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शांति, सौहार्द व भाईचारे का संदेश

शांति, सौहार्द व भाईचारे का संदेशबुद्ध की तपोस्थली ढूंगेश्वरी से ज्ञानस्थली महाबोधि मंदिर तक निकली ज्ञानयात्रा : फ्लैगफोटो- बोधगया 01–ज्ञानयात्रा की शुरुआत करते डीएम कुमार रवि व अन्य.02– ज्ञानयात्रा में शामिल डीएम, पदाधिकारी व अन्य, 03–सुजातागढ़ में ज्ञानयात्रा के दौरान विश्राम करते बौद्ध लामाबौद्ध भिक्षु, बौद्ध श्रद्धालु, प्रशासनिक पदाधिकारी व विभिन्न संगठनों के लोग हुए […]

शांति, सौहार्द व भाईचारे का संदेशबुद्ध की तपोस्थली ढूंगेश्वरी से ज्ञानस्थली महाबोधि मंदिर तक निकली ज्ञानयात्रा : फ्लैगफोटो- बोधगया 01–ज्ञानयात्रा की शुरुआत करते डीएम कुमार रवि व अन्य.02– ज्ञानयात्रा में शामिल डीएम, पदाधिकारी व अन्य, 03–सुजातागढ़ में ज्ञानयात्रा के दौरान विश्राम करते बौद्ध लामाबौद्ध भिक्षु, बौद्ध श्रद्धालु, प्रशासनिक पदाधिकारी व विभिन्न संगठनों के लोग हुए शामिलमहाबोधि मंदिर में विश्वशांति की कामनासंवाददाता, बोधगयाबुद्ध की तपोस्थली ढूंगेश्वरी पहाड़ी की तलहट्टी से उनकी ज्ञानस्थली महाबोधि मंदिर तक शनिवार की सुबह ज्ञानयात्रा का आयोजन किया गया. बौद्ध महोत्सव समारोह की शुरुआत ज्ञानयात्रा से की गयी व इसमें सैकड़ों बौद्ध भिक्षु, विदेशी श्रद्धालु, प्रशासनिक पदाधिकारी व बोधगया के विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए. करीब नौ किलोमीटर की इस यात्रा में शामिल पदयात्रियों ने ढूंगेश्वरी पहाड़ी की तलहट्टी से होते हुए मुहाने नदी को सरस्वती मंदिर के समीप पार किया व सुजातागढ़ में थोड़ी देर के लिए विश्राम किया. यहां यात्रियों को मिट्टी की प्याली में प्रसाद के रूप में खीर दी गयी. ज्ञानयात्रा का समापन महाबोधि मंदिर में हुआ व यहां विश्वशांति की कामना की गयी. ज्ञानयात्रा को झंडी दिखा कर रवाना करने से पहले डीएम कुमार रवि ने कहा कि यह ज्ञानयात्रा समाज में शांति, सौहार्द व आपसी भाईचारे का संदेश लेकर निकाली गयी है. इस यात्रा के माध्यम से देश-दुनिया में संदेश प्रसारित होगा कि बुद्ध के उपदेश का अनुपालन शांति के लिए कितना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बुद्ध की तपोस्थली के विकास के लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं व ढूंगेश्वरी से बोधगया तक इस सड़क को दुरुस्त किया जायेगा और नदी में पुल बनाया जायेगा. सड़क के किनारे पीपल के पौधे लगाये जायेंगे व यहां सुविधाएं बढ़ायी जायेंगी. इस अवसर पर इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कौंसिल ऑफ बोधगया के महासचिव किरण लामा ने मौजूद भिक्षुओं व लोगों को ढूंगेश्वरी की महत्ता के बारे में जानकारी दी और कहा कि बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने से पहले बुद्ध ने यहां स्थित गुफा में छह वर्षों तक कठिन साधना की थी. ज्ञानयात्रा में शामिल लोगों ने बड़े ही उत्साह व जोश के साथ यात्रा तय की. उल्लेखनीय है कि ज्ञानयात्रा की शुरुआत पिछले वर्ष की गयी थी और इसके माध्यम से बौद्ध श्रद्धालुओं व पर्यटकों को बोधगया के साथ ही ढूंगेश्वरी से जोड़ने का प्रयास किया गया है.

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