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”मौत” बनकर घूम रहे ”आवारा आतंक”
गोपालगंज : सड़कों पर घूम रहे ‘आवारा आतंक’ जिले में कई लोगों की जान ले चुके हैं. खासकर, बच्चे आये दिन शिकार बनते हैं. शहर की सड़कों पर खूंखार कुत्तों का खूनी आतंक सभी जानते हैं. केवल सदर अस्पताल की बात करें, तो कुत्ता काटने के शिकार करीब 150 लोग रोजाना इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं. […]
गोपालगंज : सड़कों पर घूम रहे ‘आवारा आतंक’ जिले में कई लोगों की जान ले चुके हैं. खासकर, बच्चे आये दिन शिकार बनते हैं. शहर की सड़कों पर खूंखार कुत्तों का खूनी आतंक सभी जानते हैं. केवल सदर अस्पताल की बात करें, तो कुत्ता काटने के शिकार करीब 150 लोग रोजाना इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं. पीएचसी और सीएचसी की संख्या को जोड़ें तो आंकड़ा दो सौ से ऊपर पहुंच जाता है.
इस सब के बावजूद स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर बेपरवाह बना हुआ है. सदर अस्पताल को छोड़कर फुलवरिया, कटेया, भोरे का रेफरल, सीएचसी और पीएचसी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन (एआरवी) खत्म हो चुका है. सदर अस्पताल में भी पहुंच और पैरवी वाले को ही इंजेक्शन मिल पा रहा है अन्यथा कुत्तों के साथ बंदर काटने के शिकार लोग निराश होकर लौट रहे हैं जिससे निजी मेडिकल स्टोर का धंधा परवान पर है.
40-50 रुपये बढ़ जाती है एआरवी की कीमत
खास बात यह है कि सदर अस्पताल में जब तक एआरवी स्टॉक में होती है तब तक निजी मेडिकल स्टोर पर भी दवा वैक्सीन की कीमत 300 रुपये के अंदर रहती है. सदर अस्पताल में स्टॉक खत्म होने पर मेडिकल स्टोर्स पर ब्लैक शुरू हो जाता है. प्रति वैक्सीन 50 रुपये तक अतिरिक्त वसूले जाते हैं.
चार नहीं, लगते हें पांच इंजेक्शन
कुत्ते या बंदर के काटने के बाद जिला अस्पताल में जहां एक-एक हफ्ते के अंदर में चार बार इंजेक्शन लगाये जाते हैं. वहीं, निजी मेडिकल स्टोर या प्राइवेट क्लिनिक पर यह पांच बार में लगाया जाता है. हर बार 300-350 रुपये प्रति वैक्सीन के हिसाब से देखें तो पंद्रह सौ रुपये से लेकर साढ़े सत्रह सौ रुपये वसूले जाते हैं.
ब्लॉक स्तर पर भी स्टॉक खत्म
रेफरल, सीएचसी और पीएचसी पर भी एआरवी का स्टॉक खत्म हो चुका है. अमूमन प्रति पीएचसी-सीएचसी दर्जन भर से ज्यादा केस में कुत्ते और बंदर काटने के बाद पहुंचते हैं. यहां महीनों से इंजेक्शन नहीं है, पीड़ितों को सदर अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है.
क्या कहते हैं सीएस
अस्पताल में एआरवी का स्टॉक नहीं है. ब्लॉक स्तर पर भी वैक्सीन खत्म होने से रोजाना करीब सौ मरीजों को वापस भेजना पड़ता है. एआरवी कब आयेगी, इसकी जानकारी नहीं दी गयी है. जल्द ही दवा उपलब्ध करायी जायेगी.
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