सभी 33 वार्ड पार्षदों ने वोटिंग में लिया हिस्सा
जहानाबाद : उक्त दोनों पदों के लिए संपन्न हुए चुनाव में पांच घंटे का समय लगा. पूर्वाह्न 11 बजे से शाम 4 बजे तक चुनाव की प्रक्रिया होती रही. विधि व्यवस्था को बहाल रखने के लिहाजन सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे. समाहरणालय के सभाकक्ष तक पहुंचने के पूर्व मेन गेट पर ही एएसपी अभियान अनिल कुमार सिंह और एसडीपीओ प्रभात भूषण श्रीवास्तव, दंडाधिकारी एवं बड़ी संख्या में एसएसबी के जवान तैनात थे. सभी पार्षदों को गेट पर चेक किया जा रहा था और आवश्यक प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जा रही थी.
कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर कारगिल चौक तक सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति की गयी थी. सड़क पर भीड़ नहीं लगने दिया जा रहा था. विकास भवन के मुख्य द्वार को भी बांस से घेरा गया था ताकि उस रास्ते समाहरणालय परिसर में कोई प्रवेश न कर सके. सिर्फ चुनाव से संबंधित अधिकारियों और नव निर्वाचित नगर पार्षदों के प्रवेश की अनुमति थी.
मीडियाकर्मियों को परिसर से प्रशासन ने किया बाहर: पहली बार ऐसा हुआ कि पारदर्शिता बरतने का दंभ भरने वाले और मीडियाकर्मियों की कार्यशैली की प्रशंसा करने वाले प्रशासन के अधिकारियों ने मीडियाकर्मियों को समाहरणालय परिसर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. चुनाव की प्रक्रिया समाहरणालय के प्रथम तल पर सभाकक्ष में हो रही थी. मीडियाकर्मी पूर्व की तरह परिसर के भीतर मेन गेट पर तैनात दंडाधिकारी की अनुमति के बाद परिसर में गये थे.
वहां वृक्ष की छांव में खड़े थे ताकि तीखी धूप व ऊमस भरी गरमी से थोड़ी राहत पाते हुए चुनाव का कवरेज कर सकें, लेकिन शायद यह प्रशासन को रास नहीं आया. एसडीओ नवल किशोर चौधरी के आदेश पर मीडियाकर्मियों को समाहरणालय के गेट से बाहर कर दिया गया.
टूट गया एमवाइ समीकरण, मुभू का बना मजबूत गठजोड़ : जहानाबाद में वर्षों से कायम मुसलमान-यादव (माई) समीकरण नगर सरकार के गठन के लिए हुए चुनाव में इस बार टूट गया और मुसलमान एवं भूमिहार वर्ग के नगर पार्षदों का एक मजबूत गठजोड़ उभर कर जीत दर्ज की. लोक सभा का चुनाव हो या विधान सभा का, अधिकांश मौकों पर मुसलमान-यादव मतों की एक्का माई समीकरण के रूप में उभरती रही है लेकिन इस चुनाव में ऐसा नहीं हुआ.
माई समीकरण टूट गया. मुसलमान वर्ग के 8 और भूमिहार वर्ग के 5 विजयी नगर पार्षदों के नये और मजबूत गठजोड़ ने बाजी मारी. साथ ही 1980-90 के दशक के मुस्लिम-भूमिहार मतों की एकता को फिर से ताजा किया है. देखा जा चुका है कि विधान सभा के पूर्व के हुए तीन-चार चुनावों में स्वर्गीय विधायक सैयद असगर हुसैन के समर्थन में भूमिहार मत पड़े थे. बाद में स्थिति भले हीं बदली और राजग एवं राजद के रूप में वोट पड़ने लगे परंतु मुख्य व उपमुख्य पार्षद के हुए इस चुनाव में मुसलमान और भूमिहार पार्षदों ने एकता बना अन्य वर्गों के पार्षदों के सहयोग से नगर सरकार के उक्त दोनों पदों पर काबिज होने में सफलता हासिल की. इनके अलावा महादलित, अतिपिछड़ा और पिछड़े वर्ग के पार्षदों के मत का बिखराव हुआ. इस चुनाव में अप्रत्यक्ष ढंग से बड़े राजनीतिक हस्तक्षेप की भी नहीं चली.
