गया. विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वावधान में विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कोशडिहरा स्थित ब्रह्मवन उद्यान में गया वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वनपाल, वनरक्षी व अन्य कर्मियों की उपस्थिति रही. इसमें प्राथमिक विद्यालय कोशडिहरा के शिक्षक व बच्चों ने भी भाग लिया. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को गौरैया के महत्व, उसके घटते अस्तित्व और उसके संरक्षण के उपायों के प्रति जागरूक करना था. वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कार्यक्रम के दौरान गौरैया संरक्षण से संबंधित ऐतिहासिक और वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी दी. चीन में गौरैया की सामूहिक हत्या के कारण उत्पन्न भयंकर अकाल और उसके परिणामस्वरूप हुई लाखों लोगों की मृत्यु की घटना की भी चर्चा की. इस घटना ने यह साबित किया कि प्रकृति के किसी भी घटक को समाप्त करना पूरे पारिस्थितिक तंत्र को असंतुलित कर सकता है. हर प्राणी का पर्यावरण में अपना एक विशेष स्थान है. गौरैया जैसे पक्षी, जो अब दुर्लभ होते जा रहे हैं, उनके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है. इस अवसर पर सभी ने संकल्प लिया कि वे गौरैया और अन्य पक्षियों की रक्षा के लिए अपना योगदान देंगे और प्रकृति को संरक्षित रखने में सहयोग करेंगे. छत और बालकनी में गत्ते का घोंसला बनाकर संरक्षण में दें योगदान विद्यार्थियों को गौरैया संरक्षण के सरल और प्रभावी उपायों के बारे में बताया गया जैसे कि घरों के छत और बालकनी में गत्ते का घोंसला बनाकर ऐसी जगह रखने जहां सीधी धूप न पड़ती हो पानी न लगता हो और शिकारी पक्षी से सुरक्षित हो जैसे सुझाव दिये गये. छोटे-छोटे जल पात्र रखना, पक्षियों के लिए दाना-पानी के रूप में धान, चावल, बाजरा की व्यवस्था करना और बोगेनवेलिया, कनैल, शम्मी, अनार, मधुमालती, नींबू, उड़हुल जैसे झाड़ीदार और कांटेदार पेड़-पौधों को अधिक संख्या में लगाना जैसे लाभकारी सुझाव भी दिये गये. दया प्रकाश सरस्वती विद्या मंदिर केशव नगर, माड़नपुर में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें बच्चों को गौरैया के संरक्षण के महत्व को बताया. इस वर्ष विश्व गौरैया दिवस 2025 का थीम ए ट्रिब्यूट टू नेचर्स टिन्नी मैसेंजर रखा गया है. इस थीम का उद्देश्य प्रकृति के इस नन्हे संदेशवाहक गौरैया को सम्मान देना और उसके संरक्षण के प्रति लोगों को प्रेरित करना है.
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