गोपालगंज : नारायणी नदी के वेग को रोकने के लिए भसही से विशंभरपुर तक 35 बेडवार एक किमी के रेंज में बनाये जा रहे हैं. यह निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है. बाढ़ नियंत्रण विभाग का मानना है कि नदी की धारा को बेडवार तोड़ेगा, जिससे तटबंध सेफ होगा. तटबंध पर दबाव को कम करने के लिए बोल्डर से बेडवार को बनाया गया है. नयी तकनीक से बाढ़ पूर्व तैयारियां की जा रही हैं. इससे पूर्व नदी को ड्रेनेज कर पायलट चैनल बनाया गया था, जो पिछले बाढ़ में ही फेल कर गया. इस बार विभाग बेडवार से सुरक्षा का दावा कर रहा है.
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गंडक के एक किमी में बन रहे 35 बेडवार
गोपालगंज : नारायणी नदी के वेग को रोकने के लिए भसही से विशंभरपुर तक 35 बेडवार एक किमी के रेंज में बनाये जा रहे हैं. यह निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है. बाढ़ नियंत्रण विभाग का मानना है कि नदी की धारा को बेडवार तोड़ेगा, जिससे तटबंध सेफ होगा. तटबंध पर दबाव को कम […]
उधर, डीएम अनिमेष कुमार पराशर ने अधिकारियों के साथ पिछले सप्ताह तटबंध की स्थिति का आकलन करने के बाद बाढ़ नियंत्रण विभाग को 15 जून तक अधूरा कार्य पूरा कराने का अल्टीमेटम दिया है. तटबंधों की सुरक्षा में कोई कमी न रहे इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर मॉनीटरिंग की जा रही है. बाढ़ नियंत्रण विभाग यूपी के बॉर्डर अहिरौली दान से लेकर विशंभरपुर तक नये तटबंध की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम में जुटा हुआ है.
तटबंधों पर बढ़ायी गयी निगरानी
बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता नवलकिशोर सिंह ने बताया कि तटबंधों पर निगरानी बढ़ा दी गयी है. तटबंधों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त बेडवार और बोल्डर पिचिंग का काम किया जा रहा है, ताकि नदी के कटाव को रोका जा सके.
तबाही के पीछे महासेतु बना बड़ा कारण
कुचायकोट प्रखंड में नारायणी नदी की तबाही के पीछे जादोपुर-मंगलपुर के बीच बनाया गया महासेतु सबसे बड़ा कारण बना. वर्ष 2013-14 में नारायणी नदी के 18.8 किमी के मुहाना को गाइड बांध बनाकर बंद कर दिया गया. इस 18.8 किमी के चौड़े मुहाना में तीन अलग-अलग सहायक नदियां बहती थीं, जिसे बंद कर देने से कुचायकोट में गंडक नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया.
बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर गोपालगंज क्षेत्र की दो सहायक नदियों के मुहाने को किसी तरह खोला गया. पश्चिम चंपारण का एक मुहाना आज तक नहीं खुला, जिसके कारण नदी तेजी से दक्षिण की तरफ कटाव कर शिफ्ट करने लगी.
शिफ्ट कर रही नदी
नारायणी नदी की धारा शिफ्ट कर रही है. नदी दक्षिण की तरफ बढ़ती जा रही है. पिछले पांच वर्षों में नदी 3.8 किमी दक्षिण आकर गांवों को तबाह कर चुकी है. नदी की बदलती धारा से बाढ़ नियंत्रण विभाग की परेशानी बढ़ी हुई है. कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर से लेकर सदर प्रखंड के बरईपट्टी तक सर्वाधिक दबाव के आसार हैं. नदी के रुख को देखते हुए कुचायकोट प्रखंड के एक दर्जन गांवों के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
इन गांवों का मिट चुका है अस्तित्व
नारायणी नदी के कोप के कारण कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर तिवारी टोला, कालामटिहनिया वार्ड एक, तीन, हजामटोली, कोयरटोला, टाड़पर, अहिरटोली,भसही का अस्तित्व मिट चुका है. जहां ये गांव बसे थे, वहां नदी की धारा बह रही. नदी की धारा फिलहाल शांत है. 15 जून के बाद नया पानी आने की संभावना बनी हुई है. बारिश होने पर नेपाल से आने वाला पानी यहां तबाही मचाता है.
इन गांवों को अब भी है खतरा
दो वर्षों के आंदोलन के बाद अहिरौलीदान से बरईपट्टी तक गाइड बांध बनाये जाने के बाद भी विशंभरपुर बाजार, कालामटिहिनिया, सेरापर का गांव, गुमनिया, खरगौली, धूपसागर, टोला सिपाया, सलेहपुर, फुलवरिया समेत एक दर्जन गांवों पर बाढ़ और कटाव का खतरा बना हुआ है.
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