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हुलासगंज प्रखंड के केऊर पंचायत में एक महिला हुई जेइ पॉजिटिव

जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेइ) और एइएस ने दस्तक दे दी है.

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जहानाबाद. जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेइ) और एइएस ने दस्तक दे दी है. हुलासगंज प्रखंड के केउर पंचायत के गंभीरगंज गांव में एक महिला एइएस से इनफेक्टेड पायी गयी है जिसका इलाज पटना के एम्स में किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उक्त गांव में एईएस का मामला सामने आने पर वहां दवा का छिड़काव कराया गया है. इसके साथ ही आसपास के लोगों को सतर्क कर दिया गया है. एईएस जापानी इंस्पैलाइटिस का ही एक रुप है. एईएस को क्यूट एंड सोसाइटीज सिंड्रोम कहा जाता है. जापानी इंसेफेलाइटिस में ज्यादातर बच्चे उसके शिकार होते हैं. जबकि एइएस में अधिक उम्र के लोग इससे इनफेक्टेड होते हैं. इस साल एईस का यह पहला केस सामने आया है. हालांकि पिछले साल जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस के चार और एइएस का एक केस सामने आया था. पिछले साल जिले में इससे एक व्यक्ति की मौत भी हो गयी थी जिसके कारण इस साल जिले में स्वास्थ्य विभाग पहले से ही इस बीमारी से निपटने के लिए कमर का कस ली है. जापानी साइकैटरिस्ट और एइएस रोकथाम और उसने निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जिले में अलर्ट कर रखा है. सदर अस्पताल सहित सभी प्रखंडों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और रेफरल अस्पताल को अलर्ट कर दिया गया है. उन्हें इस बीमारी से निपटने के लिए सारी तैयारी पूरी कर लेने का निर्देश दिया गया है. सदर अस्पताल के फैब्रिकेटेड बिल्डिंग में इसके लिए पांच बेड का एक अलग से वार्ड बनाया गया है. सभी प्रखंड अस्पतालों को अपने-अपने अस्पताल में दो-दो बेड का जापानी इंसेफेलाइटिस वार्ड बनाने का निर्देश दिया गया है. इस बीमारी से संबंधित सभी दवाएं अस्पतालों में स्टोर करने के लिए कहा गया है. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को कंट्रोल रूम बनाने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही अपने-अपने क्षेत्र में आशा आंगनबाड़ी आशा फैसिलिटी और जीव का दीदी सहित और स्वास्थ्य कर्मियों को इससे निबटने के लिए प्रशिक्षण देने का भी निर्देश दिया गया है. इस बीमारी से बचने और इसकी रोकथाम के लिए क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाने तथा प्रचार-प्रसार करने का भी निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिया गया है. इस सिलसिले में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी का कहना है कि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में के से बचाव के लिए जिले में बेहतर ढंग से टीकाकरण अभियान चलाया गया है. जेइ एक से बचाव के लिए इस जिले में 99 प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है. जबकि जेइ 2 से बचाव के लिए टीकाकरण का प्रतिशत 98 है. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग स्थानीय नगर निकाय और आम लोगों को अपने आसपास की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है. अपने आसपास पानी के जमाव को रोकने और मच्छरों को पनपना से रोकने की भी उपाय करने को कहा गया है. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करने का भी निर्देश दिया गया है. दिन में मच्छरों से बचाव के लिए अन्य उपाय जैसे एंटी मॉस्किटो क्रीम कवाल और अन्य उपाय शामिल है. वेक्टर जनित रोगों के प्रति जागरूकता जरूरी : आमभाषा में एइएस जेइ को चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है. इसमें सरदर्द, तेज बुखार आना, बेहोशी, शरीर में चमकी होना या हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना जैसे लक्षण होते हैं. बीमारी के दौरान बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होता है. बच्चे समान व्यवहार नहीं करते वे अपनी मां तक को नहीं पहचानते हैं. इसके लक्षणों की पहचान कर तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर आवश्यक इलाज कराया जाना चाहिए. 15 साल तक के बच्चों में अधिक होती है यह बीमारी : एइएस-जेइ एक गंभीर बीमारी है जो अत्यधिक गर्मी के मौसम में ही होता है. इससे शून्य से 15 साल तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं. बच्चों को सिरदर्द, तेज बुखार के साथ मांसपेशियों में अकड़न और बेहोशी की समस्या हो सकती है. बच्चों को भूखे पेट नहीं सोने दें : एपीडेमीयोलॉजिस्ट आलोक कुमार ने बताया कि बच्चों को रात में सोते समय भरपेट खाना खिलाएं. बच्चों को भूखे पेट बिल्कुल नहीं सोने दें. अपने बच्चे को तेज धूप से बचाएं. गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू पानी चीनी का घोल पिलाएं. अमूमन चमकी बुखार के मामले उन जगहों से ज्यादा आते हैं जहां पर सुअर पालन होता है. इसमें जेइ परजीवी अधिक होते हैं. सुअर के बाड़े को घर से दूर रखना चाहिए. 2021 में इससे हुई थी चार लोगों की मौत : वर्ष 2021 में जापानी इन इंसेफेलाइटिस और एइएस से चार लोगों की मौत हो गयी थी. वर्ष 2021 में जिले में इन दोनों मामले में कुल 12 केस सामने आये थे. इसमें पांच मरीज जेई के थे. इसमें दो मरीजों की मौत हो गयी. वहीं सात मरीज एइएस के थे जिसमें दो मरीज की मौत हो गयी. कुलेक्स मच्छर के काटने से होता है यह रोग : एइएस-जेई के कई प्रकार के जेई क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. एइएस होने के कई कारण हो सकते हैं. इसके लिए सबसे जरूरी है कि घर सहित आसपास की जगहों की पूरी साफ सफाई करते रहें. चमकी को धमकी बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाएं देखें बच्चा कही बेहोश या उसे चमकी तो नहीं बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत नजदीकी अस्पताल लें जाएं क्या कहते हैं अधिकारी जापानी इंसेफेलाइटिस और एइएस से बचाव के लिए तमाम उपाय कर लिये गये हैं. सदर अस्पताल में पांच बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है. जबकि प्रखंडों में दो बेड के बाद बनाये जा रहे हैं. इस रोग से संबंधित सभी दवाएं अस्पतालों में उपलब्ध करा दी गयी है. स्वास्थ्य कर्मियों और आशा आंगनबाड़ी जीविका दीदी को ट्रेनिंग दी जा रही है. इसे बचाव के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहे हैं. डॉ विनोद कुमार सिंह, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज, पदाधिकारी

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