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महापुरुषों ने भी स्वामी विवेकानंद को माना अपना आदर्श

महापुरुषों ने भी स्वामी विवेकानंद को माना अपना आदर्श फोटो: सनत 28, 29, 30, 31 व 32 है.गया कॉलेज में युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद विषय पर हिंदी व अंगरेजी में भाषण प्रतियोगिता आयोजितसंवाददाता, गयामहापुरुषों ने भी स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श माना है. उन्होंने समाज में आदर्श स्थापित करते हुए भारतीय संस्कृति को विश्व […]

महापुरुषों ने भी स्वामी विवेकानंद को माना अपना आदर्श फोटो: सनत 28, 29, 30, 31 व 32 है.गया कॉलेज में युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद विषय पर हिंदी व अंगरेजी में भाषण प्रतियोगिता आयोजितसंवाददाता, गयामहापुरुषों ने भी स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श माना है. उन्होंने समाज में आदर्श स्थापित करते हुए भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित किया. ये बातें शुक्रवार को गया कॉलेज के मानविकी भवन सभागार में ‘युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद’ विषय पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता में विभिन्न वर्गों के विद्यार्थियों ने कहीं. विद्यार्थियों ने कहा कि हताश व निराश युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद को आदर्श मान कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़े, तो सफलता जरूर हासिल होगी. स्वामी जी ने कभी भी किसी धर्म विशेष को प्रधान नहीं माना. कर्म पर ही विश्वास किया. भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हिंदी व अंगरेजी, दोनों भाषाओं में 44 विद्यार्थियों ने भाग लिया. निर्णायक मंडल में डॉ गौतम कुमार, डॉ वीणा शरण, डॉ अटल कुमार, डॉ पांडेय ओमप्रकाश, डॉ सरिता वीरांगना व डॉ अरविंद कुमार भी मौजूद रहे. गौरतलब है कि स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में गया कॉलेज में युवा महोत्सव आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है. स्वामी जी के बताये रास्ते पर चले युवास्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे हैं. भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर लोहा मनवाने के लिए विकट परिस्थितियों में भी उन्होंने कारगर पहल की. इसमें स्वामी जी ने काफी हद तक सफलता हासिल की. सुनील कुमार तिवारीउठो, जागो, तब तक न रुको जब तक कि लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये. युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद का यह कथन लाभकारी सिद्ध होता है. अगर वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ईमानदारी पूर्वक प्रयास करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है. पवन कुमारस्वामी विवेकानंद देश के साथ-साथ पूरे विश्व में सर्वधर्म संभाव की भावना को फैलाने के लिए सार्थक पहल की. उन्होंने कभी भी किसी एक धर्म को श्रेष्ठ नहीं माना है. स्वामी विवेकानंद द्वारा दिखायी गयी राह को अपना कर ही समाज व देश की तरक्की संभव है. स्वामी ने कहा था कि धर्म मनुष्य के लिए बना है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं. सलोनी कुमारीस्वामी विवेकानंद ने एक-दूसरे के बीच सहयोग की भावना अपनाने की प्रेरणा दी है. स्वामी जी के जीवन कृत्यों से प्रेरणा लेकर आज की युवा पीढ़ी सभ्य समाज व विकसित राष्ट्र निर्माण में सराहनीय भूमिका अदा कर सकती है. स्वामी जी ने अपना जीवन राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर दिया था. आज उनका गुणगान पूरा विश्व करता है. प्रतिमा कुमारी\\\\B

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