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मासूम छात्र के दिल में है छेद, ऑपरेशन के लिए नहीं हैं पैसे

गोपालगंज : एक नन्ही-सी जान, दिल में बड़े-बड़े अरमान लेकिन एक ऐसा दर्द जो उसके हर सपने के पूरे होने में बाधा बन गया है. नौ साल के मासूम छात्र ने बड़े-बड़े सपने देखे हैं, पर दिल का दर्द उसे तिल-तिल कर मार रहा है. बचपन से ही वह मौत से जंग लड़ रहा है. […]

गोपालगंज : एक नन्ही-सी जान, दिल में बड़े-बड़े अरमान लेकिन एक ऐसा दर्द जो उसके हर सपने के पूरे होने में बाधा बन गया है. नौ साल के मासूम छात्र ने बड़े-बड़े सपने देखे हैं, पर दिल का दर्द उसे तिल-तिल कर मार रहा है. बचपन से ही वह मौत से जंग लड़ रहा है. मां-बाप जिंदगी के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. कुचायकोट के दुर्ग मटिहनिया गांव का रहनेवाला नौ साल के मासूम गोल्डेन की कहानी बेहद दर्दनाक है. गोल्डेन अभी कक्षा थ्री में पढ़ता है, लेकिन उसके दिल में छेद होने की वजह से वह आम बच्चों की तरह जीवन नहीं जी सकता. पिता उपेंद्र कुशवाहा लखनऊ मेडिकल कॉलेज से लेकर ऑल इंडिया मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए गये, लेकिन वहां इलाज का खर्च सुन कर उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिये.

ऑपरेशन से मिल सकती है जिंदगी : उपेंद्र पेशे से किसान हैं और खेतों में मेहनत-मजदूरी कर वे किसी तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं. ऐसे में बच्चे की बीमारी ने उन्हें और भी चिंतित कर दिया है. डॉक्टर्स ने बताया कि ऑपरेशन में 65 हजार से एक लाख रुपये खर्च आयेगा. उपेंद्र कुशवाहा के लिए इतनी रकम किसी पहाड़ से कम नहीं है. गोल्डेन में पढ़ने की ललक है. अपनी जिद पर स्कूल भी जाता है, लेकिन उसका दिल ठीक से काम नहीं करता जिससे वो कुछ देर चलने के बाद गिर जाता है.
बचपन से ही दिल में है छेद : मां भी अपने कलेजे के टुकड़े को लेकर हर वक्त रोती रहती है. आंखों के सामने अपने ही बच्चे को पल-पल मौत की तरफ बढ़ता देख रही है. मजबूरी ऐसी कि वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही है. पिता उसे हर रोज गोद में उठा कर स्कूल लेकर जाते हैं. मां ने बताया कि गोल्डेन के दिल में छेद बचपन से ही था. इसका पता तीन साल की उम्र में चला. उसे डॉक्टरों से दिखाया गया. रिपोर्ट आने के बाद पता चला है कि उसके दिल में छेद है.
इलाज का है प्रावधान
सदर अस्पताल में गोल्डेन का इलाज कर रहे चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि गोल्डेन का जल्द-से-जल्द इलाज कराने की जरूरत है. इसके लिए बिहार सरकार मदद कर सकती है. लेकिन, परिजनों को उसकी प्रक्रिया पूरी करनी होगी.
डॉ कैप्टन एसके झा

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