गोपालगंज : दीपावली खुशियों का त्योहार है. जश्न में शरीर के अंगों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. पड़ोसी से प्रतिस्पर्धा के बजाय सुरक्षित दीपावली मनाएं. हमारे कान 60 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण बरदाश्त कर सकते हैं, लेकिन तेज ध्वनि के पटाखे कानों के लिए घातक हैं. अस्थायी और स्थायी तौर पर बहरेपन की अंदेशा बन जाती है.
डॉ एके तिवारी ने बताया कि त्योहार की खुशियों को पलीता न लगाएं. दीपावली के दिन छोड़े गये पटाखों के ध्वनि प्रदूषण की वजह से करीब 15 से 16 दिनों में कई लोग पूरी तरह बहरे हो गये हैं. कानों की क्षमता के मुताबिक पटाखे छोड़ें. बेहतर है कि फुलझड़ी, फिरकी और राॅकेट ही छोड़ें. तेज आवाज से कान के पर्दे पर प्रेशर पड़ता है.