गोपालगंज. डॉक्टरों के ओपीडी बहिष्कार ने मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सदर अस्पताल और जिलेभर के स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज के लिए आये मरीजों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. हड़ताल के पहले दिन ही सदर अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों के ओपीडी से लगभग पांच हजार मरीज बिना इलाज के लौट गये. शुक्रवार को हड़ताल का दूसरा दिन था, लिहाजा स्थिति और भी गंभीर होती जा रही थी. बच्चों के टीकाकरण और रैबीज इंजेक्शन जैसी आवश्यक चिकित्सा सेवाएं भी प्रभावित हो रहीं. इमरजेंसी वार्ड में भी मरीजों की भीड़ बढ़ गयी है, जिससे गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ रही है. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पतालों में पूरी व्यवस्था ठप हो गयी है, और लोगों को इसका गंभीर असर झेलना पड़ रहा है. भासा संघ के डॉक्टरों ने बायोमैट्रिक अटेंडेंस, भव्या ऐप से मरीजों के रजिस्ट्रेशन और अन्य मांगों को लेकर 29 मार्च तक ओपीडी का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. इसके बाद, यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो वे बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेंगे. भासा संघ के सचिव कैप्टन एसके झा, डॉ एसके गुप्ता, डॉ शशि रंजन प्रसाद के अलावा डॉ अमर कुमार समेत बड़ी संख्या में चिकित्सक बैठक में शामिल थे. इस हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर हो रहे असर को लेकर मरीजों में आक्रोश व्याप्त है. एक मरीज ने कहा, ””हमें इलाज के लिए बहुत दूर-दूर तक जाना पड़ रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.”” वहीं ममता देवी, एक और मरीज, ने कहा, ””हम बीमार हैं, लेकिन इलाज नहीं मिल रहा है, यह बहुत ही कठिन समय है””. आशा देवी और रामधरी देवी जैसी मरीजों ने भी अपनी परेशानियों का जिक्र किया और कहा कि वे लगातार स्वास्थ्य केंद्रों का चक्कर काट रही हैं, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल रही. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, वह केवल गोपालगंज तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे जिले में देखा जा रहा है. यह स्थिति कब तक सुधरेगी, यह अब स्वास्थ्य विभाग के कदमों पर निर्भर करेगा.
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