 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है. इसके बावजूद सफाई एजेंसी हर वार्ड को सीमित सफाई कर्मी देता है. जिससे वार्डों में सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है. इसके बावजूद एजेंसी को प्रति माह पैसे का भुगतान हो जाता है. कहा जाता है कि इसमें कमीशन खोरी का भी खेल चलता है.

इससे पहले सफाई एजेंसी को दिया जाता था 40 लाख रुपये महीना

वर्तमान एजेंसी को सफाई कार्य का जमा दिये जाने के पहले 2023 -24 में दूसरी एजेंसी नगर परिषद क्षेत्र में सफाई का काम देख रही थी. उक्त सफाई एजेंसी को सफाई के लिए एवज में प्रतिमा 40 लख रुपये का भुगतान किया जा रहा था. उस समय भी सफाई कार्य का यही हाल था. कुछ लोग तो बताते हैं कि पिछली एजेंसी इससे कुछ अच्छा ही सफाई कर रही थी. नगर परिषद क्षेत्र में सफाई कार्य के लिए हर बार एजेंसी को भुगतान की राशि बढ़ा दी जाती है, बावजूद इसके सफाई का कार्य पहले से भी बदतर हो जाता है.

नगर परिषद विभागीय सफाई करा रही थी 36 लाख में

वर्तमान सफाई एजेंसी से सफाई कार्य करने के पहले नगर परिषद के द्वारा शहर में विभागीय स्तर से सफाई का कार्य कराया जा रहा था. विभागीय स्तर से सफाई कर्ज करने में नगर परिषद को प्रति माह 36 लाख रुपये का खर्चा आता था. जनवरी 2025 में पाथ्या सफाई एजेंसी से एग्रीमेंट करने के पहले नगर परिषद क्षेत्र में सफाई का कार्य खुद नगर परिषद से कर रही थी. विभागीय स्तर से शहरी क्षेत्र में सफाई कर्ज करने में नगर परिषद को महीने में 36 लाख रुपये का खर्चा आ रहा था. वित्तीय वर्ष 2023- 24 के बाद पिछले सफाई एजेंसी द्वारा काम छोड़ जाने से लेकर जनवरी 2025 में नई एजेंसी से एग्रीमेंट होने के पहले तक नगर परिषद के द्वारा ही विभागीय स्तर से सफाई का कार्य कराया जा रहा था सफाई में खर्च लगभग दोगुना हो जाने के बावजूद सफाई की क्वालिटी पहले से और खराब जा रही है. ऐसे में कहा जा रहा है कि इलाज के लिए जैसे-जैसे दवा बढ़ती गयी मर्ज भी बढ़ता गया.

क्या कहती हैं मुख्य पार्षद

शहर में सफाई कार्य नई एजेंसी के द्वारा की जा रही है जिसके लिए उसे प्रति माह 60 लाख रुपये दिये जा रहे हैं. इसके बावजूद हर वार्ड से सफाई की शिकायतें आ रही है. इस मामले में कार्यपालक पदाधिकारी से एजेंसी के साथ में एग्रीमेंट को वोट की बैठक में रखने के लिए कहा गया था, किंतु एग्रीमेंट सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. जब विभागीय स्तर से कम पैसे में सफाई हो रही थी, तो ज्यादा पैसे खर्च करने की क्या जरूरत थी.

रूपा देवी, मुख्य पार्षद, नगर परिषद, जहानाबाद

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