इंटर पास वसीका नवीस हैं उपमुख्य पार्षद : नगर पर्षद के उपमुख्य पार्षद मो कलामउद्दीन इंटरमीडिएट स्तर तक की शिक्षा ग्रहण की है. वे पेशे से वसीका नवीस भी हैं. यह पेशा उनका पुस्तैनी है. उनके पिता स्व शाह मुहम्मद इस्माइल भी वसीका नवीस थे. दूसरी बार वे नगर पार्षद चुने गये है और इस बार उपमुख्य पार्षद पद पर काबिज होने में सफलता हासिल की है.
मखदुमपुर. नगर पंचायत के निर्विरोध बने उप पार्षद रितेश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा राजनीत के मंजे खिलाड़ी हैं. पूणे से एमबीए की पढ़ाई कर लौटे चुन्नू ने युवा कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की.
वर्ष 2010 में वे युवा कांग्रेस का मखदुमपुर विधानसभा अध्यक्ष चुने गये. वर्ष 2012 में उनकी शादी पंडारक (बाढ़) में स्नेहा कुमारी के साथ हुई. अभी इनके एकमात्र पुत्र है. उसी वर्ष नगर पंचायत का हो रहे चुनाव में उन्होंने अपनी मां गिरिजा सिन्हा को चुनाव लड़ाया और नगर पंचायत पार्षद सरोज भारद्वाज को पराजित किया. चुन्नू के कुशल राजनीतिक पकड़ और सामाजिक व्यवहार के कारण मां गिरिजा सिन्हा को मुख्य पार्षद बनाने में सफल रहे. इस बार मुख्य पार्षद का पद आरक्षित होने के कारण वे खुद वार्ड 5 से चुनाव लड़े और विजयी हुए. अपने गांव के ही महादलित परिवार के संतोषी देवी को मुख्य पार्षद और खुद उपमुख्य पार्षद बनने में सफल रहे.
जल निकासी और सौंदर्यीकरण सर्वोच्च प्राथमिकता : चुन्नू शर्मा
नव निर्वाचित उपमुख्य पार्षद रितेश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा ने कहा कि उनकी माता एवं पूर्व मुख्य पार्षद गिरिजा सिन्हा के कार्यकाल के दौरान बचे हुए विकास कार्य को पूरा करायेंगे. साथ ही मखदुमपुर में जल निकासी और पार्क का निर्माण सहित क्षेत्र की जनता की मांग के अनुसार विकास कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले स्वर्णिम कार्यकाल को देखते हुए नगर पंचायत की जनता और पार्षदों ने जो सम्मान दिया उसकी भरपाई विकास का कार्य कर ही पूरा करेंगे.
नगर पंचायत पर फिर बजा पलेया गांव का डंका: नगर पंचायत में मुख्य पार्षद और उपमुख्य पार्षद का चुनाव होते ही पलेया गांव का नजारा बदल सा गया है. लोग गांव के बहु और बेटा को दोनों पदों पर चुने जाने से काफी उत्साहित दिख रहे हैं. नगर पंचायत में वर्ष 2007 से लगातार इसी गांव के पार्षद मुख्य पार्षद बनते चले आ रहे हैं. वर्ष 2007 में वार्ड पांच से चुनाव जीती सरोज भारद्वाज, वर्ष 2012 में चुनाव जीते गिरिजा सिन्हा और वर्तमान में वार्ड 4 से संतोषी देवी और वार्ड 5 से रितेश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा ने फिर मुख्य पार्षद और उपमुख्य पार्षद बनकर गांव वालों की शान बढ़ा दी. ग्रामीण पंपी शर्मा बताते हैं कि उनके गांव का पार्षद 10 सालों से नगर पंचायत का मुख्य पार्षद है. ये गर्व की बात है.
गांव के पार्षद दोनों पद पर काबिज हो गये. वहीं मुसहर टोली में होली का नजारा दिख रहा है. युवा तबके के लोग मांदर के साथ गीत गाते नजर आ रहे हैं. बुजूर्ग महेश मांझी लड़खड़ाते हुए बताता है कि उसके लिए जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन है. टोले की पहली बहू जो मुख्य पार्षद की कुरसी तक पहुंच पायी है.