10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नहीं बढ़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर, कहां लगेंगे 300 बेड

जहानाबाद नगर : जिले में संचालित अनुमंडल अस्पताल को उत्क्रमित करते हुए 13 जून, 1981 को सदर अस्पताल का दर्जा दिया गया था तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा द्वारा सदर अस्पताल भवन का उद्घाटन किया गया था. इसके बाद 29 जनवरी ,1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद द्वारा सदर अस्पताल का नामकरण अमर शहीद […]

जहानाबाद नगर : जिले में संचालित अनुमंडल अस्पताल को उत्क्रमित करते हुए 13 जून, 1981 को सदर अस्पताल का दर्जा दिया गया था तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा द्वारा सदर अस्पताल भवन का उद्घाटन किया गया था. इसके बाद 29 जनवरी ,1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद द्वारा सदर अस्पताल का नामकरण अमर शहीद जगदेव प्रसाद के नाम पर करते हुए इसका उद्घाटन किया गया था. उस समय यह अस्पताल 60 बेडों का था. बाद में सरकार द्वारा उत्क्रमित करते हुए इसे 120 बेड का अस्पताल बनाया गया. अस्पताल प्रशासन द्वारा किसी तरह उसी इन्फ्रास्ट्रक्चर में 108 बेड लगाये गये. बेडों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन अन्य सुविधाएं पूर्व की तरह ही रहीं. इसके बाद 15 जून ,2009 को सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2009-10 में सदर अस्पताल को उत्क्रमित करते हुए 300 बेड का अस्पताल बना दिया गया.

साथ ही जरूरी पदों का सृजन भी किया गया. अस्पताल तो उत्क्रमित हो गया, पदों का सृजन भी सरकार द्वारा कर दिया गया, लेकिन 300 बेड के अस्पताल के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ाया गया. ऐसे में सरकार के इस निर्देश के छह साल बीत जाने के बाद भी आज भी सदर अस्पताल 108 बेड का ही संचालित हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ बेडों की कमी के कारण मरीजों को कई बार फर्श पर अपना इलाज कराना पड़ रहा है.

अस्पताल में कहां लगाया जा सकता है बेड : सदर अस्पताल में अभी भी ऐसे कई कमरे हैं ,जहां बेड लगाया जा सकता है. सदर अस्पताल के मुख्य बिल्डिंग में महिला कर्तव्य कक्ष, डीइआरसी कक्ष, ओटी के सामने मास मीडिया कक्ष, दवा वितरण केंद्र के समीप स्थित कक्ष, एसीएमओ कार्यालय के बगल वाले कक्ष में बेड लगाया जा सकता है. वहीं जिन कमरों में बेड लगा है उनमें दो -दो अन्य बेड भी लगाये जा सकते हैं.

ला अस्पताल में ओपीडी के तहत जेनरल मेडिसिन (नेफ्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी), जेनरल सर्जरी (यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी), गाइनी, पेडेट्रीक्स आदि सेवाओं का संचालन होना चाहिए. वहीं इमरजेंसी सेवा के तहत आइसीयू, एनेथेसिया, इएनटी, ऑर्थोपेडिक, रेडियोलॉजी, डेंटल केयर आदि की व्यवस्था आवश्यक है. इसके साथ ही पाराक्लिनिकल सर्विस के तहत लेबोरेटरी, एक्सरे, सीटीस्केन, सोनोग्रोफी, इसीजी, इइजी, पैथेलॉजी, ब्लड बैंक, फिजियोथेरेपी, डेंटल टेक्नोलॉजी, ड्रग एन्ड फार्मेसी के साथ सपोर्टिंग सर्विस के रूप में पोस्टमार्टम, एंबुलेंस, लांड्री सर्विस, सिक्यूरिटी, काउंसेलिंग आदि की व्यवस्था होनी चाहिए. लेकिन जिले में अभी भी कई ऐसी सेवाएं हैं जो उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में जिला अस्पताल का उत्क्रमण तो सरकार द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं जरूरी सेवाएं उपलब्ध नहीं रहने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिला अस्पताल के लिए पर्याप्त संख्या में मैन पॉवर की आवश्यकता होती है.

इसके लिए सरकार द्वारा पद भी सृजित किया गया है, लेकिन अस्पताल में मैन पॉवर का भी अभाव है. जिला अस्पताल के लिए एक उपाधीक्षक, तीन मेडिकल स्पेस्लिस्ट, तीन सर्जरी स्पेस्लिस्ट, छह स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक मनो चिकित्सक, एक चर्म रोग विशेषज्ञ, तीन शिशु रोग विशेषज्ञ, छह इएनटी विशेषज्ञ, दो नेत्र रोग विशेषज्ञ, दो हड्डी रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलॉजिस्ट, तीन मुर्च्छक, एक माइक्रो बायोलॉजिस्ट, 20 सामान्य चिकित्सक, चार आयुष फिजिसियन, दो पैथोलॉजिस्ट, एक दंत चिकित्सक के साथ ही 100 ए ग्रेड नर्स, 30 अटेन्डेंट, 20 सेनिटरी वर्कर्स, आठ फर्मासिस्ट, सात मेटरन, 12 प्रयोगशाला प्रद्यौगिकी, 11 स्टाफ नर्स, 10 ओटी असिस्टेंट, पांच सहायक, आठ मिश्रक के साथ ही अन्य कई कर्मियों की आवश्यक्ता होती है. लेकिन जिला अस्पताल में वर्तमान में मात्र एक स्पेस्लिस्ट तथा दो सर्जन ही उपलब्ध हैं. ऐसे में जिला अस्पताल में मिलने वाली सुविधाएं मरीजों को कैसे मयस्सर हो पायेंगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें