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हमारे अगरबत्ती उद्योग पर लगा ”ड्रैगन का डंक”

चिंताजनक. मजदूरों की रोजी-रोटी छिनने के कगार पर देशी अगरबत्तियों की घट रही डिमांड गया : गया के बाजारों में चीनी अगरबत्ती की घुसपैठ से यहां के पारंपरिक अगरबत्ती कारोबार के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है. चीनी अगरबत्ती के कारण यहां की अगरबत्ती की डिमांड घट गयी है जिससे इस व्यवसाय से जुड़े मजदूरों […]

चिंताजनक. मजदूरों की रोजी-रोटी छिनने के कगार पर

देशी अगरबत्तियों की घट रही डिमांड
गया : गया के बाजारों में चीनी अगरबत्ती की घुसपैठ से यहां के पारंपरिक अगरबत्ती कारोबार के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है.
चीनी अगरबत्ती के कारण यहां की अगरबत्ती की डिमांड घट गयी है जिससे इस व्यवसाय से जुड़े मजदूरों की रोजी रोटी पर छिनने के कगार पर है. अपने अस्तित्व को किसी तरह बचाये रखने के लिए ज्यादातर मजदूर इस काम को छोड़ दूसरे धंधे में अपनी रोजी-रोटी तलाशने लगे हैं. इस उद्योग से जुड़े कई संचालक दूसरे धंधे की ओर रुख करने लगे हैं.
अलबत्ता कुछ लोग बड़ी मुश्किल से इस धंधे को जीवित रखे हुए हैं, लेकिन उनका कहना है कि हालात एेसे ही रहे तो आनेवाले दिनों में यहां का अगरबत्ती कारोबार पूरी तरह चौपट हो जायेगी. गौरतलब है कि गया के गेवाल बिगहा, नादरागंज, घुघरीटांड़, इकबालनगर, बारिशनगर व अन्य क्षेत्रों में पाउडर व बांस की कमाची से अगरबत्ती बनायी जाती है.
अगरबत्ती के कारोबार से ही सैकड़ों परिवारों के घर में चूल्हा जलता है.
यहां से अन्य प्रदेशों में जाती थी अगरबत्ती: शहर के कारखानों में बनी सादी अगरबत्ती देश के विभिन्न प्रदेशों में भेजी जाती थी. जहां से नामचीन कंपनियां अपने ब्रांड के लिए खरीदारी करती थी. सबसे अधिक सादी अगरबत्ती बंगलुरू, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार व अन्य राज्यों में भेजी जाती थी. पहले यह कारोबार इतना फायदेमंद था कि लोग मिसाल दिया करते थे लेकिन अब अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
अफवाह के चलते अगरबत्ती बनाने से कर रहे तोबा : चीनी अगरबत्ती की घुसपैठ के साथ ही एक अफवाह भी यहां के अगरबत्ती कारोबार को प्रभावित कर रही है. बताया जा रहा है कि ऐसी अफवाह चल रही है कि अगरबत्ती बनाने से स्वास्थ्य को हानि होती है. लेकिन, इससे जुड़े कारोबारियों का दावा है कि अगरबत्ती बनाने में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. कारोबारियों ने बताया कि इसे बनाने में काठ के कोयले के चूर्ण व बगलार की छाल का इस्तेमाल किया जाता है. कारोबारियों ने कहा कि चीन के अगरबत्ती व्यापार से जुड़े लोग तरह-तरह की अफवाह फैला रहे हैं.
बाजारों में छायी चीन की अगरबत्ती
क्या कहते हैं कारोबारी
चीनी अगरबत्ती के कारण हमारा उद्योग चौपट हो रहा है. कई कारखाने बंद हो गये हैं. पहले गया शहर से हर रोज 10 ट्रक अगरबत्ती अन्य प्रदेशों के बाजार में भेजी जाती थी. अब तो रोज एक ट्रक भी अगरबत्ती बाहर नहीं जाती. पहले हजारों लोगों की रोजी-रोटी इससे चलती थी लेकिन अब मुट्ठी भर लोग ही इस उद्योग से जुड़े हुए हैं. केंद्र सरकार मेक इन इंडिया पर जोर दे रही है. यहां के घरेलू उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गये हैं. सरकारी स्तर पर इस उद्योग को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. जहां तक केमिकल मिलाने का सवाल है तो हमारी तीन पीढ़ियां अगरबत्ती उद्योग से जुड़ी हुई हैं, लेकिन कभी कोई बीमार नहीं पड़ा.
मोहम्मद आरिफ उर्फ बबलू, कारखाना मालिक
क्या कहते हैं कारोबार से जुड़े लोग
अगरबत्ती धंधे से अब हमें दो जून की रोटी भी नहीं मिल पाती है. पहले अगरबत्ती बनाकर पूरे परिवार का भरण-पोषण कर लेती थी. अब इसके लिए दूसरे के यहां काम करके गुजारा करना पड़ रहा है.
नसीमा खातून
धंधा मंदा होने के बाद हमलोग बेरोजगार हो गये हैं. पहले भोजन के लिए सोचना नहीं पड़ता था. अगरबत्ती बना कर ही बच्चों की पढ़ाई लिखाई व अन्य जरूरतों को पूरा कर लेती थी, लेकिन अब यह सब मुश्किल हो रहा है.
जैनब खातून
कमाई नहीं होने के कारण घर का जरूरी काम भी नहीं हो पाता है. अगरबत्ती बनाते वक्त इसके लिए सोचना नहीं पड़ता था. अब घर के सभी सदस्य काम करते हैं लेकिन जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं.
शाजो खातून
सरकार की अनदेखी के चलते इस उद्योग पर संकट आ गया है. बाजार में चीनी अगरबत्ती की सप्लाइ पर रोक लगनी चाहिए. इसके बाद ही इस उद्योग के अस्तित्व को बचाया जा सकता है.
मोहम्मद असलम

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