पहल की जरूरत. नगर निगम के पास समस्याओं के निदान की कार्ययोजना नहीं, तीनों फाटक की स्थिति खराब
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आवारा पशुओं की ठौर बनीं शहर की सड़कें
पहल की जरूरत. नगर निगम के पास समस्याओं के निदान की कार्ययोजना नहीं, तीनों फाटक की स्थिति खराब दरभंगा : आमतौर पर लोगों का झुंड यदि एक साथ बैठकर गप्पें हांकता मिलता है तो लोगों के मुंह से बरबस निकल आता है- क्यों भाई किस बात की पंचायत हो रही है. इस नजरिये से शहर […]
दरभंगा : आमतौर पर लोगों का झुंड यदि एक साथ बैठकर गप्पें हांकता मिलता है तो लोगों के मुंह से बरबस निकल आता है- क्यों भाई किस बात की पंचायत हो रही है. इस नजरिये से शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं की पंचायत लगती है. इनके लिए कोई जगह तय नहीं है. जब, जहां इनकी मर्जी होती है पंचायत लगा देते हैं. शहरवासियों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है. मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक में इन आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. ये सड़क पर ब्रेकर की तरह पड़े रहते हैं. इन आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर निगम कतई संजीदा नजर नहीं आ रहा. इनकी गैर संजीदगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऐसे पशुओं के लिए बने फाटक की स्थिति बदतर है.
बढ़ती ही जा रही संख्या
नगर निगम के अंतर्गत आने वाले 48 वार्डों में विभिन्न चौक-चौराहों पर दर्जनों की संख्या में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. इससे आने-जाने वालों की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर निगम के पास कोई कार्ययोजना फिलहाल नहीं है और न ही ऐसे पशुओं को पकड़कर रखने की कोई व्यवस्था है. आवारा जानवरों की संख्या सड़कों पर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.
आये दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे राहगीर, िफर भी उदासीन है निगम
वीआइपी रोड पर आवारा पशुओं का जमावड़ा
सड़कों के विभिन्न चौक-चौराहों पर दुर्गंध, कचरे के ढेर को देते आमंत्रण
सड़कों के विभिन्न चौक-चौराहे पर दुर्गंध देते कचरों की ढेर पर गायें, बकरियों, सूअरों तथा कुत्तों की पंचायत सी लगी नजर आना आम बात हो गयी है. रोड जाम की प्रमुख वजह कुछ जानवर आराम फरमाने के लिए सड़कों के बीचोंबीच पसरे रहते हैं. इससे जाम की समस्या तो होती ही है, आये दिन आने-जाने वाले वाहनों व लोगों के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाता है. इस कारण कई बार वाहन चालक दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं.
शहर के जिस रास्ते से भी होकर गुजरा जाय, ऐसे दर्जनों आवारा जानवर मटरगश्ती करते मिल जाते हैं. ऐसे आवारा जानवरों के बीच से होकर लोग चलने को मजबूर हैं. लोगों को हमेशा यह डर सताती रहती है कि पता नहीं नहीं कब कौन गाय की झुंड में से सींग मार दे या फिर कोई कुत्ता ही काट खाये. बस ये होता है कि पंचायत करते हुए जानवरों एवं नगर निगम की व्यवस्था को कोसते हुए अपने गंतव्य की ओर लोग निकल पड़ते हैं.
इन जानवरों की समस्या लोगों के लिए यही समाप्त नहीं होती. अधिकांश मोहल्लों में बंदरों का साम्राज्य रहने से और उन बंदरों के उत्पात से मोहल्लेवासी त्रस्त हैं. बंदरों की धमाचौकड़ी और आक्रमण से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. घरों में बन रहे खाना से लेकर रखे हुए कच्चे सामान को ये पलक झपकते ही ले उड़ते हैं.
समस्या से िनबटने में संसाधन की कमी
मेयर गौड़ी पासवान का कहना है कि संसाधन की कमी से आवारा पशुओं से निबटने में समस्या आ रही है. जीएन गंज स्थित फाटक दुरुस्त कर दिया गया है. रकम लेने के बाद तक फाटक को दुरुस्त नहीं किये जाने को लेकर कार्रवाई की जायेगी. वहीं सड़कों पर मटरगश्ती कर रहे आवारा पशुओं के मुद्दे को कार्ययोजना में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है.
जल्द दुरुस्त होंगे
तीनों फाटक
नगर आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि हैंड की कमी है. फाटक को दुरुस्त करवाये बिना लावारिश पशुओं को पकड़ना संभव नहीं है. जीर्ण अवस्था में पड़े फाटकों को जल्द ठीक करवाया जायेगा. आमजनगर फाटक को ठीक करने के लिए निकाली गयी निविदा की राशि के उठाव के बाद भी हाथ नहीं लगाने को लेकर संवेदक को नोटिस जारी किया जायेगा.
फाटकों की स्थिति बदतर
आवारा पशुओं के रखने के लिए निगम की ओर से पूर्व में तीन कांजी हाउस (फाटक) की व्यवस्था की गयी थी. जीएन गंज, नगर थना परिसर एवं आमजनगर में उसकमें कुछ अतिक्रमण में और जीर्णशीर्ण अवस्था में है. वह फाटक खुद अपनी बदहाली दूर करने के इंतजार में है. एक फाटक नगर थाना परिसर में है. दूसरा आजमनगर में है. इसके जीर्णोद्धार के लिए तत्कालीन नगर आयुक्त महेंद्र कुमार ने प्रयास किया. इसके लिए निविदा भी हुई. लेकिन अबतक धरातल पर नहीं उतर पाया. तीसरा जीएन गंज में है. इसके रखरखाव के प्रति निगम प्रशासन उदासीन बना हुआ है. ऐसे आवारा जानवारों से निबटने के लिए प्रशासन के पास कोई कार्य योजना नहीं है. जिसपर काम कर उपद्रवी जानवरों से छुटकारा दिलाया जा सके. लोगों का कहना है कि नगर निगम केवल टैक्स लेना जानती है. लोगों की समस्याओं से उसे कोई लेना-देना नहीं है.
राशि उठाव के बावजूद जीर्णोद्धार नहीं
आजमनगर स्थित फाटक के जीर्णोद्धार के लिए 60 हजार रुपये तत्कालीन नगर आयुक्त के समय निर्गत किया गया था. लेकिन अब तक हाथ नहीं लगाया गया है.
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