Darbhanga News: दरभंगा. कोलहन्टा पटोरी स्थित राजकुमारी गणेश शर्मा संस्कृत विद्यापीठ में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग से भारतीय संस्कृतौ षोडश संस्कार विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया. इसमें शृंगोरी के निदेशक प्रो. हंसधर झा ने षोडश संस्कार के महत्व पर प्रकाश डाला. वहीं दर्शन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बौआनंद झा ने संस्कार विषय पर सम्यक रूपेण विश्लेषण प्रस्तुत किया. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्म संकाय व्याकरण विभाग के प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने प्राचीन अर्वाचीन आचार्यों के मतानुसार षोडश संस्कार विषय पर चर्चा की. प्रो. द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति के बिना संस्कार संभव नहीं है. जिस भारत वर्ष की संस्कृति मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः, अतिथि देवो भवः की है, वहां वृद्धाश्रम का होना चिंतनीय विषय है. हमारे ऋषि द्वारा एक-एक कर्म पर गर्भाधान-पुंसवन-नामककरण आदि संस्कार पर शोध किया गया है. विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि सनातन धर्म के लिए षोडश संस्कार नितान्त ही आवश्यक है. संस्कार के बिना प्रत्येक कर्म अधूरा है. उन्होंने षोडश संस्कार के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम, लक्ष्मण, गुरु वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि का उदाहरण प्रस्तुत किया. कहा कि षोडश संस्कार का महत्व भारत में ही नहीं, बल्कि अब विशेष रूप से अमेरिका आदि देशों में भी अपनाया जा रहा है. संचालन डॉ बिन्ध्यनाथ मिश्र ने किया, डॉ ब्रजेश कुमार के संयोजन में लौकिक मंगलाचरण डॉ रमाकान्त कुमार व धन्यवाद ज्ञापन डॉ भूपेन्द्र नारायण झा ने किया. मौके पर डॉ गिरीश कुमार, डॉ त्रिलोकनाथ झा, डॉ महन्थ मिथिलेश दास, साकेत बिहारी, रंजीत कुमार, काशिन्दर राम, राम शंकर चौधरी, उमेश साह समेत छात्र-छात्राएं व गणमान्य उपस्थित थे.
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