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कॉलेज से नहीं मिला वेतन, दर-दर की ठोकर खा रहा लैब सहायक

गया : शहर के गोसाईबाग मुहल्ले में स्थित संजय गांधी महिला इंटर कॉलेज में 12 दिसंबर, 1988 से भूगोल विभाग में लैब सहायक के पद पर पोस्टेड (अरवल जिले के करपी थाने के रामपुर गांव के रहनेवाले) मृत्युंजय पांडेय वेतन भुगतान को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अपनी शिकायत को लेकर श्री पांडेय […]

गया : शहर के गोसाईबाग मुहल्ले में स्थित संजय गांधी महिला इंटर कॉलेज में 12 दिसंबर, 1988 से भूगोल विभाग में लैब सहायक के पद पर पोस्टेड (अरवल जिले के करपी थाने के रामपुर गांव के रहनेवाले) मृत्युंजय पांडेय वेतन भुगतान को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अपनी शिकायत को लेकर श्री पांडेय कॉलेज प्रबंधन के साथ-साथ जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सहित अन्य वरीय अधिकारियों के समक्ष गुहार लगा चुके हैं.
लेकिन, अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. श्री पांडेय ने प्रभात खबर को बताया कि 2010 में राज्य सरकार के निर्देश पर संबंधित विभाग द्वारा 35 लाख 97 हजार रुपये अनुदान के रूप में संजय गांधी महिला इंटर कॉलेज को मिला. लेकिन, कॉलेज के सचिव डॉ परशुराम मिश्र ने परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए कॉलेज के पुराने कर्मचारियों को हटा दिया व अपने भाई-भतीजा, भतीजी, पतोह, बेटा व बेटियों सहित वर्तमान में बहाल किये गये कर्मचारियों के बीच अनुदान से संबंधित रुपयों का वितरण वेतन के रूप में कर दिया.
क्या कहते हैं कॉलेज के सचिव
संजय गांधी महिला इंटर कॉलेज के सचिव परशुराम मिश्र ने मृत्युंजय पांडेय द्वारा लगाये गये आरोपों के बारे में बताया कि मृत्युंजय पांडेय उनके कॉलेज के सदस्य बने थे. यह सत्य है.
लेकिन, उनकी बहाली होने के बाद से वह कॉलेज नहीं आये. एक दिन भी ड्यूटी नहीं की. वह सिर्फ आंदोलन करने में रहते हैं. यह उनका धंधा है. जो व्यक्ति किसी संस्थान में नौकरी करता हो और वह कभी ड्यूटी पर ही नहीं आये, तो उसे कॉलेज से संबंधित लाभ कैसे मिल सकता है. अनुदान तभी मिलता, जब वह ड्यूटी किये होते. लेकिन, वह नेतागिरी में अपने कैरियर को बरबाद कर दिया.

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