बैंक खातों से लेकर फेसबुक तक साइबर ठगों की तलाश में नाकामी आपके पैसों से खरीदारी कर रहे हैं ठग !सोशल मीडिया और ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ने के साथ ही साइबर क्राइम का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. नये फाॅर्मूले से ऑनलाइन ठगी हो रही है. मीलों दूर बैठ कर ठग किसी के भी बैंक खाते मे सेंध लगा रहे हैं. पुलिस ने साइबर क्राइम को कंट्रोल करने के लिए साइबर सेल बनाया है. इसके बावजूद आरोपित आसानी से बच निकल रहे हैं. इसी वजह से साइबर क्राइम बढ़ता जा रहा है. हाइटेक तकनीक में माहिर ठगों के लिए ऑनलाइन ठगी के बाद पुलिस को चकमा देना सबसे आसान साबित हो रहा है.संवाददाता, गोपालगंज मोबाइल पर कॉल करने के बाद खुफिया नंबर मालूम कर ठग आपके पैसों से लाखों की खरीदी कर रहे हैं. एटीएम का क्लोन बना कर बैंक खाते में सेंघ लगाने के केस भी लगातार सामने आ रहे हैं. मोबाइल पर कॉल कर खुफिया नंबर मालूम करनेवाले भी ठग बेहद माहिर हैं. बार-बार सावधान करने के बावजूद लोग झांसे में आकर अपने एटीएम कार्ड का पिन नंबर देकर ठगी के शिकार हो रहे हैं. जिले में ही पिछले छह माह में 100 से ज्यादा ऑनलाइन ठगी हो चुकी है. क्या है साइबर क्राइम इंटरनेट के जरिये किये जानेवाले अपराधों को साइबर क्राइम कहा जाता है. फेसबुक पर अश्लील तसवीर, मैसेज, वीडियो अपलोड करना इसी श्रेणी में आता है. इसके अलावा बैंक खाते की जानकारी लेकर पैसा निकालना, क्रेडिट कार्ड को हैक कर खरीदारी करना, कंप्यूटर को हैक करना यह बस साइबर क्राइम है.पहचान करने का सिस्टम ही नहीं ऑनलाइन ठगी करने और सोशल साइट्स पर चैटिंग करनेवाले की पहचान संभव नहीं है. तकनीक से यह तो पता लगाया जा सकता है कि किस कंप्यूटर या किस नंबर के मोबाइल से ऑनलाइन ठगी की गयी है, लेकिन कौन उपयोग कर रहा था, यह खुलासा करने की तकनीक ही नहीं है.साइबर अपराध के मामले वर्ष कांड 2011 232012 982013 1342014 1902015 108 कमेंट्स करने में न करें जलदबाजी सोशल साइट्स पर किसी पोस्ट पर कमेंट या लाइन करने से पहले एक बार ध्यान से जरूर पढ़ें. कमेंट भड़काऊ या आपत्तिजनक तो नहीं है. लोग कमेंट या पोस्ट को बिना पढ़े ही कमेंट्स करते हैं या लाइन करते हैं. यह घातक हो सकता है.फर्जी नाम से किसी का जारी न हो सिम कार्ड साइबर एक्सपर्ट राकेश नरवरे का कहना है कि मोबाइल के सिम कार्ड जारी करने के लिए और सख्त सिस्टम बनाने की जरूरत है. काेई भी सिम जारी करते समय ऐसी स्क्रीनिंग होनी चाहिए कि किसी भी सूरत में कोई फर्जी आइडी देकर सिम कार्ड जारी नहीं करवा सके. मोबाइल के सिम जारी होने का फर्जीवाड़ा रुकने से कई तरह के साइबर क्राइम पर अंकुश लग जायेगा.इस तरह से सुरक्षित रखें अपना बैंक खाता-अपना सभी कार्ड के लिए सुरक्षित पिन अपनी जन्मतिथि रखें-बिल देते समय संदिग्ध दिखाई दे, तो तुरंत अपने क्रेडिट कार्ड देनेवाली कंपनी से संपर्क करें, जिससे बैंक भुगतान को रोक सके.-समय-समय पर सुनिश्चित करते रहें कि आपका मेलबॉक्स सुरक्षित है या नहीं-बिल, रेलवे टिकट, फ्लाइट टिकट, एटीएम से निकली बची रकम की परची न फेंकें.- कॉल करनेवाले अजनबी या जाननेवाले को अपना कार्ड नंबर कभी न दें. कॉल करनेवाला खुद को बैंक अधिकारी बताये तो भी नहीं. बैंक केवल एक बार ही ग्राहक से सारी जानकारी लेता है.केस स्टडी : 1- ड्राइवर बलराम प्रसाद यादव के एटीएम कार्ड को बदल कर दो दिनों में 65 हजार रुपये निकाल लिये गये. एक खाते में 40 हजार रुपये ट्रांसफर किया गया. प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस की कार्रवाई ठंडी पड़ गयी.केस स्टडी 2- बैंक अधिकारी बन कर किसी ने गंडक काॅलोनी के विनय कुमार के बैंक खाता नंबर की जानकारी ली. इनके पैकेट में एटीएम कार्ड था, लेकिन 29 मई को 45 हजार रुपये की शॉपिंग कर ली गयी थी. केस स्टडी 3- जादोपुर के हमीद मियां से 26 जून को एटीएम का कोर्ड पूछ कर साइबर अपराधियों ने 82 हजार रुपये निकाल लिये. इस कांड में प्राथमिकी तो दर्ज हुई, लेकिन कार्रवाई अधर में लटक गयी. केस स्टडी 4 – मीरगंज के टीएस सिंह ने पिछले महीने पुलिस में शिकायत की थी कि उनके फेसबुक में कोई अश्लील कमेंट्स पोस्ट कर रहा है. उसे उनसे जुड़े लोगों को टैग किया जा रहा है. इससे लोगों में गलत मैसेज जा रहा है.क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी साइबर अपराध से जुड़े मामले की तहकीकात चल रही है. साइबर अपराधियों का नेटवर्क बड़ा है. मांझा से हाल ही में कुछ साइबर अपराधी पकड़े गये हैं. पुलिस टीम अपने स्तर से कार्रवाई में जुटी हुई है. निताशा गुड़िया, एसपी
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बैंक खातों से लेकर फेसबुक तक साइबर ठगों की तलाश में नाकामी
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