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उफ! चैत में हो रहा जेठ माह का एहसास

अब आंधी पानी दे सकता है दस्तक सड़कों पर रहा कर्फ्यू-सा नजारा गोपालगंज : मौसम तेजी से बदला है. चैत में जेठ का एहसास हो रहा है. मंगलवार को तापमान जहां 41.5 डिग्री सेल्सियस था, वहीं बुधवार को 42 डिग्री सेल्सियस रहा़ पूरे दिन सड़कों पर कर्फ्यू-सा नजारा रहा. कुछ वर्षों पर नजर डालें, तो […]

अब आंधी पानी दे सकता है दस्तक

सड़कों पर रहा कर्फ्यू-सा नजारा
गोपालगंज : मौसम तेजी से बदला है. चैत में जेठ का एहसास हो रहा है. मंगलवार को तापमान जहां 41.5 डिग्री सेल्सियस था, वहीं बुधवार को 42 डिग्री सेल्सियस रहा़ पूरे दिन सड़कों पर कर्फ्यू-सा नजारा रहा. कुछ वर्षों पर नजर डालें, तो शायद ही कभी अप्रैल के शुरुआती दिनों में पारा इतनी ऊंचाई पर पहुंचा होगा. मौसम विभाग का मानना है कि तापमान के इतना बढ़ने से आंधी-पानी भी दस्तक दे सकता है. अप्रैल में जेठ (जून) की दोपहरी का एहसास शुरू हो चुका है. दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा जैसा हो गया. जिनको बहुत जरूरी था वही घर से निकल रहे थे. शरीर झुलसा देनेवाली गरमी में महिलाएं छाता के नीचे और मुंह को ढक कर बाहर निकलीं. कामकाजी महिलाओं को गरमी से जूझना पड़ा.
पछिया हवा ने झुलसाया तन-मन : दोपहर तक बादलों की आवाजाही के कारण कभी-कभी सूरज को रोकने का प्रयास किया, लेकिन दहकते सूरज को पछिया हवा का साथ मिला और तन-मन झुलसने लगा. पछिया हवा के कारण सबसे अधिक परेशानी राहगीरों को हुई. जिन्हें साइकिल या बाइक से आना-जाना पड़ा उन्हें गरमी का सबसे अधिक एहसास हुआ.
धूप झुलसाने वाली ही महसूस होगी : मौसम वैज्ञानिक एसएन पांडेय की मानें, तो अधिकतम तापमान में पिछले वर्ष की तुलना में चार से आठ डिग्री का अंतर है. दोपहर में समय यदि आप सड़क पर निकालेंगे तो धूप झुलसाने वाली ही महसूस होगी. यह सब अमूमन मई के आखिरी सप्ताह से जून तक दिखता है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें, तो मौसम में काफी हद तक परिवर्तन आया है. इसके पीछे वायु, प्रदूषण और पेड़ की कटान को बड़ा कारण माना गया है.

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